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अमेरिका ने 10 रूसी राजनयिकों को निकाला, नये प्रतिबंध लगाये

By भाषा | Updated: April 15, 2021 22:22 IST

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(ललित के झा)

वाशिंगटन, 15 अप्रैल अमेरिका ने पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने और अमेरिकी संघीय एजेंसियों में सेंधमारी करने के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराते हुए बृहस्पतिवार को उसके 10 राजनयिकों को निष्कासित करने तथा 30 से अधिक लोगों एवं प्रमुख वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।

इन प्रतिबंधों को सात साल पहले यूक्रेन से अलग होकर बने क्रीमिया पर रूस के सतत कब्जे और अफगानिस्तान में अमेरिका तथा गठबंधन बल के सैनिकों पर हमलों के लिए कथित रूप से इनाम घोषित करने के खिलाफ की गयी कार्रवाई के तौर पर भी देखा जा रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कांग्रेस को लिखे पत्र में कहा कि उन्होंने रूस की नुकसानदेह गतिविधियों और खासतौर पर निष्पक्ष एवं स्वतंत्र लोकतांत्रिक चुनाव की प्रक्रिया को कमजोर करने के प्रयासों आदि पर विचार किया है।

रूस ने अमेरिकी चुनावों में संलिप्तता या इनाम घोषित करने जैसे आरोपों को खारिज किया है। उसका यह भी कहना है कि सोलरविंड्स कम्प्यूटर हमलों से उसका कोई लेनादेना नहीं है।

बाइडन प्रशासन ने विदेश विभाग और वित्त विभाग के साथ तालमेल करते हुए शासकीय आदेश में प्रतिबंधों की घोषणा की।

शासकीय आदेश में यह संदेश दिया गया है कि अगर रूस अपनी अस्थिरता पैदा करने वाली अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को जारी रखता है या बढ़ाता है तो अमेरिका उस पर रणनीतिक एवं आर्थिक रूप से प्रभावी कार्रवाई करेगा।

शासकीय आदेश के बाद वित्त विभाग ने एक निर्देश जारी किया जो अमेरिकी वित्तीय संस्थानों को सेंट्रल बैंक ऑफ रशियन फेडरेशन, नेशनल वेल्थ फंड ऑफ रशियन फेडरेशन या रूसी फेडरेशन के वित्त मंत्रालय द्वारा 14 जून, 2021 के बाद जारी रूबल या गैर-रूबल बांडों के लिए प्राथमिक बाजार में भागीदारी पर रोक लगाता है।

अमेरिका ने पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनावों में हस्तक्षेप करने तथा संघीय एजेंसियों में सेंधमारी करने के लिए रूस को जवाबदेह ठहराने की दिशा में कार्रवाई की है।

कई सप्ताह से प्रशासन द्वारा इस तरह की कार्रवाई होने का पूर्वाभास था। अमेरिका द्वारा चुनाव में हस्तक्षेप और हैकिंग को लेकर जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के खिलाफ पहली बार प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गयी है।

माना जाता है कि रूसी सेंधमारों ने व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर में सेंधमारी की थी, ताकि वे कम से कम नौ एजेंसियों के नेटवर्कों को हैक कर सकें और अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि उन्होंने अमेरिकी सरकार की गुप्त जानकारी जुटाने की कोशिश की।

अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए एक अभियान की मंजूरी दी थी ताकि ट्रंप पुन: राष्ट्रपति बन सकें, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि रूस या किसी अन्य ने मतों में या परिणामों में हेरफेर की।

बृहस्पतिवार को घोषित प्रतिबंधों में छह रूसी कंपनियों पर पाबंदियां शामिल हैं जो देश की साइबर गतिविधियों में मदद करती हैं। इसके अलावा पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप की कोशिश करने तथा दुष्प्रचार करने के आरोपों में 32 लोगों और निकायों पर प्रतिबंध लगाये गये थे।

व्हाइट हाउस ने कहा कि जिन 10 राजनयिकों को निकाला गया है उनमें रूसी खुफिया सेवाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं।

उसने यह भी कहा कि बाइडन इन खबरों पर प्रतिक्रिया देने के लिए राजनयिक, सैन्य और खुफिया चैनल का इस्तेमाल कर रहे हैं कि रूस ने तालिबान को अफगानिस्तान में अमेरिका और सहयोगी देशों के सैनिकों पर हमले के लिए उकसाया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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