चीन के विरोध के बीच ताइवान की यात्रा पूरा कर पेलोसी दक्षिण कोरिया रवाना, रूस और उत्तर कोरिया ने की आलोचना
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 3, 2022 05:24 PM2022-08-03T17:24:16+5:302022-08-03T17:25:38+5:30
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा पूरा कर दक्षिण कोरिया के लिये रवाना हो गई हैं। लेकिन पेलोसी की इस यात्रा के बाद चीन और अमेरिका के सहयोगी दो खेमों में बंट गए हैं। दुनिया भर के कई लोकतांत्रिक देशों ने पेलोसी की यात्रा के प्रति समर्थन जताया है। वहीं रूस और उत्तर कोरिया ने इस यात्रा को अमेरिका का उकसाने वाला कदम करार दिया।
ताइपे: चीन से तनाव के बीच अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी बुधवार को यहां राष्ट्रपति और अन्य अधिकारियों से मुलाकात के बाद अपनी एशिया यात्रा के अगले पड़ाव की तरफ रवाना हो गईं। पेलोसी और पांच अन्य संसद सदस्य यहां से दक्षिण कोरिया के लिये रवाना हुए। एशिया की यात्रा के तहत पेलोसी का सिंगापुर, मलेशिया और जापान जाने का भी कार्यक्रम है। ताइवान में उन्होंने कहा कि उनका प्रतिनिधिमंडल स्वशासित द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शा रहा है। चीन इस द्वीप के अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा होने का दावा करता रहा है। पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने सैन्य अभ्यास किया और उनकी यात्रा को उकसाने वाली तथा देश की संप्रभुता में हस्तक्षेप करार दिया।
पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर चीन, अमेरिका के सहयोगी दो खेमों में बंटे
नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा को लेकर उन्हें अपने देश में भरपूर समर्थन मिल रहा है। साथ ही दुनिया भर के कई लोकतांत्रिक देशों ने भी पेलोसी की यात्रा के प्रति समर्थन जताया है। इस बीच, चीन के सहयोगी देशों ने उसका समर्थन जताया है। चीन, ताइवान को अपना क्षेत्र होने का दावा करता है। पेलोसी की यात्रा को लेकर चीन और अमेरिका के सहयोगियों के दो खेमों में बंट जाना बीजिंग के बढ़ते वैश्विक प्रभाव के साथ ही विश्व के उदार देशों की ओर से यात्रा के लिए आ रही सकारात्मक प्रतिक्रिया को भी दर्शाता है। हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने पेलोसी की यात्रा का खुलकर समर्थन नहीं किया है। बाइडन ने कहा है कि सेना महसूस करती है कि दोनों पक्षों के बीच बढ़ते तनाव के दौरान मौजूदा समय में यह (यात्रा) एक ‘‘अच्छा विचार नहीं था।’’
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने बुधवार को पेलोसी की यात्रा के संबंध में कोई टिप्पणी करने से इंकार किया। हालांकि, उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं, जहां हमारे क्षेत्र में रणनीतिक प्रतिस्पर्धा और तनाव में इजाफा हुआ है तथा चीन ने क्षेत्र में अधिक आक्रामक रुख अपनाया है।’’ अल्बानीज ने कहा, ‘‘ लेकिन, ताइवान को लेकर हमारा रुख साफ है। हम यथास्थिति में कोई बदलाव देखना नहीं चाहते और ताइवान क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए हम साझेदारों के साथ मिलकर कार्य करना जारी रखेंगे।’’
जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव हिरोकाजु मात्सुनो भी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर टिप्पणी करने से बचते नजर आये। हालांकि, उन्होंने समुद्री क्षेत्र में चीन के योजनाबद्ध सैन्य अभ्यास को लेकर चिंता जतायी, जिसमें जापान का विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र का हिस्सा भी शामिल है। मात्सुनो ने कहा, ‘‘ताइवान जलडमरूमध्य की शांति और स्थिरता ना केवल जापान बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी अहम है। जापान का रुख यह है कि ताइवान से जुड़े मुद्दों का वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से समाधान किया जाना चाहिए।’’ इस बीच, चीन के सहयोगी उत्तर कोरिया ने यात्रा पर निशाधा साधते हुए अमेरिका पर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालने का आरोप लगाया। चीन के अन्य सहयोगी रूस ने पेलोसी की यात्रा को स्पष्ट तौर पर अमेरिका का उकसाने वाला कदम करार दिया। रूसी सरकार ने एक बयान में कहा कि ताइवान के मुद्दे पर चीन को अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के संबंध में उपाय करने का अधिकार है।
इनपुट- एजेंसी