श्रीलंका: कार्यवाहक राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे ने देश में लगाया आपातकाल
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 18, 2022 03:26 PM2022-07-18T15:26:55+5:302022-07-18T15:31:05+5:30
श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे द्वारा एक बार फिर देश में आपातकाल लागू कर दिया गया है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने भी देश में आपातकाल लालू किया था।
कोलंबो:श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने पद संभालने के बाद रविवार देर रात एक अभूतपूर्व फैसला लेते हुए देश में फिर से आपातकाल लागू कर दिया है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा आपातकाल लागू किया गया था जो अब भी जारी है। ऐसे में कार्यवाहक राष्ट्रपति विक्रमसिंघे द्वारा एक बार फिर सरकारी नोटिस जारी करते हुए आपातकाल लगाये जाने की घोषणा पर काफी आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है।
देश की खराब आर्थिक स्थिति और प्रदर्शनकारियों के हिंसक विरोध के बाद पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने श्रीलंका छोड़ दिया था और अपने पद से त्यागपत्र भी दे दिया था। उसके बाद स्पीकर ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया था।
कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने आपातकाल की घोषणा करते हुए प्रदर्शनकारियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि उनके द्वारा की जा रही किसी भी तरह की अराजकता और हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विक्रमसिंघे ने देश में आपातकाल की घोषणा करते हुए जनता से अपील की है कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि देश को आर्थिक संकट से निकला जा सके और इसके लिए सरकार को जनता के साथ की जरूरत है। ऐसे में जनता से उम्मीद की जाती है कि वो सरकार के साथ खड़ी होगी और हिंसक प्रदर्शन को तत्काल रोकेगी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों को बंद कर देगी। उन्होंने जनता से अपील में कहा कि आइये हम प्रयास करते हैं श्रीलंका की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का।
आपातकाल की जो नई अदिसूचना सरकार की ओर से जारी की गई है, उसमें बताया गया है कि सार्वजनिक सुरक्षा, समुदाय के जीवन के लिए और आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति और रखरखाव के लिए देश में आपातकाल लगाना जरूरी है।
मालूम हो कि बीते शुक्रवार को श्रीलंकाई संसद ने पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे द्वारा दिये गये इस्तीफे को स्वीकार कर लिया गया था। गुजरे एक हफ्ते पहले श्रीलंका की राजधानी कोलंबो की सड़कों पर राजपक्षे सरकार के विरोध में हजारों प्रदर्शनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन किया था। उस दौरान जनता ने सरकारी आधिकारिक आवास और कार्यालयों पर कब्जा कर लिया था।
जिसके बाद पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अपनी जान बचाने के लिए सेना के विमान से पहले मालदीव भागे और उसके बाद वो सिंगापुर चले गये। मालदीव ने गोटबाया राजपक्षे के आगमन पर खामोशी बरती लेकिन सिंगापुर ने गोटाबाया राजपक्षे के आगमन के संबंध में चुप्पी तोड़ते हुए उन्हें राजनैतिक शरण देने से स्पष्ट इनकार कर दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वो वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ बतौर पर्यटक देश में रह सकते हैं।