दो और कार्यकाल तक रूस की बागडोर संभालेंगे व्लादिमीर पुतिन, राष्ट्रपति ने संविधान संशोधन कानून को दी मंजूरी
By भाषा | Published: March 15, 2020 06:11 AM2020-03-15T06:11:57+5:302020-03-15T06:11:57+5:30
इन बदलावों को रूस की संवैधानिक अदालत को भेजा जाएगा जो एक हफ्ते में फैसला करेगी कि कानून को मंजूरी दी जाए या नहीं क्योंकि इसके जरिये पुतिन के कार्यकाल पर लगी संवैधानिक सीमा में बदलाव होना है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शनिवार को संवैधानिक सुधारों से जुड़े उस कानून पर दस्तखत कर दिए जिसमें उन्हें दो और कार्यकाल तक देश की बागडोर संभालने का विकल्प दिया गया है। क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय) ने संवैधानिक सुधार से जुड़े 68 पन्नों के कानून को आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित किया है। इस कानून के लिए पुतिन का हस्ताक्षर विशेष प्रक्रिया है जो कानून के प्रभावी होने की सामान्य प्रक्रिया से अलग है।
इन बदलावों को रूस की संवैधानिक अदालत को भेजा जाएगा जो एक हफ्ते में फैसला करेगी कि कानून को मंजूरी दी जाए या नहीं क्योंकि इसके जरिये पुतिन के कार्यकाल पर लगी संवैधानिक सीमा में बदलाव होना है। संवैधानिक अदालत के बाद कानून पर रूसी जनता मतदान करेगी। क्रेमलिन ने संवैधानिक बदलाव पर जनमत के लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की है।
रूसी सीनेट के अध्यक्ष वैलेन्टिना मतविनेको ने शनिवार को पत्रकारों से कहा, ‘‘कोरोना वायरस से संक्रमण की चिंताओं के बावजूद मतदान होगा।’’
हाल के हफ्तों में कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार इंटनरेट के जरिये मतदान करा सकती है जिसकी विपक्ष ने आलोचना की और कहा कि यह नतीजों में हेरफेर सुनिश्चित करने के लिए है।
उल्लेखनीय है कि 67 वर्षीय पुतिन ने मंगलवार को उस समय देशवासियों को चौंका दिया था जब उन्होंने 2024 के बाद भी पद पर बने रहने के प्रावधान वाले इस कानून को आखिरी समय में समर्थन देने की घोषणा की। अगर यह संवैधानिक बदलाव नहीं होता तो उन्हें 2024 में पद छोड़ना होगा।
राष्ट्रपति को अतिरिक्त कार्यकाल देने का प्रावधान रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा में मतदान के दिन जोड़ा गया और आसानी से पास हो गया। इन बदलावों को उच्च सदन सीनेट और क्षेत्रीय संसदों ने भी मंजूरी दे दी।
रूस के राष्ट्रपति ने संविधान में बदलाव का प्रस्ताव जनवरी में किया था लेकिन इस हफ्ते तक पुतिन इस बात से इनकार कर रहे थे कि वह अपना कार्यकाल बढ़ाना चाहते हैं। पुतिन के प्रवक्ता ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता के चलते राष्ट्रपति ने अपना रुख बदला है। संविधान संशोधन से सत्ता संतुलन में बदलाव होगा। इससे सलाहकार परिषद की भूमिका बढ़ेगी और संसद एवं राष्ट्रपति को अतिरिक्त अधिकार मिलेगा।