चीन बना रहा है तीसरा विमान वाहक, एशिया में सबसे बड़ा युद्धपोत, हिन्द महासागर पर नजर

By सतीश कुमार सिंह | Published: May 8, 2019 12:54 PM2019-05-08T12:54:16+5:302019-05-08T12:54:16+5:30

इसका निर्माण शंघाई के करीब जियानगन शिपयार्ड में किया जा रहा है। चीन सरकार और वहां के सैन्य अधिकारियों से न्यूज एजेंसी ने जब इस खबर पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि, पिछले महीने अमेरिकी रक्षा मुख्यालय ने भी इसकी जानकारी दी थी।

Satellite photos indicate bow and hull are already under assembly, ChinaPower says, and carrier is expected to be completed in 2022. | चीन बना रहा है तीसरा विमान वाहक, एशिया में सबसे बड़ा युद्धपोत, हिन्द महासागर पर नजर

ऐसी संभावना है कि यह 80 से 85 हजार टन के ‘टाइप 002’ विमान वाहक के निर्माण की शुरुआत है जिसके बारे में चीनी नौसेना की योजना बनाने की बात कही जा रही है।

Highlightsतैयार होने के बाद चीन एशिया में सबसे आगे हो जाएगा। भारत और जापान भी पीछे हो जाएंगे।भारत के पास अभी 45 हजार टन वजनी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य है। विक्रांत क्लास के 40 हजार टन वजनी एक विमानवाहक पोत का निर्माण चल रहा है।

एक अमेरिकी थिंक टैंक ने सैटेलाइट इमेज जारी कर दावा किया कि चीन अपना तीसरा और सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर बना रहा है। उपग्रह से खींची गई हालिया तस्वीरें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि चीन अपने तीसरे विमान वाहक पोत का निर्माण कर रहा है।

सामरिक एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र की इकाई ‘चाइनापावर’ ने शंघाई के जियांगनान शिपयार्ड में निर्माणाधीन एक बड़े पोत की तस्वीरें प्रकाशित की हैं। ऐसी संभावना है कि यह 80 से 85 हजार टन के ‘टाइप 002’ विमान वाहक के निर्माण की शुरुआत है जिसके बारे में चीनी नौसेना की योजना बनाने की बात कही जा रही है।

‘चाइनापावर’ ने कहा, ‘‘बादलों और कोहरे के बीच यह दिखाई देता प्रतीत होता है कि यह किसी बड़े पोत का ढांचा है।’’ उसने कहा, ‘‘ ‘टाइप 002’ से संबंधित जानकारियां सीमित हैं, लेकिन जियांगनान में जो दिखाई दिया है, वह पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना के तीसरे विमान वाहक की तरह लगता है।’’

चीन ने अपना विमान वाहक 66000 टन वजनी लिओनिंग रूस से खरीदा था, जो तीन दशक पुराना है। चीन का दूसरा ‘टाइप 001ए’ विमान वाहक स्वदेश निर्मित है। ‘चाइनापावर’ ने ऑनलाइन प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा कि वाहक का निर्माण 2022 तक पूरा होने की उम्मीद है।

एक वरिष्ठ चीनी नौसैन्य विशेषज्ञ ने जनवरी में कहा था कि चीन को अपनी तटरेखा और वैश्विक हितों की रक्षा के लिए ‘‘कम से कम’’ तीन विमान वाहकों की आवश्यकता है। 

पेंटागन ने पिछले महीने खबर की पुष्टि तो की थी लेकिन कहा था कि फिलहाल उनके पास इसकी तस्वीरें उपलब्ध नहीं हैं। सीएसआईएस ने अब यह तस्वीरें जारी कर दावे को मजबूत किया है। 

विमान वाहक पोत पूरी तरह से स्वदेशी होगा

यह विमान वाहक पोत पूरी तरह से स्वदेशी होगा। इसके जरिए चीन पूर्वी एशिया में अपना दबदबा बढ़ाना चाहता है। इस मामले में अब तक वह अमेरिका से काफी पीछे रहा है। सैटेलाइट इमेज से साफ होता है कि इस एयरक्राफ्ट कैरियर के सामने वाले हिस्से में 30 मीटर और 41 मीटर के दो सेक्शन बनाए जा रहे हैं और इसके लिए ताकतवर क्रेनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।  

अमेरिका के पास फिलहाल 1 लाख टन और फ्रांस के पास 42,500 टन के एयरक्राफ्ट कैरियर हैं

जानकारी के मुताबिक, इस तरह के कैरियर को 002 टाइप कहा जाता है। अमेरिका के पास फिलहाल 1 लाख टन और फ्रांस के पास 42,500 टन के एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। माना जा रहा है कि चीन का यह एयरक्राफ्ट कैरियर अमेरिका से काफी छोटा, लेकिन फ्रांस से कुछ बड़ा होगा।

पेंटागन ने अपनी पिछली रिपोर्ट में कहा था चीन के इस एयक्राफ्ट कैरियर से विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ में काफी सुधार होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, अभी यह कहना मुश्किल है कि यह एयरक्राफ्ट कैरियर न्युक्लियर पॉवर्ड होगा या नहीं। वैसे, चीन के पास 10 परमाणु पनडुब्बी हैं।

 हॉन्गकॉन्ग के रक्षा विशेषज्ञ इयान स्टेरे ने कहा- इसके तैयार होने के बाद चीन एशिया में सबसे आगे हो जाएगा। भारत और जापान भी पीछे हो जाएंगे। दोनों देशों की निर्भरता अमेरिका पर बढ़ जाएगी। भारत के पास अभी 45 हजार टन वजनी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य है। विक्रांत क्लास के 40 हजार टन वजनी एक विमानवाहक पोत का निर्माण चल रहा है।

Web Title: Satellite photos indicate bow and hull are already under assembly, ChinaPower says, and carrier is expected to be completed in 2022.

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