Whatsapp जासूसी: सूत्रों ने कहा- इजरायली कंपनी एनएसओ से सरकार का कोई ताल्लुक नहीं

By भाषा | Published: November 2, 2019 05:36 AM2019-11-02T05:36:24+5:302019-11-02T05:36:24+5:30

सरकार ने कंपनी को चार नवंबर तक जवाब देने को कहा है। जवाब मिलने के बाद सरकार आगे की कार्यवाही के बारे में निर्णय लेगी। इजरायली कंपनी एनएसओ ने इस बीच कहा है कि वह अपनी प्रौद्योगिकी सिर्फ लाइसेंस प्राप्त सरकारी सतर्कता विभागों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ही बेचती है।

Whatsapp espionage: Sources said - Government has no connection with Israeli company NSO | Whatsapp जासूसी: सूत्रों ने कहा- इजरायली कंपनी एनएसओ से सरकार का कोई ताल्लुक नहीं

Whatsapp जासूसी: सूत्रों ने कहा- इजरायली कंपनी एनएसओ से सरकार का कोई ताल्लुक नहीं

Highlightsसरकार ने कंपनी को चार नवंबर तक जवाब देने को कहा है। जवाब मिलने के बाद सरकार आगे की कार्यवाही के बारे में निर्णय लेगी। यह व्हाट्सऐप और एनएसओ की लड़ाई है।

व्हाट्सऐप के जरिये दुनियाभर में सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा पत्रकारों की जासूसी के लिये जिम्मेदार सॉफ्टवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ के साथ सरकार का कोई ताल्लुक नहीं है। सरकारी सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

सूत्र ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि व्हाट्सऐप ने जून से अब तक हुई कई दौर की बातचीत में एक बार भी पेगासस हैकिंग घटना का उल्लेख नहीं किया। इसे लेकर सरकार चिंतित है। उसने कहा कि सरकार दुर्भावनापूर्ण संदेशों की सामग्री के बजाय उसका स्रोत जानने पर जोर देगी।

इसके अलावा सरकार जासूसी की घटना की विस्तार से जानकारी देने के लिये भी कहेगी। उसने प्रश्न उठाया कि यह व्हाट्सऐप संदेशों के स्रोत की जानकारी तथा जवाबदेही तय करने के लिए कोई कदम उठाने से सरकार को रोकने के लिए कंपनी की ओर से कोई अडंगा लगाने जैसी चाल तो नहीं है। सरकार हैकिंग मामले के खुलासे के समय को लेकर भी सवाल कर रही है। यह इस कारण महत्वपूर्ण हो जाता है कि केंद्र सरकार ने देश में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के उपाय के लिये उच्चतम न्यायालय से तीन महीने का समय मांगा है।

सरकार ने कंपनी को चार नवंबर तक जवाब देने को कहा है। जवाब मिलने के बाद सरकार आगे की कार्यवाही के बारे में निर्णय लेगी। इजरायली कंपनी एनएसओ ने इस बीच कहा है कि वह अपनी प्रौद्योगिकी सिर्फ लाइसेंस प्राप्त सरकारी सतर्कता विभागों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ही बेचती है। उसने कहा कि उसकी प्रौद्योगिकी आतंकवाद तथा गंभीर अपराधों से लड़ने के लिये है, न कि सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी करने के लिये। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि एनएसओ ने भारत में किसे उक्त सॉफ्टवेयर मुहैया कराया और किसके कहने पर जासूसी की गयी। सूत्र ने कहा कि सरकार और एनएसओ के बीच कोई मामला नहीं है।

यह व्हाट्सऐप और एनएसओ की लड़ाई है। सरकार सिर्फ इस कारण चिंतित है कि जासूसी का शिकार हुए लोगों में भारतीय नाम भी शामिल हैं। फेसबुक की स्वामित्व वाली कंपनी व्हाट्सऐप के दुनिया भर में डेढ़ अरब से अधिक उपयोक्ता हैं। इसमें सिर्फ भारत से ही करीब 40 करोड़ उपयोक्ता हैं।

व्हाट्सऐप इससे पहले भी फर्जी खबरों के प्रसार को लेकर सरकार के निशाने पर रह चुकी है। इस बीच व्हाट्सऐप ने शुक्रवार को कहा कि उसने हैकिंग मामले में ठोस कदम उठाया है और वह सभी नागरिकों की निजता की सुरक्षा की जरूरत पर भारत सरकार का समर्थन करती है। व्हाट्सऐप के एक प्रवक्ता ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘हम सभी भारतीय नागरिकों की निजता की सुरक्षा की जरूरत को लेकर भारत सरकार के कठोर बयान से सहमत हैं। इसी कारण हमने साइबर हैकरों की जवाबदेही तय करने के लिये ठोस कदम उठाये हैं और इसी कारण व्हाट्सऐप अपनी सेवाओं के जरिये सभी उपयोक्ताओं के संदेशों की सुरक्षा के लिये प्रतिबद्ध है।’’

हालांकि प्रवक्ता ने यह नहीं बताया कि व्हाट्सऐप ने सरकार के स्पष्टीकरण का जवाब दिया है या नहीं। उल्लेखनीय है कि व्हाट्सऐप ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की वैश्विक स्तर पर जासूसी किये जाने का बृहस्पतिवार को खुलासा किया था। उसने बताया था कि कुछ भारतीय पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस जासूसी के शिकार हुए हैं। सरकार ने इसके बाद कड़ा रुख अख्तियार करते हुए व्हाट्सऐप से मामले का स्पष्टीकरण देने को कहा। सरकार ने यह भी पूछा कि व्हाट्सऐप ने लोगों की निजता की सुरक्षा के लिये क्या उपाय किये हैं। भाषा सुमन मनोहर मनोहर

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