वेद प्रताप वैदिक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक हैं। वे प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया से जुड़े रहे हैं और उसके हिन्दी सेवा 'भाषा' के संस्थापक संपादक रहे हैं।Read More
यूं तो भारत में जनसंख्या की रफ्तार पिछले दशकों के मुकाबले थोड़ी कम हुई है लेकिन हमारे देश में अभी भी लगभग 100 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके लिए हम पर्याप्त भोजन, निवास, वस्त्र, शिक्षा, चिकित्सा और मनोरंजन की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं। ...
वास्तव में धर्मांतरण-विरोधी कानून तमिलनाडु, ओडिशा और मप्र की सरकारों ने बनाए हैं लेकिन इनमें और अन्य प्रदेशों में भी ढेरों संगठन धर्म का नहीं, राजनीति का रास्ता पकड़े हुए हैं। ...
जी-20 इस वर्ष यदि पर्यावरण शुद्धि, परमाणु निरस्त्रीकरण, आर्थिक पुनरोदय आदि विश्वव्यापी मुद्दों पर कुछ ठोस फैसले कर सके तो भारत की अध्यक्षता ऐतिहासिक सिद्ध हो जाएगी। ...
किसी मरीज की एक बीमारी के कारण का पता करने के लिए कई डॉक्टर दर्जनों ‘टेस्ट’करवा देते हैं। हमारे डॉक्टर अपना धंधा शुरु करने के पहले यूनानी दार्शनिक के नाम से चली ‘हिप्पोक्रेटिक शपथ’ लेते हैं, जिसमें आदर्श और नैतिक आचरण की ढेरों प्रतिज्ञाएं हैं। ...
संविधान की किसी धारा में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत निश्चित नहीं की गई है। वो तो मान ली गई है 1992 में सर्वोच्च न्यायालय में आए इंदिरा साहनी मामले के कारण! उसी समय नरसिंह राव सरकार ने गरीबी के आधार पर लोगों को आरक्षण देने की घोषणा की थी। उसी घोषणा को ...
संविधान सभा में भी सबके लिए समान कानून की धारणा को व्यापक समर्थन मिला था लेकिन क्या वजह है कि आजादी को आए 75 साल बीत रहे हैं और देश में हर तरह की सरकारें बन चुकी हैं, फिर भी किसी सरकार की आज तक हिम्मत नहीं हुई कि वह देश के सभी नागरिकों के लिए व्यक्ति ...
जब 1948 में इजराइल का जन्म हुआ था, तब जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका आदि कई देशों के गोरे यहूदी लोग वहां आकर बस गए थे। उन्हीं में से एक का बेटा जो 1949 में जन्मा था, अब इजराइल का ऐसा प्रधानमंत्री है, जिससे ज्यादा लंबे काल तक कोई भी प्रधानमंत्री नही ...
लोगों से कहा गया है कि वे मुखपट्टी का इस्तेमाल बढ़ाएं, घर के खिड़की-दरवाजे प्रायः बंद ही रखें और बहुत जरूरी होने पर ही बाहर निकलें। ये सब बातें तो ठीक हैं और मौत का डर ऐसा है तो इन सब निर्देशों का पालन लोग-बाग सहर्ष करेंगे ही लेकिन क्या प्रदूषण की सम ...