पाकिस्तानी मंत्री ने दिया विवादित बयान, कहा-भारतीय मुसलमानों के लिए समस्याएँ पैदा कर रहे हैं मोदी
By स्वाति सिंह | Published: December 14, 2019 03:57 PM2019-12-14T15:57:01+5:302019-12-14T15:57:49+5:30
पाकिस्तान ने भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक को ‘प्रतिगामी एवं पक्षपातपूर्ण’ बताया और इसे नई दिल्ली का पड़ोसी देशों के मामलों में ‘दखल’ का ‘दुर्भावनापूर्ण इरादा’ बताया। सोमवार देर रात लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।
पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद अहमद ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की बात को कही है। उन्होंने भारत में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा 'यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम कश्मीर और भारत के मुसलमानों के साथ एकजुटता में खड़े हों।'
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए हिटलर शब्द का इस्तेमाल भी किया। कहा 'मोदी भारतीय मुसलमानों के लिए समस्याएँ पैदा कर रहे हैं, उससे भारत और पाकिस्तान में मतभेद बढ़ेगा, जो दोनों देशों को युद्ध की ओर खींच सकता है।'
पाकिस्तान ने भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक को ‘प्रतिगामी एवं पक्षपातपूर्ण’ बताया और इसे नई दिल्ली का पड़ोसी देशों के मामलों में ‘दखल’ का ‘दुर्भावनापूर्ण इरादा’ बताया। सोमवार देर रात लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो।
उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मध्य रात्रि के बाद एक बयान जारी किया। उसमें कहा, ‘‘हम इस विधेयक की निंदा करते हैं। यह प्रतिगामी और भेदभावपूर्ण है और सभी संबद्ध अंतरराष्ट्रीय संधियों और मानदंडों का उल्लंघन करता है। यह पड़ोसी देशों में दखल का भारत का दुर्भावनापूर्ण प्रयास है।’’
Sheikh Rashid Ahmad,Pakistan Minister: It's our responsibility to stand in solidarity with Muslims of Kashmir&India.The way India's Modi Mussolini Hitler is creating problems for Indian Muslims,differences b/w India&Pakistan will increase which might drag both countries to a war. pic.twitter.com/WyiXwFwX3i
— ANI (@ANI) December 14, 2019
इसमें कहा गया कि इस कानून का आधार झूठ है और यह धर्म या आस्था के आधार पर भेदभाव को हर रूप में खत्म करने संबंधी मानवाधिकारों की वैश्विक उद्घोषणा और अन्य अंतरराष्ट्रीय संधियों का पूर्ण रूप से उल्लंघन करता है। वक्तव्य के मुताबिक, ‘‘लोकसभा में लाया गया विधेयक पाकिस्तान और भारत के बीच हुए दोनों देशों के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़े समझौते समेत विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का भी पूर्ण रूप से विरोधाभासी है।’’
भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए यह स्पष्ट किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में किसी भी धर्म के लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा था कि इस विधेयक से उन अल्पसंख्यकों को राहत मिलेगी जो पड़ोसी देशों में अत्याचार का शिकार हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार की ओर से लाया गया यह विधेयक ‘‘हिंदू राष्ट्र’’ की अवधारणा को वास्तविक रूप देने की दिशा में एक प्रमुख कदम है, जिस अवधारणा को कई दशकों से दक्षिणपंथी हिंदू नेताओं ने पालापोसा। इस वक्तव्य में कहा गया कि यह विधेयक क्षेत्र में कट्टरपंथी ‘‘हिंदुत्व विचारधारा और प्रभावी वर्ग की महत्वकांक्षाओं’’ का विषैला मेल है और धर्म के आधार पर पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में दखल की स्पष्ट अभिव्यक्ति है। पाकिस्तान इसे पूरी तरह से अस्वीकार करता है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘भारत का यह दावा भी झूठा है जिसमें वह खुद को उन अल्पसंख्यकों का घर बताता है जिन्हें पड़ोसी देशों में कथित तौर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि कश्मीर में भारत की कार्रवाई से 80 लाख लोग प्रभावित हुए है और इससे सरकारी नीतियों का पता चलता है। वक्तव्य के मुताबिक विधेयक ने ‘‘लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के दावों के खोखलेपन को उजागर किया है। इसके पीछे बहुसंख्यक एजेंडा है और इसने आरएसएस-भाजपा की मुस्लिम विरोधी मानसिकता को विश्व के समक्ष ला दिया है।’