लाइव न्यूज़ :

स्कूल में अंग्रेजी साहित्य से क्या लुप्त हो रहा है - भावना

By भाषा | Updated: December 1, 2021 19:49 IST

Open in App

(मार्सेलो गिवानेली एवं मेगन मैंसवर्थ, अंग्रेजी भाषा और साहित्य, एस्टन विश्वविद्यालय)

बर्मिंघम (ब्रिटेन), एक दिसंबर (द कंवरसेशन) फिक्शन पढ़ना एक भावनात्मक अनुभव है। भावनाएं महसूस करना-यहां तक कि उदासी जैसी नकारात्मक भावनाएं- पढ़ने को प्रेरित करती हैं और हमें पुस्तकों का आनंद उठाने में सहायता करती है। ब्रिटेन की चैरिटी संस्था नेशनल लिटरेसी ट्रस्ट के शोध में पाया गया है कि करीब 45 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि पढ़ने के बाद उन्हें बेहतर महसूस हुआ।

पढ़ने के दौरान हम जो भावनाएं महसूस करते हैं वह हमें परानुभूति प्रदर्शित करने में मदद करती है, यह समझने में मदद करती है कि अन्य के भी विचार हैं जो हमें दूसरों की मदद के लिए प्रेरित करती है। पढ़ने का भावनात्मक अनुभव, व्यक्तिगत और सामाजिक, दोनों रूप से फायदेमंद है।

हालांकि, इंग्लैंड में अंग्रेजी साहित्य के पाठों में युवाओं के पढ़ाई के अनुभव में पढ़ने और भावना के बीच संबंध बड़े पैमाने पर लुप्त है।

एक अरूचिपूर्ण रुख :

जीसीएसई अंग्रेजी साहित्य पाठ्यक्रम की आलोचना पाठ्य पुस्तकों के इसके संकीर्ण चयन को लेकर की जाती है। बच्चों को पाठ याद करने पर ध्यान देना होता है,जो विषय को छात्रों को पढ़ने के अनुभव प्राप्त करने से दूर कर देता है।

इससे भी अधिक, अंग्रेजी साहित्य में परीक्षा के प्रश्न आमतौर पर अरूचिपूर्ण तरीके से तैयार किये जाते हैं। इस तरह के सवाल से छात्र पाठ में रुचि लिये बगैर लेखक के इरादे व शैली के बारे में सोचते हैं।

इस तरह से परीक्षा के प्रश्नों की तैयारी कराते समय शिक्षक अपने अध्यापन में भावनाओं को कम तवज्जो दे सकते हैं जो अंग्रेजी साहित्य के अध्ययन को व्यक्तिगत आनंद प्राप्त करने में बहुत अलग बना देगा।

अध्यापन और अंग्रेजी साहित्य के मूल्यांकन में भावनाओं से इस तरह से दूर हटना एक हालिया बदलाव है। 1921 में न्यूबोल्ट रिपोर्ट में, इंग्लैंड में अंग्रेजी अध्यापन की शैक्षणिक समीक्षा के लिए एक ऐतिहासिक पहल में दलील दी गई थी कि भावना साहित्य के अध्ययन के केंद्र में होना चाहिए।

इंग्लैंड में करीब 70 साल बाद भी अंग्रेजी साहित्य में प्रश्न भावना प्रेरित उत्तर मांग रहे थे।

शिक्षक क्या सोचते हैं :

हमारे हालिया अध्ययन में हमने साहित्य अध्यापन में भावनाओं पर शिक्षकों के विचारों का पूरे इंग्लैंड में यह पता लगाने के लिए अंग्रेजी के 140 शिक्षकों का सर्वेक्षण किया। हमने पाया कि वे छात्रों में भावनाएं पैदा करने को काफी महत्व देते हैं।

शिक्षक अपनी कक्षाओं में चर्चा के महत्व को बढ़ावा देने के भी भी इच्छुक नजर आए।

वहीं, कुछ शिक्षकों को लगता है कि मौजूदा मूल्यांकन प्रणाली ने पाठ के साथ व्यक्तिगत और भावनात्मक लगाव को बाधित किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतLokmat National Conclave 2025: वर्तमान में भारतीय लोकतंत्र के स्तंभ और ताकत पर बोले कांग्रेस नेता सिंघवी, कही ये बात

भारतBihar: नीतीश कुमार के हिजाब विवाद को लेकर मिली पाकिस्तान से धमकी, महिला डॉक्टर नुसरत परवीन ने छोड़ दिया बिहार

मध्य प्रदेशकचरे से कंचन की राह पर इंदौर, वेस्ट मैनेजमेंट में नए नवाचारों से शहर बना सर्कुलर इकॉनमी का मॉडल

भारतLokmat National Conclave 2025: चुनावों के दौरान मुफ्त की स्कीम देने पर मनोज झा ने दी प्रतिक्रिया, बोले- "चुनाव अब निष्पक्ष चुनाव जैसा नहीं रहा"

भारतLokmat National Conclave 2025: बिहार चुनाव पर मनोज झा की दो टूक, फ्री स्कीम से बिगड़ रहा चुनावी संतुलन

विश्व अधिक खबरें

विश्व1 जनवरी 2026 से लागू, 20 और देशों पर यात्रा प्रतिबंध?, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा, देखिए सूची

विश्वIndia-Israel: विदेश मंत्री जयशंकर की इजरायली पीएम नेतन्याहू से मुलाकात, द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा

विश्वविदेशी धरती पर पीएम मोदी को मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, यह अवार्ड पाने वाले बने विश्व के पहले नेता

विश्वसोशल मीडिया बैन कर देने भर से कैसे बचेगा बचपन ?

विश्वऔकात से ज्यादा उछल रहा बांग्लादेश