WHO की बैठकः भारत समेत 120 देश शामिल, कोरोना पर अमेरिका-चीन तनाव के बीच शुरू की वर्चुअल सभा

By भाषा | Published: May 18, 2020 09:18 PM2020-05-18T21:18:47+5:302020-05-18T21:18:47+5:30

विश्व स्वास्थ्य संगठन को लेकर चीन और अमेरिका में तलवार खींच गई है। अमेरिका का कहना है कि कोरोना वायरस के लिए चीन ही जिम्मेदार है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर आरोप लगाया कि जानते हुए भी अनदेखी की। चीन पर कुछ नहीं बोला। उन्होंने फंड रोक दी।

WHO meeting 120 countries, including India, start virtual meeting between US-China tension on Corona | WHO की बैठकः भारत समेत 120 देश शामिल, कोरोना पर अमेरिका-चीन तनाव के बीच शुरू की वर्चुअल सभा

चीन में ही दिसंबर में इस घातक वायरस का प्रसार शुरू हुआ जो बाद में पूरी दुनिया में फैल गया। (file photo)

Highlights11 पन्नों की इस रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि क्या प्रकोप को लेकर विश्व को सतर्क करने वाली डब्ल्यूएचओ की चेतावनी प्रणाली और यात्रा सलाह पर्याप्त थीं?अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले लोगों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने पर डब्ल्यूएचओ की ओर से आलोचना किए जाने का आरोप लगाया था।

जिनेवाः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर सामने आई संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी की प्रतिक्रिया के मद्देनजर वह एक स्वतंत्र आंकलन शुरू करेंगे।

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी की जनवरी से अप्रैल के बीच कोविड-19 महामारी पर प्रतिक्रिया को लेकर एक स्वतंत्र निरीक्षण सलाहकार निकाय ने अपनी पहली अंतरिम रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसके बाद डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने सोमवार को यह संकल्प लिया। 11 पन्नों की इस रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि क्या प्रकोप को लेकर विश्व को सतर्क करने वाली डब्ल्यूएचओ की चेतावनी प्रणाली और यात्रा सलाह पर्याप्त थीं?

वैसे सलाहकार निकाय की समीक्षा और सिफारिशें अमेरिकी प्रशासन को संतुष्ट करने जैसी नहीं जान पड़ती हैं, जिसने डब्ल्यूएचओ पर कोरोना वायरस महामारी से निपटने में चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आने वाले लोगों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए जाने पर डब्ल्यूएचओ की ओर से आलोचना किए जाने का आरोप लगाया था।

चीन में ही दिसंबर में इस घातक वायरस का प्रसार शुरू हुआ जो बाद में पूरी दुनिया में फैल गया। बाद में ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता पर अस्थायी रोक लगाने का आदेश दिया था । अमेरिका स्वास्थ्य संगठन को सबसे अधिक अनुदान देता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को अब तक की अपनी पहली वर्चुअल (आभासी) सभा की शुरुआत कर दी, लेकिन आशंका है कि अमेरिका-चीन तनाव कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए आवश्यक कड़ी कार्रवाई को पटरी से उतार सकता है। इस दो दिवसीय सभा में पूरी तरह कोविड-19 पर ही ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद है जो अब तक विश्व में तीन लाख दस हजार से अधिक लोगों की जान ले चुका है और लगभग 47 लाख लोग घातक कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने सभा का उद्घाटन किया और उल्लेख किया कि कई देशों ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों की अनदेखी की। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘अलग-अलग देशों ने अलग-अलग, कई बार विरोधाभासी रणनीतियां अपनाईं और हम सब एक भारी कीमत चुका रहे हैं।’’ विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक टेड्रोस ऐडरेनॉम ग़ैबरेयेसस भी वचुर्अल सभा को संबोधित करेंगे। इसके साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, सरकार के प्रमुखों और स्वास्थ्य मंत्रियों सहित कई राष्ट्र प्रमुख भी अपनी बात रखेंगे।

गैबरयेसेस ने शुक्रवार को कहा था कि आयोजन ‘‘1948 में हमारी स्थापना के समय के बाद से अत्यंत महत्वपूर्ण कार्यक्रमों (विश्व स्वास्थ्य सभाओं) में से एक होगा।’’ लेकिन महामारी के मुद्दे पर विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच खराब हो रहे संबंधों के चलते संकट के समाधान के लिए वैश्विक कदमों पर सहमति पर पहुंचना मुश्किल हो सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह धमकी दी थी कि अमेरिका कोविड-19 के प्रसार में बीजिंग की भूमिका के चलते चीन के साथ अपने सभी संबंध खत्म कर सकता है।

