इस्तीफा देंगे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, पीएम रानिल विक्रमसिंघे ने की पुष्टि
By मनाली रस्तोगी | Published: July 11, 2022 09:58 AM2022-07-11T09:58:47+5:302022-07-11T10:08:10+5:30
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का इस्तीफा शनिवार को राष्ट्रपति भवन में हजारों लोगों के धावा बोलने के बाद आया है। यहां तक कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी चल रहे विरोध के बीच अपने पदों से हटने की घोषणा की है।
कोलंबो: प्रदर्शनकारियों के बढ़ते दबाव के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को आधिकारिक रूप से सूचित कर दिया है कि वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। कोलंबो गजट के अनुसार, प्रधानमंत्री की मीडिया इकाई ने कहा कि राजपक्षे ने सूचित किया है कि वह पहले की घोषणा के अनुसार इस्तीफा दे देंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, "राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बताया कि वह 13 जुलाई को इस्तीफा दे देंगे।" उल्लेखनीय है कि श्रीलंका में व्यापक स्तर पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे ने नौ मई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले शनिवार को स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि राष्ट्रपति 13 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। राजपक्षे का इस्तीफा शनिवार को राष्ट्रपति भवन में हजारों लोगों के धावा बोलने के बाद आया है। यहां तक कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी चल रहे विरोध के बीच अपने पदों से हटने की घोषणा की है।
हालांकि, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों पर कब्जा करने वाले प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया है कि वे अपने पदों से इस्तीफा देने तक अपने घरों पर कब्जा करना जारी रखेंगे। नाटकीय दृश्य पीएम के आधिकारिक आवास से आए जहां उन्हें कैरम बोर्ड खेलते, सोफे पर सोते, पार्क परिसर में आनंद लेते और रात के खाने के लिए खाना बनाते देखा गया।
देश में बिगड़ती आर्थिक स्थिति ने तनाव को बढ़ा दिया है और पिछले कुछ हफ्तों में ईंधन स्टेशनों पर व्यक्तियों और पुलिस कर्मियों और सशस्त्र बलों के बीच कई टकराव की खबरें आई हैं। 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, जोकि कोविड-19 महामारी आया है। तेल आपूर्ति की कमी ने स्कूलों और सरकारी कार्यालयों को अगली सूचना तक बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है। घरेलू कृषि उत्पादन में कमी, विदेशी मुद्रा भंडार की कमी और स्थानीय मुद्रा मूल्यह्रास ने कमी को हवा दी है।