रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड लेने मनीला पहुंचे रवीश कुमार, कहा-हिन्दी पत्रकारिता की स्थिति बहुत ही शर्मनाक है

By ज्ञानेश चौहान | Published: September 6, 2019 11:36 AM2019-09-06T11:36:38+5:302019-09-06T11:36:38+5:30

रवीश कुमार को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिए जाने की घोषणा 2 अगस्त को हुई थी। यह अवॉर्ड हिन्दी टीवी पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए 9 सितंबर को दिया जाएगा। इस अवॉर्ड को एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है।

Ravish Kumar arrived in Manila, Philippines capital to receive Ramon Magsaysay award, said these things in speech | रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड लेने मनीला पहुंचे रवीश कुमार, कहा-हिन्दी पत्रकारिता की स्थिति बहुत ही शर्मनाक है

मनीला में रवीश कुमार ने भारतीय मीडिया की मौजूदा स्थिति और कमियों पर खुलकर अपनी बात रखी

Highlightsबिहार के मोतीहारी में 5 दिसंबर 1974 को जन्मे रवीश कुमार ने पटना के लोयोला हाई स्कूल से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली का रूख किया रवीश को हिंदी पत्रकारिता और रचनात्मक लेखन के लिए 2010 का ‘गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’ प्रदान किया गया

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड लेने के लिए फिलीपीन्स की राजधानी मनीला पहुंच चुके हैं। रवीश कुमार को यह अवॉर्ड हिन्दी टीवी पत्रकारिता में उनके योगदान के लिए 9 सितंबर को दिया जाएगा। शुक्रवार को रवीश कुमार ने सम्मान लेने से पहले अपना पब्लिक लेक्चर दिया। इस पब्लिक लेक्चर में उन्होंने भारतीय मीडिया की मौजूदा स्थिति और कमियों पर खुलकर अपनी बात रखी।

लेक्चर कि शुरुआत में ही रवीश कुमार ने कहा कि यहां मैं नहीं आया हूं, मेरे साथ पूरी हिन्दी पत्रकारिता आई है, जिसकी हालत इन दिनों बहुत शर्मनाक है। गणेश शंकर विद्यार्थी और पीर मूनिस मोहम्मद की साहस वाली पत्रकारिता आज डरी-डरी-सी है। उसमें कोई दम नहीं है। 

रवीश ने लोकतंत्र को बेहतर बनाने में सिटिज़न जर्नलिज़्म की ताकत विषय पर भी अपनी बात रखी। रवीश कुमार ने कहा कि लोकतंत्र जल रहा है और उसे अब संभालने की जरूरत है और इसके लिए साहस की जरूरत है। जरूरत है कि हम जो सूचना दें वो सही हो। यह किसी नेता की तेज आवाज से बेहतर नहीं हो सकता है।

रवीश ने कहा कि हम अपने दर्शकों को जितनी सही जानकारी देंगे उनका भरोसा उतना ही अधिक बढ़ेगा। उन्होंने अपने लेक्चर में फेक न्यूज का भी जिक्र किया। रवीश ने पत्रकारिता के मौजूदा हालात पर बात करते हुए कहा कि हर रोज, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते हैं लेकिन मुख्य धारा की मीडिया के पास एक स्क्रीनिंग पैटर्न है, जिसमें वो इन विरोध प्रदर्शनों को नहीं दिखाता है।

इन विरोध प्रदर्शन की कोई रिपोर्ट नहीं करता है, क्योंकि मीडिया के लिए वो एक बेकार की गतिविधि है। पर ये समझना होगा कि सार्वजनिक प्रदर्शनों के बिना कोई भी लोकतंत्र, लोकतंत्र नहीं हो सकता है।

रवीश कुमार को रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड दिए जाने की घोषणा 2 अगस्त को हुई थी। इस अवॉर्ड को एशिया का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है। यह अवॉर्ड फिलीपीन्स के भूतपूर्व राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की याद में दिया जाता है। रवीश के अलावा 2019 का मैग्सेसे अवॉर्ड म्यांमार के को स्वे विन, थाईलैंड के अंगखाना नीलापाइजित, फिलीपीन्स के रेमुन्डो पुजांते और दक्षिण कोरिया के किम जोंग-की को भी मिला है।

रवीश कुमार की जिंदगी का सफरनामा

बिहार के मोतीहारी में 5 दिसंबर 1974 को जन्मे रवीश कुमार ने पटना के लोयोला हाई स्कूल से पढ़ाई करने के बाद दिल्ली का रूख किया और दिल्ली विश्विवद्यालय के देशबंधु कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। उन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान में स्नातकोत्तर में दाखिला लिया। अपने कार्यक्रम के दौरान किसी भी मुद्दे को उठाने के दौरान पांच से सात मिनट तक उसके बारे में बेहद आसान और दिलचस्प शब्दों में जानकारी देकर समा बांध देने वाले रवीश बताते हैं कि पढ़ाई के दौरान ही उनके एक शिक्षक ने उनसे कहा था कि वह अच्छा लिखते हैं इसलिए पत्रकार बन सकते हैं। पढ़ाई अभी पूरी नहीं हुई थी कि उन्हें एनडीटीवी में 50 रूपए रोज पर डाक छांटने का काम मिल गया और उसके बाद पत्रकारिता के रास्ते पर उनके कदम बढ़ते चले गए।

वक्त के साथ रवीश हर उस मुद्दे पर बात करने लगे जो आम लोगों के दिल को छूता था। वह हर उस इनसान के हमदर्द बने, जिसका दर्द सुनने वाला कोई नहीं था और हर उस शख्स को अपनी आवाज दी, जिसकी आवाज जमाने भर के शोर में कहीं गुम हो गई थी। नतीजा यह निकला कि उनके काम को हर ओर सराहा जाने लगा। ‘रैमॉन मैगसायसाय’ पुरस्कार रवीश को पत्रकारिता के क्षेत्र में मिले पुरस्कारों की सूची की ताजा कड़ी है।

उन्हें हिंदी पत्रकारिता और रचनात्मक लेखन के लिए 2010 का ‘गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’ प्रदान किया गया। 2013 में उन्हें पत्रकारिता में उत्कृष्ठता के लिए ‘रामनाथ गोयनका पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इंडियन एक्सप्रेस ने 2016 में उन्हें सौ सबसे प्रभावी भारतीयों में जगह दी और इसी वर्ष मुंबई प्रेस क्लब ने उन्हें वर्ष का श्रेष्ठ पत्रकार बताया। मार्च 2017 में पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए उन्हें पहला ‘कुलदीप नैयर पत्रकारिता अवार्ड’ दिया गया।

Web Title: Ravish Kumar arrived in Manila, Philippines capital to receive Ramon Magsaysay award, said these things in speech

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