ट्रंप अमेरिका से डब्ल्यूएचओ को मिलने वाली आर्थिक सहायता पर भी रोक लगा चुके हैं। उनका आरोप है कि इस विश्व स्वास्थ्य निकाय ने महामारी की गंभीरता को शुरू में कमतर आंका और चीन का पक्ष लिया। इस दो दिवसीय विश्व स्वास्थ्य सभा से पहले 62 देशों ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया जिसमें कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच का अनुरोध किया गया है। प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य सभा में अनुमोदन के लिए रखा जाएगा। 

कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के डब्ल्यूएचओ के कदम का भारत ने किया समर्थन

भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के उस महत्वपूर्ण सम्मेलन में सोमवार को लगभग 120 देशों में शामिल हुआ जिसमें कोरोना वायरस संकट को लेकर वैश्विक प्रतिक्रिया का निष्पक्ष और व्यापक मूल्यांकन करने के साथ-साथ इस घातक संक्रमण के स्रोत का पता लगाने पर जोर दिया जाएगा। डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की दो दिवसीय 73वां सत्र जिनेवा में शुरू हुआ। यह वायरस की चीन के शहर वुहान में उत्पत्ति की जांच को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगातार बनाए जा रहे दबाव की पृष्ठभूमि में हो रही है।

चीन और अमेरिका के बीच टकराव का कारण ट्रंप प्रशासन द्वारा ताईवान को डब्ल्यूएचओ में शामिल करने पर जोर देना भी है। चीन ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है क्योंकि वह ताईवान को अपना हिस्सा बताता है। उम्मीद है कि डब्ल्यूएचए में महामारी से निपटने के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की संभावना तलाशी जाएगी जिसने तीन लाख 10 हजार से अधिक लोगों की जान ले ली है और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के अलावा लगभग 47 लाख व्यक्तियों को संक्रमित किया है।

सत्ताइस देशों वाले यूरोपीय संघ द्वारा आगे बढ़ाये गए मसौदा प्रस्ताव को कई देशों ने डब्ल्यूएचए में चर्चा के लिए समर्थन दिया है। इसमें कोविड-19 के प्रति डब्ल्यूएचओ की समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का चरणबद्ध तरीके से निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं समग्र आकलन का आह्वान किया गया है। इसमें हालांकि चीन का उल्लेख नहीं किया गया है। कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान में पिछले वर्ष दिसम्बर में सामने आया था। उसके बाद से यह 180 से अधिक देशों में फैल गया है।

इस मसौदे में कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए वैज्ञानिक एवं सहयोगात्मक ‘फील्ड मिशन’ का आह्वान किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के कदम से भविष्य में इसी तरह की घटनाओं के जोखिम को कम करने के लिए लक्षित उपाय और एक शोध एजेंडा सक्षम हो सकेगा। मसौदा प्रस्ताव में वायरस के पशुजन्य स्रोत और मनुष्य में इसके प्रवेश का पता लगाने के लिए पशु स्वास्थ्य के लिए विश्व संगठन, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन और अन्य देशों के साथ करीब से काम करने का भी आह्वान किया गया है।

भारत के अलावा इस मसौदा प्रस्ताव को समर्थन देने वालों में ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, बेलारूस, भूटान, ब्राजील, कनाडा, चिली, कोलंबिया, जिबूती, डोमिनिकन गणराज्य, इक्वाडोर, एल सेल्वाडोर, ग्वाटेमाला, गुयाना, आइसलैंड, इंडोनेशिया, जापान, जोर्डन, कजाकस्तान, मलेशिया, मालदीव और मेक्सिको शामिल हैं।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मोंटेनीग्रो, न्यूजीलैंड, उत्तर मैसेदोनिया, नॉर्वे, पराग्वे, पेरु, कतर, कोरिया गणराज्य, मोलदोवा, रूस, सैन मरीनो, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया, तुर्की, यूक्रेन, ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। करीब 50 देशों वाला अफ्रीकी समूह भी इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहा है।

हालांकि हैरानी की बात है कि इस कदम को समर्थन देने वाले देशों की सूची में अमेरिका का नाम नहीं नजर आया है। मसौदा प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि डब्लूएचओ के स्वास्थ्य आपात स्थितियों को मजबूत करने के माध्यम से वैश्विक महामारी रोकथाम तंत्र में सुधार के लिए सिफारिशें की जाएं। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन डब्ल्यूएचए वीडियो-सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। 

Web Title: WHO meeting 120 countries, including India, start virtual meeting between US-China tension on Corona

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