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पुलिस के दमन के बाद भी म्यांमा में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे

By भाषा | Updated: March 9, 2021 20:20 IST

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(परिवर्तित डेटलाइन से।

मांडले, नौ मार्च (एपी) म्यांमा में पिछले महीने सत्ता पर काबिज हुए सेना के खिलाफ मंगलवार को दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले में करीब एक हजार प्रदर्शनकारी सावधानी के साथ सड़कों पर उतरे। सबसे आगे चल रहे आंदोलनकारियों द्वारा अपने बचाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों पर आंदोलन के प्रतीक चिह्न वाली तीन अंगुलियों की सलामी की तस्वीर बनी हुई थी।

सुरक्षाबलों द्वारा भीड़ को तितर-बितर करने के लिए घातक बल के प्रयोग के बावजूद मांडले में प्रदर्शन किया गया। जिन लोगों ने मार्च किया वे दंगारोधी पुलिस के साथ टकराव से बचने के लिए कुछ ही देर में वापस चले गये। प्रदर्शनकारियों के एक अन्य दल ने सड़कों पर मोटरसाइकिल रैली निकाली।

प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों की बढ़ती हिंसा के मद्देनजर नये नये तरीके अपनाए हैं। सुरक्षाबल भीड़ पर गोलियां भी चला रहे हैं। पुलिस कार्रवाई में 50 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं लेकिन उसके बाद भी एक फरवरी के तख्तापलट के विरूद्ध प्रदर्शन कम नहीं हो रहे हैं। एक फरवरी को आंग सान सूची की निर्वाचित सरकार सत्ता से बेदखल कर दी गयी थी।

देश भर में प्रदर्शन रोज हो रहे हैं। मंगलवार को भी कई शहरों एवं नगरों में लोगों ने प्रदर्शन किया। सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार माध्यमों के अनुसार मोन प्रांत के ये, मध्य म्यामां के क्याउपाडोंग, कोचिन प्रांत के मोहनयिन में लोग सड़कों पर उतरे।

सोमवार रात को यांगून में सशस्त्र पुलिस ने सोमवार को गश्त लगाई , भवनों पर गोलियां चलायीं और चुनिंदा लोगों की गिरफ्तारियां की। पुलिस के इस रवैये का लक्ष्य भय पैदा करना एवं तख्तापलट विरोधियों का मनोबल तोड़ना है। इसका एक वीडियो सामने आया।

इससे पहले, म्यांमा में सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिए गए लगभग 200 छात्रों के समर्थन में देश के सबसे बड़े शहर यांगून में सोमवार को प्रदर्शन किया गया था और लोगों ने रात आठ बजे लगे कर्फ्यू का उल्लंघन किया था।

आंग सान सू ची की चुनी हुई सरकार को पिछले महीने हटाकर सेना द्वारा किए तख्तापलट के विरोध में हर दिन म्यांमा के नागरिक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

सैन्य सरकार ने पांच स्थानीय मीडिया संस्थानों- मिज्जिमा, डीवीबी खित थित मीडिया, म्यांमा नाउ और सेवन डे न्यूज के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं।

सरकारी चैनल एमआरटीवी पर कहा गया, “इन मीडिया कंपनियों को किसी भी मंच या तकनीक से प्रसारण करने की अनुमति नहीं है।”

गौरतलब है कि ये पांच मीडिया संस्थान प्रदर्शन से संबंधित समाचारों और घटनाओं का सीधा प्रसारण कर रहे थे।

प्रतिबंध लगाने से पहले ‘म्यांमा नाउ’ के कार्यालय पर सोमवार को छापेमारी की गई थी।

सरकार ने तख्तापलट के बाद दर्जनों पत्रकारों को हिरासत में लिया है जिनमें म्यांमा नाउ के संवाददाता और एसोसिएटेड प्रेस के थिन जौ शामिल हैं। इन पर अशांति फैलाने का आरोप है जिसके लिए तीन साल जेल की सजा हो सकती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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