Sheikh Hasina verdict: 30 दिन आंदोलन और 1400 लोग की मौत?, 78 वर्षीय शेख हसीना को सजा-ए-मौत, देखिए टाइमलाइन

By सतीश कुमार सिंह | Updated: November 17, 2025 15:43 IST2025-11-17T15:26:15+5:302025-11-17T15:43:36+5:30

Sheikh Hasina verdict LIVE: बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले वर्ष जुलाई में उनकी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के दौरान किए गए ‘‘मानवता के विरुद्ध अपराधों’’ के लिए सोमवार को एक विशेष न्यायाधिकरण द्वारा उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई गई।

Sheikh Hasina verdict LIVE Sheikh Hasina Gets Death Penalty 30 days protest 1400 people dead 78-year-old Sheikh Hasina sentenced to death see timeline | Sheikh Hasina verdict: 30 दिन आंदोलन और 1400 लोग की मौत?, 78 वर्षीय शेख हसीना को सजा-ए-मौत, देखिए टाइमलाइन

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Highlightsतीनों आरोपियों ने देश भर में प्रदर्शनकारियों की हत्या करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर अत्याचार किए। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-बांग्लादेश (आईसीटी-बीडी) ने सजा सुनाई। इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था। पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर घातक कार्रवाई के पीछे हसीना का ही हाथ था।

ढाकाः बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवता के विरुद्ध कथित अपराधों के एक मामले में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई है। अदालत ने हसीना को तीन मामलों में दोषी पाया और महीनों तक चले मुकदमे का समापन किया। पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह पर घातक कार्रवाई का आदेश देने का दोषी पाया गया। अवामी लीग सरकार गिर गई थी। न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने हसीना के दो सहयोगियों, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून के खिलाफ भी फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि तीनों आरोपियों ने देश भर में प्रदर्शनकारियों की हत्या करने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर अत्याचार किए।

पिछले वर्ष पांच अगस्त को अपनी सरकार गिरने के बाद से भारत में रह रही 78 वर्षीय हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-बांग्लादेश (आईसीटी-बीडी) ने सजा सुनाई। इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था। ढाका में कड़ी सुरक्षा वाले अदालत कक्ष में फैसला पढ़ते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के यह साबित कर दिया है कि पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर घातक कार्रवाई के पीछे हसीना का ही हाथ था।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि ‘‘जुलाई विद्रोह’’ के नाम से, करीब एक महीने तक चले आंदोलन के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे। निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल प्रयोग का आदेश देने, भड़काऊ बयान देने और ढाका तथा आसपास के इलाकों में कई छात्रों की हत्या के लिए अभियान चलाने की अनुमति देने के लिए मौत की सजा सुनाई गई है।

इस बीच, हसीना ने कहा कि अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा कि वे घबराएं नहीं। हसीना, उनके गृह मंत्री असद-उज-जमां खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर पिछले वर्ष सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप है।

इनमें हत्या, हत्या की कोशिश, प्रताड़ित करना और अन्य अमानवीय कृत्य शामिल हैं। न्यायाधिकरण ने 10 जुलाई को तीनों के खिलाफ आरोप तय किए थे। हसीना और कमाल पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया तथा अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया, जबकि मामून ने व्यक्तिगत रूप से मुकदमे का सामना किया, लेकिन वह सरकारी गवाह बन गया।

इस बीच, हसीना ने अपनी पार्टी अवामी लीग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक ऑडियो संदेश में पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से सजा के बारे में चिंता न करने को कहा। उन्होंने कहा कि ‘‘हमने इस तरह के हमलों और मामलों को बहुत देखा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...मुझे परवाह नहीं है, अल्लाह ने मुझे जीवन दिया है और एक दिन मेरी मौत आएगी,

लेकिन मैं देश के लोगों के लिए काम कर रही हूं और ऐसा करना जारी रखूंगी।’’ अपदस्थ प्रधानमंत्री ने सामूहिक हत्याओं के आरोपों से इनकार किया और अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर जिम्मेदारी डालते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं कहा था कि उन्होंने एक ‘‘सुनियोजित योजना’’ के तहत ‘‘मेरी सरकार’’ को अपदस्थ किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संविधान के अनुच्छेद 7 (बी) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर कोई निर्वाचित प्रतिनिधियों को बलपूर्वक सत्ता से हटाता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। यूनुस ने यही (मुझे बलपूर्वक सत्ता से हटाया) किया।’’ हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले अभियोजक ‘‘पूरी तरह से झूठे’’ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई अदालत में झूठी शिकायत करता है, तो उस पर कानून के तहत मुकदमा चलता है और एक दिन ऐसा होगा ही।’’ न्यायाधिकरण ने 28 कार्य दिवसों के बाद 23 अक्टूबर को मामले की सुनवाई पूरी की, जब 54 गवाहों ने अदालत के समक्ष गवाही दी कि किस प्रकार पिछले वर्ष ‘जुलाई विद्रोह’ नामक छात्र आंदोलन को दबाने के प्रयास किए गए थे। जिसने पांच अगस्त 2024 को हसीना की अब भंग हो चुकी अवामी लीग सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था।

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