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सुपरमून, लाल रक्त पूर्ण चंद्रग्रहण, सब एक ही बार हो रहा, लेकिन क्या हैं इसके मायने ?

By भाषा | Updated: May 22, 2021 16:18 IST

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अब्राम्स प्लैनिटेरीअम, भौतिकी और खगोल विज्ञान विभाग, मिशिगन स्टेट यूनिवसिर्टी के निदेशक शैनल स्कमोल

डेट्रॉयट (अमेरिका), 22 मई (द कन्वर्सेशन) इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई के आरंभिक घंटे में होगा। लेकिन, यह खास परिघटना होगी क्योंकि एक ही बार में सुपरमून, चंद्र ग्रहण और लाल रक्त चंद्रमा होगा।

तो इसके क्या हैं मायने? सुपरमून क्या होता है?

पृथ्वी का चक्कर काटते समय ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है यानी सबसे कम दूरी होती है। इस दौरान कक्षा में करीबी बिंदु से इसकी दूरी करीब 28,000 मील रहती है। इसी परिघटना को सुपरमून कहा जाता है।

इसमें सुपर का क्या अर्थ है? चंद्रमा के निकट आ जाने से यह आकार में बड़ा और चमकीला दिखता है। वैसे, सुपरमून और सामान्य चंद्रमा के बीच कोई अंतर निकालना कठिन है जब तक कि दोनों स्थिति की तस्वीरों को किनारे से ना देखें।

चंद्र ग्रहण से क्या मतलब है। चंद्र ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह या आंशिक रूप से छिप जाता है। यह परिघटना पूर्णिमा के दौरान होती है। इसलिए पहले पूर्णिमा के चंद्रमा को समझने का प्रयास करते हैं।

पृथ्वी की तरह ही चंद्रमा का आधा हिस्सा सूरज की रोशनी में प्रकाशित रहता है। पूर्ण चंद्र की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा और सूरज पृथ्वी के विपरीत दिशा में होते हैं। इससे रात में चंद्रमा तश्तरी की तरह नजर आता है।

प्रत्येक चंद्र कक्षा में दो बार चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य दोनों के समान क्षैतिज तल पर होता है। अगर यह पूर्ण चंद्रमा से मेल खाती है तो सूरज, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आते हैं और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरेगा। इससे पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है।

चंद्रमा के, छाया से गुजरने के दौरान चंद्र ग्रहण पृथ्वी के रात्रि वाले हिस्से से दिखेगा। इस तरह 26 मई 2021 को ग्रहण देखने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान प्रशांत महासागर के मध्य, ऑस्ट्रेलिया, एशिया के पूर्वी तट और अमेरिका के पश्चिमी तट में होंगे। अमेरिका के पूर्वी हिस्से से भी यह दिखेगा लेकिन आरंभिक चरण का ही चंद्र ग्रहण नजर आएगा।

चंद्रमा लाल क्यों दिखता है?

जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में पूरी तरह ढक जाता है तो अंधेरा छा जाता है लेकिन पूरी तरह स्याह नहीं होता। इसके बजाए यह लाल रंग का दिखता है इसलिए पूर्ण चंद्र ग्रहण को लाल या रक्त चंद्रमा भी कहा जाता है।

सूर्य के प्रकाश में दृश्य प्रकाश के सभी रंग होते हैं। पृथ्वी के वातावरण से गुजरने के दौरान प्रकाश में नीला प्रकाश छन जाता है जबकि लाल हिस्सा इससे गुजर जाता है। इसलिए आकाश नीला दिखता है और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय लालिमा छा जाती है।

चंद्र ग्रहण के मामले में लाल प्रकाश पृथ्वी के वातावरण से होकर गुजरता है और यह चंद्रमा की ओर मुड़ जाता है जबकि नीला प्रकाश इससे बाहर रह जाता है। इससे चंद्रमा पूरी तरह लाल नजर आता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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