अफगानिस्तान-अमेरिका में शांति समझौता, 14 महीने में सैनिकों को निकालेगा US, 8,600 कम करेगा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 29, 2020 08:53 PM2020-02-29T20:53:44+5:302020-02-29T20:53:44+5:30

तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने के लिये प्रतिबद्ध है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य नहीं है।

US-Taliban sign 'peace deal' aimed at ending war in Afghanistan | अफगानिस्तान-अमेरिका में शांति समझौता, 14 महीने में सैनिकों को निकालेगा US, 8,600 कम करेगा

अफगानिस्तान में अभी करीब 13,000 अमेरिकी सैनिक हैं।

Highlightsदोहा, कतर में अमेरिका और तालिबान ने अफगान शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।अमेरिका का लक्ष्य है कि 14 महीने में अफगानिस्तान से फौज हटा ले।

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने दोहा में कहा, अफगानिस्तान के साथ ये करार तभी हो पाया जब तालिबान ने शांति का प्रयास किया और अल कायदा के साथ अपने संबंध खत्म किए। यह समझौता इस प्रयास की सच्ची परीक्षा है। दोहा, कतर में अमेरिका और तालिबान ने अफगान शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिका का लक्ष्य है कि 14 महीने में अफगानिस्तान से फौज हटा ले।

तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करने के लिये प्रतिबद्ध है, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि अगर अफगान पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहता है तो अमेरिका अपने सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य नहीं है।

युद्ध प्रभावित रहे अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिये अपने प्रयासों और तालिबान के साथ समझौते पर किये गए हस्ताक्षर के तहत अमेरिका अफगानिस्तान में अपने बलों की संख्या शुरू में ही घटाकर 8,600 सैनिकों तक करने के लिये प्रतिबद्ध है। अफगानिस्तान में अभी करीब 13,000 अमेरिकी सैनिक हैं। यह वह स्तर है जिसे अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो बलों के कमांडर, जनरल स्कॉट्स मिलर ने उनके मिशन को पूरा करने के लिये आवश्यक बताया था।

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एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा कि जवानों की वापसी और समझौता एक समानांतर प्रक्रिया है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और भारत समेत कई अन्य विदेशी राजनयिकों की मौजूदगी में अमेरिका ने दोहा में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। नाम ना जाहिर करने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, “हमारी वापसी इस समझौते से जुड़ी है और शर्तों पर आधारित है। अगर राजनीतिक समझौता विफल होता है, अगर वार्ता नाकाम होती है तो ऐसी कोई बात नहीं है कि अमेरिका सैनिकों की वापसी के लिये बाध्य है।”

अधिकारी ने कहा, “यह कहने की बात नहीं है कि राष्ट्रपति के पास अमेरिका के कमांडर-इन-चीफ के तौर पर यह विशेषाधिकार नहीं है कि वह कोई भी फैसला कर सकते हैं जो उन्हें हमारे राष्ट्रपति के तौर पर उचित लगता है, लेकिन अफगान पक्ष अगर किसी समझौते पर पहुंचने में नाकाम रहते हैं या तालिबान समझौते की वार्ता के दौरान बुरा इरादा दिखाता है तो अमेरिका पर कोई बाध्यता नहीं है कि वह अपने सैनिकों को वापस बुलाए।” सवालों के जवाब में अधिकारी ने कहा कि सैनिकों की वापसी तत्काल नहीं होगी।

सैनिकों की संख्या घटाकर 8,600 करना शुरुआती समझौते का हिस्सा है और यह कुछ महीनों में होगा। अधिकारी ने कहा, “यह तत्काल नहीं हो जाएगा। इसे अमल में लाने में थोड़ा वक्त लगेगा। लेकिन यह मौके पर मौजूद कमांडर की अनुशंसा है, राष्ट्रपति का इरादा है और यह एक समझौता है।”

एक अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के मुताबिक सैनिकों की वापसी पर काम करने का अमेरिकी इरादा समझौते में व्यक्त प्रतिबद्धता के मुताबिक तालिबान की कार्रवाई से जुड़ा है, जिसमें व्यापक आतंकवाद निरोधक प्रतिबद्धताएं भी शामिल हैं क्योंकि यह अमेरिका की प्राथमिक चिंता है...। अधिकारी ने कहा कि जहां तक दीर्घकालिक लक्ष्य की बात है, राष्ट्रपति की महत्वाकांक्षा वहां अंतत: राजनीतिक व्यवस्था बनाने, युद्ध खत्म करने और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की प्रतिबद्धता को खत्म करने की है।

We will calibrate pace of withdrawal from Afghanistan with Taliban's actions, says Pompeo

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