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कोविड-19 से निपटने के लिए हमें इस आपदा के बीच रहना सीखना होगा

By भाषा | Updated: December 25, 2021 11:38 IST

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(जैक एल रोज्दिलस्की: आपदा एवं आपात प्रबंधन के एसोसिऐट प्रोफेसर, यॉर्क यूनिवर्सिटी, कनाडा)

टोरंटो, 25 दिसंबर (द कन्वरसेशन) कनाडा पिछले 700 दिन से कोरोना वायरस वैश्विक महामारी की मार झेल रहा है और अब भी इस आपदा की स्थिति गंभीर और हतोत्साहित करने वाली है। कनाडा में 22 दिसंबर को संक्रमण के 12,114 नए मामले सामने आए, जो वैश्विक महामारी की शुरुआत से अब तक के सर्वाधिक दैनिक मामले हैं।

कनाडा में यह लगातार दूसरा साल है, जब वैश्विक महामारी के कारण त्योहारी सीजन में प्रतिबंध लगाए गए हैं, कई गतिविधियों का पैमाना छोटा किया गया है और कई कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं। कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 30,000 से अधिक हो गई है।

इस समय, इस आपदा से बाहर निकलने का तरीका खोजना संघीय एवं प्रांतीय सरकारों के बस की बात नहीं है। ऐसे में कनाडा के लोगों को वैश्विक महामारी से अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना होगा और निकट भविष्य में निरंतर आपदा की स्थिति में रहना सीखना होगा।

विरोधाभासी संदेश

संघीय सरकार के कई संवाददाता सम्मेलनों में (कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन) ट्रुडो प्रशासन ने सावधानी से काम लेने का संकेत दिया है। कनाडा का दृष्टिकोण, अमेरिका के दृष्टिकोण से पूरी तरह विपरीत है। अमेरिका का दृष्टिकोण है कि ओमीक्रोन के कारण घबराए बिना छुट्टियों का आनंद लेने की कोशिश की जाए।

संवाददाताओं द्वारा सवाल किए जाने के बाद ट्रुडो सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के इस संदेश की आलोचना की कि टीकाकरण करा चुके लोग ओमीक्रोन फैलने के बावजूद छुट्टियों के लिए एकत्र हो सकते हैं।

आपदा चक्र

आपदा प्रबंधन योजना में अकसर चार चरणीय आपदा चक्र का इस्तेमाल किया जाता है: न्यूनीकरण, तैयारी, प्रतिक्रिया और आपदा से उबरना। चार चारणीय आपदा चक्र, आपदाओं से निपटने और उन्हें बेहतर तरीके से समझने में कई बार मददगार साबित होता है और भविष्य की आपदाओं के प्रबंधन के लिए सीख भी देता है।

कोविड-19 के संदर्भ में हम अब भी आपदा के आपातकाल दौर में है। चार चरणीय आपदा चक्र का कोई लाभ नजर नहीं आ रहा और महामारी से उबरने का दौर अभी दिखाई नहीं दे रहा। लोग इतना थक चुके हैं कि उनके लिए महामारी से निपटने के लिए खुद को लगातार तैयार रखना मुश्किल हो गया है। महामारी का न्यूनीकरण इस चरण पर अब भी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।

जोखिम प्रबंधन संबंधी हालिया अनुसंधान बताते हैं कि आपदाएं बहुआयामी होती हैं और इनसे निपटने के लिए जो कदम उठाए जाते हैं, वे उनके अनुसार स्वयं में बदलाव करती हैं। कोविड-19 जैसी आपदाओं से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना अहम है।

मुश्किल स्थिति से दृढ़ता और आत्मसंयम से निपटने की आवश्यकता

मौजूदा आपदा से निपटने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है। इतिहासकारों के अनुसार, महामारियों का अंत आमतौर पर दो प्रकार से होता है। पहला चिकित्सकीय अंत होता है, यानी जब संक्रमण और मौत के मामलों में गिरावट आती है। दूसरा सामाजिक अंत होता है, जब थकान या अन्य कारणों से लोग फैसला करते हैं कि महामारी उनके लिए समाप्त हो गई है, भले ही विज्ञान कुछ भी कहे।

अब यह स्वीकार करने का समय आ गया है कि हमारे पास इस आपदा से निपटने का फिलहाल कोई रास्ता नहीं है। इसलिए हमें आत्मसंयम बरतते हुए इसके साथ जीना सीखना होगा-हमारे पास और कोई विकल्प नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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