रूस को ताइवान ने दी चेतावनी, कहा, "चीन के साथ उसका समझौता अंतरराष्ट्रीय शांति को 'नुकसान' पहुंचाने वाला होगा"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 16, 2022 04:31 PM2022-09-16T16:31:04+5:302022-09-16T16:36:27+5:30
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाकात के विषय में बयान जारी करते हुए ताइवान ने कहा है कि रूस-चीन की निकटता से वैश्विक शांति के लिए संकट पैदा हो सकता है।
ताइपे: ताइवान ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के बीच हुए मुलाकात और द्विपक्षीय सहयोग के विषय पर चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मास्को और बीजिंग के होने वाले समझौते से विश्व शांति को बहुत बड़ा धक्का पहुंच सकता है।
इस संबंध में शुक्रवार को ताइवान की ओर बयान जारी करते हुए कहा गया है कि रूस-चीन के बीच होने वाले साझेदारी से वैश्विक शांति के लिए संकट पैदा हो सकता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर दोनों देशों के "अधिनायकवाद और तानाशाही की विस्तारवादी" सोच का मिलकर विरोध करना चाहिए।
चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच ताइवान ने रूस को यह चेतावनी इसलिए जारी की है क्योंकि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद पहली बार बीते गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ आमने-सामने मुलाकात हुई। इस मुलाकात के दौरान दोनों देशों के प्रमुखों ने पश्चिमी देशों के खिलाफ अपनाई जा रही रणनीति के विषय में आपसी प्रयासों की जमकर सराहना की।
उज्बेकिस्तान के समरकंद में चीन के राष्ट्रपति शी ने रूसी प्रमुख पुतिन से कहा कि वह "विश्व की प्रमुख शक्ति बनने की दिशा में रूस के साथ मिलकर प्रयास करने को तैयार हैं।" वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने शी जिनपिंग के इस समर्थन के लिए चीन द्वारा ताइवान पर किये दावे को जायज ठहराते हुए रूसी समर्थन की बात को एक बार फिर दोहराया।
बीजिंग और मास्को के इस बयान से ताइपे को बहुत बड़ा झटका लगा है। ताइवान को इस बात का भय है कि चीनी प्रमुख शी आने वाले समय में रूसी प्रमुख व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के लिए अपनाई गई युद्ध की रणनीति का अनुसरण करते हुए कहीं उस पर आक्रमण न कर दे क्योंकि चीन ताइवान को अपना अटूट हिस्सा मानता है और उस पर अपने अधीन आने के लिए दशकों से दबाव डाल रहा है।
इस संबंध में ताइवान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी रूस की विस्तारवादी सरकार का अनुसरण कर सकती है, इसकी हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। रूस ने ताइवान के संबंध में जिस तरह से चीन के प्रति समर्थन किया है वो बेहद निरााजनक है और हम इसे ताइवान की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ करने जैसा मानते हैं।
इसके साथ ही बयान में कहा गया है, "रूस शांति बनाए रखने वालों को यथास्थिति तोड़ने के उकसा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय शांति, स्थिरता, लोकतंत्र और स्वतंत्रता के प्रति चीनी और रूसी विस्तारवादी सत्ता और शासन की सोच को दर्शाता है, जो न केवल ताइवान बल्कि पूरे विश्व के लिए घातक है।"
रूस और चीन, जो कि अमेरिका के खिलाफ शीत युद्ध के सहयोगी रहे हैं। हाल के दिनों में अमेरिका के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए "नो-लिमिट्स" वाले रिश्तों के तहत एक-दूसरे के करीब आए हैं। समरकंद में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे रूस के लिए यह पहला मौका है, जब यूक्रेन युद्ध के बाद से किसी अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर खड़ा हुआ है।
यह सम्मेलन राष्ट्रपति पुतिन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी सेना इस समय भी यूक्रेनी सिपाहियों के सामने युद्ध मैदान में फंसी हुई है और इस कारण उनकी छवि को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी धक्का लगा है। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी के लिए यह सम्मेलन इसलिए बेहद अहम माना जा रहा है कि क्योंकि इसमें अपनी मजबूत छवि को प्रदर्शित करके शी अक्टूबर में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की एक महत्वपूर्ण कांग्रेस से पहले वैश्विक राजनेता के रूप में खुद को और निखारना चाहते हैं।
मालूम हो कि चीन के सबसे मुखर नेता शी जिनपिंग के नेतृत्व में बीजिंग की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को लेकर बीचे कुछ महीनों से ताइपे के साथ तीखी नोकझोंक चल रही है। ताइवान के चीन का तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया था, जब पिछले महीने अमेरिकी सदन की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी ने चीन के भारी विरोध के बीच ताइपे की यात्रा की थी।
पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने अपना रौद्ररूप दिखाते हुए ताइवान के इर्दगिर्द युद्धपोतों, मिसाइलों और लड़ाकू जेट विमानों को तैनाती में अचानक से बहुत ज्यादा इजाफा कर दिया था। उसके साथ ही चीन ने आक्रमण के पूर्वाभ्यास के तौर कई मिसाइलों का भी परीक्षण किया था। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ताइवान के "एकीकरण" को चीन की नीति के "महान सोच" का हिस्सा बताते हैं।