श्रीलंका: प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने खोला राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ मोर्चा, इस्तीफा मांग रहे प्रदर्शनकारियों का किया समर्थन
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 15, 2022 02:09 PM2022-05-15T14:09:27+5:302022-05-15T14:15:17+5:30
श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने प्रदर्शकारियों की उस मांग का समर्थन किया है, जिसमें वो राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे का इस्तीफा मांग रहे हैं।
कोलंबो: देश के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक परिवार द्वारा प्रधानमंभी का पद छोड़े जाने के बाद नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले रानिल विक्रमसिंघे ने पद संभालते ही राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
प्रदर्शनकारियों द्वारा राष्ट्रपति राजपक्षे को देश की खराब अर्थव्यस्था के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है और जनता बीते लगभग एक महीने से गोटबाया राजपक्षे से मांग कर रही है कि वो राष्ट्रपति पद को खाली करें।
इस मामले में दिलचस्प मोड़ उस वक्त आ गया जब श्रीलंका के नवनियुक्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी प्रदर्शकारियों की मांग का समर्थन कर दिया है।
प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बीते शनिवार को कहा कि उन्होंने 'गोटा गो होम' गांव के उन प्रदर्शनकारियों की मांग पर विचार करने के लिए एक समिति नियुक्त की है, जो बीते 9 अप्रैल से कोलंबो के गाले फेस ग्रीन में राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे द्वारा प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिये जाने के बाद बदहाल श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने हैं। उन्होंने कहा कि 'गोटा गो होम' गांव में राष्ट्रपति के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवाओं से बातचीत की जाएगी और उनकी मांग पर विचार किया जाएगा।
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने बीबीसी सिंहल सर्विस को दिये इंटरव्यू में कहा कि मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए 'गोटा गो होम' में चल रहे विरोध प्रदर्शन को जारी रहना चाहिए और हम उम्मीद करते हैं कि देश के युवा नेतृत्व की जिम्मेदारी लेंगे।
73 साल के यूनाइटेड नेशनल पार्टी के वरिष्ठ नेता रानिल विक्रमसिंघे बीते गुरुवार को श्रीलंका के 26वें प्रधानमंत्री बने। देश की खराब अर्थव्यवस्था और बदहाली के बीच विक्रमसिंघे को उस समय प्रधानमंत्री पद की शपथ लेनी पड़ी जब पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने जनता के भयानक आक्रोश के बीच अपने इस्तीफा देना पड़ा था।
दरअसल श्रीलंका के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक राजपक्षे परिवार के खिलाफ प्रदर्शनकारी हिंसक हो उठे थे और हिंसा में राजपक्षे समर्थक करीब नौ लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए। उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने शांति बहाली के लिए पद छोड़ दिया था और कोलंबो छोड़कर एक सेफ नेवल बेस पर चले थे।
वहीं राजपक्षे द्वारा कोलंबो छोड़े जाने के बाद अफवाह उड़ी थी कि महिंद्रा राजपक्षे हिंसक प्रदर्शनकारियों के डर से भागकर भारत में आ गये हैं, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस अफवाह का खंडन किया था।
तब श्रीलंका नेवी ने इस बात को स्वीकार किया था कि कोलंबो के खराब हालात को देखते हुए महिंद्रा राजपक्षे नेवी के एक सुरक्षित बेस पर रह हैं।
उससे पहले बीते 9 मई को हिंसक प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सहित कम से कम 78 सांसदों की निजी संपत्तियों पर तोड़फोड़ और आगजनी की थी।
साल 1948 में मिली स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है। देश में आर्थिक संकट इस कदर गहरा गया है कि देश में ईंधन, रसोई गैस और अन्य आवश्यक चीजों की भारी किल्लत हो गई है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)