यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा- ग्लोबल वार्मिंग पर चेत जाइए, सभी को आगे आना होगा, ‘हम पिछड़ रहे हैं’
By भाषा | Published: September 18, 2019 02:38 PM2019-09-18T14:38:22+5:302019-09-18T14:46:28+5:30
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को आगाह किया कि जलवायु आपदा को टालने में विश्व “पिछड़ रहा है” लेकिन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य अब भी पहुंच से बाहर नहीं हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को आगाह किया कि जलवायु आपदा को टालने में विश्व “पिछड़ रहा है” लेकिन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य अब भी पहुंच से बाहर नहीं हुए हैं।
गुतारेस मीडिया के कुछ समूहों की पहल ‘कवरिंग क्लाइमेट नाउ’ के साथ साक्षात्कार में ये बातें कह रहे थे। कुछ ही दिन बाद संयुक्त राष्ट्र युवा जलवायु शिखर सम्मेलन होना है जिसके बाद वैश्विक नेताओं के साथ एक बैठक भी होगी जिसमें गुतारेस देशों से पेरिस समझौते के तहत की गई प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने की अपील करेंगे।
इस अहम समझौते के तहत देशों ने धरती के औसत तापमान में लंबे समय से हुई बढ़ोतरी को दो डिग्री या मुमकिन हो तो डेढ़ डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ने देने की प्रतिबद्धता जताई है। गुतारेस ने कहा, “मैं चाहता हूं कि पूरा समाज सरकारों पर दबाव बनाए ताकि वे समझ सकें कि उन्हें तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है क्योंकि हम दौड़ में पिछड़ रहे हैं।”
साथ ही उन्होंने कहा, “फिलहाल विज्ञान कह रहा है कि अब भी इन लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।” गुतारेस ने कहा कि अमेरिका समेत कुछ प्रमुख देशों की ओर से दिखाई जा रही निष्क्रियता को राज्य स्तर पर किए जा रहे कामों से कुछ हद तक ढका जा सकता है।
उदाहरण के लिए कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क राज्यों द्वारा वातावरण से कार्बन को कम करने की प्रतिबद्धता को अहम माना जा सकता है। उन्होंने कहा, “अमेरिका समाज की सबसे अच्छी बातों में से एक यह है कि यह एक संघीय देश है...जहां फैसले विकेंद्रीकृत होते हैं, इसलिए मैं जलवायु परिवर्तन पर फैसलों को जितना ज्यादा हो, स्थानिक रखने के पक्ष में हू।”
गुतारेस ने गौर किया कि बड़े शहर, क्षेत्र और कारोबार इस पर नियंत्रण कर रहे हैं और बैंक एवं निवेश निधियां कोयला एवं जीवाश्म ईंधन के क्षेत्रों से अपने हाथ खींच रही हैं। उन्होंने यूरोपीय संघ का भी उदाहरण दिया जहां केवल तीन देशों ने 2050 तक वातावरण को कार्बन मुक्त बनाने का विरोध किया है और कहा कि वह नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने की आहटें महसूस कर रहे हैं खासकर भारत एवं चीन में सौर ऊर्जा के बढ़ते प्रयोग के साथ।