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श्रीलंकाई तमिलों ने यूएनएचआरसी से स्वतंत्र जांच तंत्र बनाने की अपील की

By भाषा | Updated: January 16, 2021 18:00 IST

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कोलंबो, 16 जनवरी श्रीलंका की अल्पसंख्यक तमिल राजनीतिक पार्टियों और नागरिक समाज समूहों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से लगभग तीन दशक के गृहयुद्ध के दौरान कथित मानवाधिकार हनन पर द्वीपीय देश से जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त समयसीमा के साथ एक अंतरराष्ट्रीय स्वतंत्र जांच तंत्र स्थापित करने का आग्रह किया है।

यूएनएचआरसी के 47 सदस्यीय देशों के मिशनों को संबोधित 15 जनवरी की तिथि वाले एक पत्र में तमिल राजनीतिक पार्टियों और नागरिक समाज समूहों ने एक वर्ष की सख्त समयसीमा के साथ सबूत इकट्ठा करने वाले तंत्र की स्थापना करने का आह्वान किया जैसा सीरिया को लेकर किया गया था।

उन्होंने श्रीलंका की जवाबदेही पर एक नए प्रस्ताव का आग्रह किया। श्रीलंका ने 2013 के बाद से लगातार तीन यूएनएचआरसी प्रस्तावों का सामना किया है, जिनमें 2009 में गृह युद्ध के अंतिम चरण के दौरान सरकारी सैनिकों और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) दोनों द्वारा कथित युद्ध अपराधों की स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच के लिए कहा गया था।

पत्र में तमिल और नागरिक समाज समूहों ने उल्लेखित किया कि 2009 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव बान की मून ने श्रीलंका के युद्ध क्षेत्रों के अपने दौरे के बाद कहा था कि श्रीलंकाई सरकार अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन की जांच करने के लिए सहमत हुई है।

समूहों ने कहा कि श्रीलंका की प्रतिबद्धताओं के मूल्यांकन के लिए यूएनएचआरसी की बैठक अगले महीने और मार्च में होने वाली है।

उन्होंने यह कहते हुए एक नए प्रस्ताव का आह्वान किया कि श्रीलंका विफल हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में यह होना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को मामले को उठाना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय और श्रीलंका के कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच करने के लिए एक प्रभावी अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही तंत्र के माध्यम से उचित कार्रवाई करनी चाहिए।

वर्तमान सरकार श्रीलंका द्वारा 2015, 2017 और 2019 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा सह प्रायोजित संकल्प से पहले ही पीछे हट गई है।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार महिंदा राजपक्षे के शासनकाल के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा 40,000 नागरिकों को मार दिया गया था। 2009 में लिट्टे की हार के साथ श्रीलंका में लगभग तीन दशक का गृहयुद्ध का अंत हुआ था। सरकारी सेना और तमिल टाइगर विद्रोही दोनों पर युद्ध अपराधों के आरोप हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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