श्रीलंका: पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना 2019 में हुए ईस्टर धमाके के संदिग्ध बनाये गये, कोर्ट ने किया तलब
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 16, 2022 08:28 PM2022-09-16T20:28:52+5:302022-09-16T20:42:17+5:30
कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना पर ईस्टर बम धमाकों के संबंध में मिले खुफिया रिपोर्टों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही अदालत ने उन्हें 14 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
कोलंबो: पूर्व राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना को श्रीलंका की एक अदालत ने साल 2019 के ईस्टर बम विस्फोटों में संदिग्ध के तौर पर शामिल किया है। इस मामल में शुक्रवार को कोलंबो फोर्ट मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति सिरिसेना पर बम विस्फोटों के संबंध में मिले खुफिया रिपोर्टों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही अदालत ने 14 अक्टूबर को 71 साल के सिरिसेना को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
कोर्ट में पेश किये गये आरोपों के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति सिरिसेना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण बम विस्फोट से संबंधित खुफिया चेतावनियों को अनदेखी किया और उन रिपोर्टों पर कार्रवाई करने का कोई आदेश नहीं दिया।
बताया जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति सिरिसेना को विस्फोट के बाद गठित हुए एक जांच पैनल ने हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया था, जिसे कैथोलिक चर्च और बम धमाकों में मारे गये मृतकों रिश्तेदारों के दबाव के बाद उन्होंने मजबूरन नियुक्त किया था। हालांकि पूर्व राष्ट्रपति ने जांच आयोग द्वारा उन्हें दोषी ठहराये जाने का विरोध करते हुए सारे आरोपों से इनकार किया गया था।
विशेष जांच में पूर्व राष्ट्रपति के साथ पूर्व पुलिस प्रमुख पुजित जयसुंदरा और पूर्व रक्षा सचिव हेमासिरी फर्नांडो सहित अन्य रक्षा अधिकारियों को भी पूर्व खुफिया जानकारी की अनदेखी करने का दोषी ठहराया गया था। इसके साथ ही जांच रिपोर्ट में सिरिसेना सहित शामिल अन्य श्रीलंकाई अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने की सिफारिश की गई थी।
आर्थिक दुश्वारियों के चलते राष्ट्रपति पद से अपदस्थ होने वाले पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर ईस्टर विस्फोट मामले में हुई जांच के निष्कर्षों को लागू करने का दबाव था, लेकिन चूंकि इसमें सीधे तौर पर पूर्व राष्ट्रपति सिरिसेना फंस रहे थे। इसलिए गोटबाया ने रिपोर्ट पर कार्रवाई से इनकार कर दिया था। इसका सबसे प्रमुख कारण था कि सिरिसेना तब की सत्तारूढ़ एसएलपीपी गठबंधन के अध्यक्ष बन चुके थे।
मालूम हो कि 21 अप्रैल 2019 को इस्लामिक आतंकी संगठन आईएसआईएस से जुड़े स्थानीय नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) के नौ आत्मघाती हमलावरों ने तीन चर्चों और कई लक्जरी होटलों में बम धमाकों को अंजाम दिया था, जिसमें 270 लोग मारे गए थे और 500 से अधिक लोग घायल हुए थे।
इस भीषण हमले के बाद राष्ट्रपति सिरिसेना और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार पर हमले की खुफिया जानकारी होने के बावजूद धमाकों को रोकने से फेल होने के कारण दोषी ठहराया गया था। ईस्टर हमले की तीसरी बरसी पर तत्कालीन प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कसम खाई थी कि श्रीलंका सरकार तब तक आराम नहीं करेगी जब तक कि वो 2019 के हमलों के दोषियों को न्याय नहीं दिलवा लेती है।
वहीं स्थानीय चर्च के प्रमुख और कोलंबो कार्डिनल मैल्कम रंजीथ के आर्कबिशप के नेतृत्व में ईस्टर हमलों के पीड़ितों के परिवारों ने जांच की धीमी गति से करने के कारण सरकार की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने दावा किया था कि हमले की असली वजहों को छुपाने का के लिए राजनीतिक चाल चली जा रही है। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)