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प्रिंस चार्ल्स ने जी 20 नेताओं से जलवायु परिवर्तन पर अपने वादों को पूरा करने की अपील की

By भाषा | Updated: October 31, 2021 18:14 IST

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रोम, 31 अक्टूबर (एपी) ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स ने रविवार को विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के नेताओं से अपने वादों को पूरा करने की अपील की। दरअसल, उन्होंने स्कॉटलैंड के ग्लासगो में होने वाले जलवायु सम्मेलन के लिए जी 20 सम्मेलन में इसकी पृष्ठभूमि तैयार की।

चार्ल्स ने जी 20 नेताओं को चेतावनी दी, ‘‘यह असल में अंतिम अवसर है।’’ उन्होंने कहा कि स्वच्छ, सतत ऊर्जा स्रोतों की ओर अग्रसर होने के लिए खरबों डॉलर की सार्वजनिक-निजी भागीदारी ही एकमात्र उपाय है।

चार्ल्स ने रोम में एकत्र हुए राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों से कहा, ‘‘बच्चों की हताशा भरी अपील नहीं सुनना असंभव है, जो आपको धरती का रक्षक मानते हैं। उनके भविष्य की जिम्मेदारी आपके हाथों में है।’’

जी20 देश विश्व के ग्रीन हाउस गैसों के तीन चौथाई उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। वे बढ़ते तापमान से निपटने में मदद कर उत्सर्जन घटाने के तरीकों के लिए साझा आधार तलाश रहे हैं।

राजनयिकों ने कहा कि ‘शेरपा’ रविवार को जारी किये जाने वाले अंतिम बयान में उत्सर्जन की ठोस प्रतिबद्धताएं व्यक्त करने के लिए रात भर काम करते रहें।

यदि जी20 सम्मेलन कमजोर प्रतिबद्धताओं के साथ समाप्त होता है तो ग्लासगो में व्यापक वार्षिक वार्ता की गति मंद पड़ जाएगी, जहां दुनिया भर के देशों का प्रतिनिधित्व होगा।

अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने राष्ट्रपति जो बाइडन की योजनाओं के बारे में संकेत देते हुए कहा कि ग्रीन हाउस गैस के एक अहम स्रोत कोयले के उपयोग को कम करने पर सहमति बन पाना सबसे मुश्किल चीज होगी। हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों को ताप विद्युत संयंत्रों को विदेशी वित्त पोषण बंद करने की प्रतिबद्धता प्राप्त करने की उम्मीद है।

कोयला, चीन में बिजली उत्पादन करने का अब भी मुख्य स्रोत है और चीन व भारत ने घरेलू कोयला उपभोग को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के जी20 घोषणापत्र के प्रस्तावों का प्रतिरोध किया है।

सीओपी26 अध्यक्ष आलोक शर्मा ने बीबीसी से कहा कि चीन की कार्बन कटौती प्रतिबद्धता अब तक उम्मीदों से कम है।

वहीं, जी20 के संपन्न होने की ओर बढ़ने के दौरान जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग और वेनेसा नाकाते ने मीडिया को एक खुला पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने जलवायु परिवर्तन के तीन मूलभूत पहलुओं पर जोर दिया जिन्हें अक्सर कम महत्व दिया जाता है। वे हैं: समय तेजी खत्म हो रहा है, कोई भी समाधान जलवायु परिवर्तन से सर्वाधिक प्रभावित लोगों को न्याय प्रदान करे और सबसे बड़े प्रदूषक अपने असली उत्सर्जन के बारे में अक्सर अधूरे आंकड़ों के पीछे छिप जाते हैं।

उन्होंने लिखा, ‘‘जलवायु संकट को तत्काल हल करने की जरूरत है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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