इस्लाम निकाह के रहते लिव-इन रिलेशनशिप को मंजूरी नहीं देता है'- इलाहाबाद हाईकोर्ट
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 9, 2024 09:01 AM2024-05-09T09:01:04+5:302024-05-09T09:11:23+5:30
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एक विवाहित मुस्लिम जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकारी नहीं है क्योंकि इस्लाम के तहत ऐसे रिश्ते की इजाजत नहीं है।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते बुधवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि एक विवाहित मुस्लिम जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में रहने का अधिकारी नहीं है क्योंकि इस्लाम के तहत ऐसे रिश्ते की इजाजत नहीं है।
हाईकोर्ट के जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस एके श्रीवास्तव की बेंच ने अपने आदेश में कहा, ''इस्लामिक सिद्धांत मौजूदा निकाह के दौरान लिव-इन संबंध रखने की इजाजत नहीं देता है।''
दोनों जजों ने एकराय से कहा कि अगर एक साथ रहने वाले जोड़े वयस्क हैं और उनके पास जीवित जीवनसाथी नहीं है, तो स्थिति अलग होगी और वो अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकते हैं।
पीठ ने यह भी कहा कि विवाह संस्थाओं के मामले में संवैधानिक नैतिकता और सामाजिक नैतिकता के बीच एक "संतुलन" होना चाहिए। दोनों जजों ने कहा कि इस "संतुलन" के अभाव में, समाज में शांति और सामाजिक एकजुटता गायब हो जाएगी।
अदालत ने यह आदेश स्नेहा देवी और मोहम्मद शादाब खान द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। जिन्होंने महिला के माता-पिता द्वारा शादाब खान के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज करने के बाद पुलिस कार्रवाई से सुरक्षा की मांग की थी, जिसमें खान पर उनकी बेटी को "अपहरण" करने और निकाह करने के लिए "प्रेरित" करने का आरोप लगाया गया था।
मामले में मोहम्मद शादाब खान ने वयस्क होने का दावा करने के साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा) के तहत सुरक्षा की मांग की थी।
जांच के बाद अदालत को पता चला कि मोहम्मद शादाब खान ने 2020 में फरीदा खातून से शादी की थी और उनका एक बच्चा भी है। इसने पुलिस को उसकी लिव-इन पार्टनर स्नेहा देवी को सुरक्षा के तहत उसके माता-पिता के पास वापस भेजने का भी निर्देश दिया।
याचिकाकर्ताओं के अनुच्छेद 21 तर्क पर पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का मामला "अलग" है। आदेश में कहा गया है, "अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक संरक्षण इस तरह के अधिकार (जीवन और स्वतंत्रता) को एक अनियंत्रित समर्थन नहीं देगा, जब उपयोग और रीति-रिवाज अलग-अलग धर्मों के दो व्यक्तियों के बीच इस तरह के रिश्ते पर रोक लगाते हैं।"