श्रीलंका बम ब्लास्ट: सरकार ने सोशल मीडिया पर लगाय प्रतिबंध, फेसबुक और व्हाट्सऐप किया बैन
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 13, 2019 01:25 PM2019-05-13T13:25:36+5:302019-05-13T13:25:36+5:30
श्रीलंका में पिछले महीने हुए सीरियल धमाकों के बाद सरकार सुरक्षा मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। सरकार ने एक नए आदेश में कहा कि देश में मौजूद सभी मिस्जदों में जो उपदेश सुनाए जाते हैं, उनकी एक कॉपी जमा कराना जरूरी है।
श्रीलंका में पिछले महीने हुए सीरियल धमाकों के बाद सरकार सुरक्षा मजबूत करने के लिए लगातार कदम उठा रही है। इसी के तहत अल्पसंख्यक मुसलमानों और बहुसंख्यक सिंहली समुदाय के बीच बढ़ रहे तनाव की पृष्ठभूमि में श्रीलंका सरकार ने सोमवार (13 मई) को सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया। ईस्टर के दिन गिरजाघरों और होटलों पर हुए हमले में करीब 260 लोग मारे गए थे।
एक मुसलमान दुकानदार के फेसबुक पोस्ट को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद चिलाव शहर में भीड़ ने एक मस्जिद और कुछ दुकानों पर हमला किया। अधिकारियों ने बताया कि अल्पसंख्यक मुसलमानों और बहुसंख्यक सिंहलियों के साथ झड़प के बाद मध्य रात्रि से फेसबुक और व्हाट्सऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
रविवार (12 मई) देर शाम अशांति कुलियापितिया तक फैल गई जहां एक मस्जिद और कुछ मुसलमान दुकानदारों पर हमला हुआ। इस कारण क्षेत्र में कर्फ्यू लगाना पड़ा। पुलिस प्रवक्ता रुवन गुणेशखर ने बताया कि कुलियापितिया और चिलाव से कर्फ्यू हटा लिया गया है।
श्रीलंका में चरमपंथी विचार प्रसारित करने का आरोपी वांछित मौलाना गिरफ्तार
श्रीलंका के भंडारनायके अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर 47 वर्षीय एक वांछित मौलाना को सुरक्षा बलों ने सोशल मीडिया पर चरमपंथी विचार प्रसारित करने के आरोप में गिरफ्तार किया। एक मीडिया रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।
डेली मिरर की खबर के मुताबिक मौलाना की पहचान का खुलासा अभी नहीं किया गया है। मौलाना सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडिया प्रसारित करने के मामले में वांछित थे जो समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है।मौलाना को 14 मई तक के लिए हिरासत में भेज दिया गया है। संदिग्ध वावुनिया का रहनेवाले हैं और उन्हें शनिवार को उस समय गिरफ्तार किया गया जब वह मक्का से हज करके हवाईअड्डे पर पहुंचे थे। अ
खबार की खबर के मुताबिक संदिग्ध लोगों को हज पर भेजता था। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब देश के मस्जिदों के न्यासियों को निर्देश दिया गया है कि वह घृणा का प्रचार करने वाले किसी भी बैठक में न तो हिस्सा लें और न ही ऐसी बैठक की अनुमति दें। न्यासियों को धार्मिक उपदेशों की रिकॉर्डिंग भी अधिकारियों के पास भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
मस्जिदों में सुनाए जाने वाले उपदेशों की दिखानी होगी कॉपी
श्रीलंका सरकार ने हाल ही में ये भी आदेश में कहा कि देश में मौजूद सभी मिस्जदों में जो उपदेश सुनाए जाते हैं, उनकी एक कॉपी जमा कराना जरूरी है।
बताया जा रहा है कि आईएस के हमलों की जिम्मेदारी लेने के बाद से ही श्रीलंका में इस्लामी आतंकवाद खत्म करने के लिए ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं। श्रीलंका के धर्म और सांस्कृतिक मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि मस्जिदों का इस्तेमाल कट्टरपंथी विचार फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए। ऐसे में देश की स्थिति को देखते हुए सभी मस्जिदों के ट्रस्टियों को निर्देश दिए जाते हैं कि वह मस्जिद को कट्टरपंथी गतिविधि या नफरत फैलाने का केंद्र न बनने दें। चेहरा ढंकने पर भी लग चुका है।