रूस ने अमेरिका को दी चेतावनी, हर आने वाले प्रक्षेपास्त्र को परमाणु हथियार की तरह देखेंगे
By भाषा | Published: August 7, 2020 09:35 PM2020-08-07T21:35:29+5:302020-08-07T21:35:29+5:30
लेख जून में रूस की परमाणु प्रतिरोध नीति के प्रकाशन के बाद आया है जिसमें राष्ट्र के महत्वपूर्ण सरकारी और सैन्य ढांचों पर पारंपरिक हमले के जवाब में परमाणु हथियारों के उपयोग की बात कही गयी है।
मास्कोः रूस की सेना ने शुक्रवार को प्रकाशित एक लेख में चेतावनी दी कि उसका देश अपने क्षेत्र में आने वाले किसी भी बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र को परमाणु हमले के तौर पर देखेगा जिसका परमाणु हथियार से जवाब दिये जाने की जरूरत है।
आधिकारिक सैन्य अखबार क्रसनाया ज्वेज्डा (रेड स्टार) में प्रकाशित यह सख्त चेतावनी अमेरिका को निर्देशित थी जो लंबी दूरी के गैर परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। यह लेख जून में रूस की परमाणु प्रतिरोध नीति के प्रकाशन के बाद आया है जिसमें राष्ट्र के महत्वपूर्ण सरकारी और सैन्य ढांचों पर पारंपरिक हमले के जवाब में परमाणु हथियारों के उपयोग की बात कही गयी है।
क्रसनाया ज्वेज्डा में प्रकाशित लेख में रूसी सेना के जनरल स्टाफ के वरिष्ठ अधिकारी,मेजर जनरल एंड्रेई स्टर्लिन और कर्नल एलेक्जेंडर क्रयापिन ने कहा कि यह तय करने का कोई तरीका नहीं है कि आने वाला बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र परमाणु आयुध वाला है या परंपरागत आयुध वाला, इसलिये सेना इसे परमाणु हमले के तौर पर देखेगी।
लेख में कहा गया, “किसी भी हमलावर प्रक्षेपास्त्र के संदर्भ में माना जाएगा कि वह परमाणु आयुध से लैस है।” इसमें कहा गया, “प्रक्षेपास्त्र दागे जाने की जानकारी स्वत: ही रूसी सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व को प्रसारित हो जाएगी। जो बनने वाली परिस्थितियों के मद्देनजर परमाणु बलों द्वारा जवाबी कार्रवाई की गुंजाइश तय करेंगे।”
यह दलील लंबे समय से रूस की परेशानी का सबब लंबी दूरी तक मार करने वाले उन हथियारों के विकास से जुड़ी है जिसके तहत अमेरिका बिना परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के प्रमुख सैन्य व सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की क्षमता प्राप्त कर सकता है।
अमेरिकी राजदूत ने ईरान को दुनिया में आतंकवाद का नंबर एक प्रायोजक बताया
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत कैली क्राफ्ट ने ईरान को ‘‘दुनिया में आतंकवाद का नंबर एक प्रायोजक’’ बताया और रूस तथा चीन को आगाह किया कि अगर वे ईरान पर संयुक्त राष्ट्र हथियार प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव को बाधित करेंगे तो वे भी आतंकवाद के ‘‘सह-प्रायोजक’’ बन जाएंगे।
राजदूत कैली क्राफ्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र को उम्मीद है कि रूस और चीन ‘‘आतंकवाद के नंबर एक प्रायोजक देश के सह-प्रायोजक नहीं बनेंगे’’ और पश्चिम एशिया में शांति की महत्ता को पहचानेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि ईरान का समर्थन करने पर रूस और चीन के बीच भागीदारी बहुत स्पष्ट है। उन्होंने कहा, ‘‘वे अपनी सीमाओं के बाहर केवल अराजकता, संघर्ष और अफरातफरी को बढ़ावा देने वाले हैं इसलिए हमें उन्हें अलग-थलग करना होगा।’’
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बुधवार को एलान किया था कि उनका देश ईरान पर अनिश्चितकाल के लिए हथियार प्रतिबंध लगाने वाले प्रस्ताव पर अगले हफ्ते मतदान कराने की सुरक्षा परिषद से अपील करेगा। ईरान पर हथियार प्रतिबंध की अवधि 18 अक्टूबर को समाप्त हो रही है।
ईरान में अमेरिका के शीर्ष राजदूत ने इस घोषणा के कुछ घंटों बाद पद से इस्तीफा दे दिया। रूस और चीन के विदेश मंत्रियों ने गत महीने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और सुरक्षा परिषद को अलग-अलग पत्र लिखकर अमेरिका की कोशिश की आलोचना की और संकेत दिया कि अगर इस प्रस्ताव को 15 सदस्यीय परिषद में न्यूनतम नौ मत मिलते हैं तो वे इस पर वीटो कर देंगे।