पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने कहा, "भारत यात्रा के दौरान मैंने जासूसी की, लेकिन जनरल परवेज कयानी ने उसका इस्तेमाल नहीं किया"

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 11, 2022 03:17 PM2022-07-11T15:17:48+5:302022-07-11T15:36:02+5:30

पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने दावा किया है कि उन्होंने साल 2005 से 2011 के बीच भारत की अनेक यात्राएं की और इस दौरान भारत की जासूसी की। मिर्जा ने कथित तौर पर कई खुफिया संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी सरकार से साझा की थी।

Pakistani journalist Nusrat Mirza said, "I spied during my visit to India, but General Pervez Kayani did not use it" | पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने कहा, "भारत यात्रा के दौरान मैंने जासूसी की, लेकिन जनरल परवेज कयानी ने उसका इस्तेमाल नहीं किया"

पाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने कहा, "भारत यात्रा के दौरान मैंने जासूसी की, लेकिन जनरल परवेज कयानी ने उसका इस्तेमाल नहीं किया"

Highlightsपाकिस्तानी पत्रकार नुसरत मिर्जा ने साल 2005 से 2011 के बीच अनेकों भारत यात्रा का दावा कियामिर्जा ने चंडीगढ़, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता और पटना सहित कई स्थानों का भ्रमण किया भारत यात्रा के दौरान उन्होंने कई खुफिया जानकारी जुटाने का दावा किया

दिल्ली:पाकिस्तान के पत्रकार नुसरत मिर्जा ने दावा किया है कि उन्होंने भारत की कई बार यात्रा की और पाकिस्तान के लिए भारत में जासूसी की।

नुसरत मिर्जा ने बीते रविवार को पाकिस्तानी पत्रकार और यूट्यूबर शकील चौधरी के साथ बातचीत में दावा किया गया कि उन्होंने साल 2005 से 2011 के बीच भारत की अनेक यात्राएं की और इस दौरान भारत की जासूसी की और कथित तौर पर कई खुफिया संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी सरकार से साझा की।

पत्रकार शकील चौधरी के साथ बातचीत में नुसरतमिर्जा ने खुद को भारत विशेषज्ञ बताते हुए दावा किया कि उन्होंने साल 2005 से 2011 के बीच कुल पांच बार भारत की यात्रा की। जिसमें चंडीगढ़, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, पटना सहित कई अन्य स्थानों का भ्रमण किया।

मिर्जा ने कहा, “आमतौर पर जब कोई भी पाकिस्तानी भारत जाने के लिए वीजा अप्लाई करता है तो उसे केवल तीन स्थानों पर जाने की इजाजत मिलती है। हालांकि, उस समय खुर्शीद कसूरी फॉरेन मिनिस्टर थे, लिहाजा उन्होंने मुझे भारत के सात शहरों का वीजा दिलाने में मदद की। इस नाते मैंने भारत में रहने वाले मुसलमानों का अध्ययय किया और तब मुझे पता चला कि भारतीय मुसलमान किन परिस्थितियों में रहते हैं। सफर के दौरान भारत में उर्दू अखबारों के संपादकों से भी मेरी दोस्ती हुई। कई न्यूज चैनल के मालिक आज भी मेरे अच्छे दोस्त हैं।”

मिर्जा ने कहा कि साल 2010 में उन्हें भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आतंकवाद पर आयोजित एक सेमिनार में आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा, “हालांकि मैं मानता हूं कि मैं विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन हम मुगल हैं। हमने सदियों तक भारत पर राज किया है। मैं साझी संस्कृति को अच्छे से समझता हूं। मैं उनकी कमजोरियों के बारे में जानता हूं। लेकिन समस्या यह है कि मैंने भारत के बारे में जो अनुभव इकट्ठा किया है, उसका इस्तेमाल पाकिस्तान में अच्छे नेतृत्व की कमी के कारण नहीं हो रहा है।”

पत्रकार नुसरत मिर्जा ने भारत यात्रा के दौरान जुटाई गई जानकारी को उन्होंने तत्कालीन फॉरेन मिनिस्टर खुर्शीद कुरैशी को दी थी, जिसे उन्हें तत्कालीन सेना प्रमुख अशफाक परवेज कयानी को दे दिया था, लेकिन उन्होंने उसका कोई उपयोग नहीं किया। उन्होंने कहा, "खुर्शीद ने वो जानकारी मुझसे कयानी को सौंपने के लिए कहा। मैंने कहा कि मैं उन्हें जानकारी नहीं दूंगा, लेकिन अगर आप चाहें तो मैं आपको जानकारी दे रहा हूं। मैंने उन्हों दिया और उन्होंने उसे कयानी को सौंप दिया। बाद में उसका कुछ भी नहीं हुआ।"

मिर्जा ने कहा, “देखिए भारत के पास आज के वक्त में 29 राज्य हैं। जिनमें से मैंने 15 का दौरा किया था और उस समय भारत की संसद में 56 मुस्लिम सदस्य थे। उनमें से हर एक के साथ मेरा दोस्ती का संबंध था। वे मेरे लिए बहुत मददगार थे।"

पत्रकार शकील चौधरी द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे के साथ शांति से रह सकते हैं। मिर्जा ने कहा कि भारत अमन के खिलाफ है। मिर्जा ने दावा किया कि आज का भारत मुगलों के साथ सदियों पुराने संघर्ष का बदला लेना चाहता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के एक नेता से मुलाकात की बात का जिक्र करते हुए कहा, "जब मैं यूपी गया तो पार्टी के एक नेता से मिला। उन्होंने मुझे बताया कि कैसे उनकी सरकार ने मुसलमानों का समर्थन किया और उन्हें नौकरी दी। वह सही था। अगर वे ऐसे ही जीना चाहते हैं तो यह स्वागत योग्य है, लेकिन अगर वे मुसलमानों को गुलाम बनाना चाहते हैं, तो यह स्वीकार्य नहीं है।"

कश्मीर के मुद्दे पर मिर्जा ने कहा कि पाकिस्तान का दावा है कि जूनागढ़ और कश्मीर उसके हिस्से थे, हालांकि वह केवल कश्मीर के साथ रह सकता था। मिर्जा ने कहा, “भारत ने जबरदस्ती बंदूक के बल पर जूनागढ़ और हैदराबाद को अपने साथ मिला लिया, जबकि वहां के राजा मुसलमान थे, लेकिन जनता बहुसंख्यक हिंदू थी। अगर कश्मीर में भी यही तर्क इस्तेमाल किया जाता है, तो उस नाते कश्मीर पर हमारा हक बनता है।”

उन्होंने दावा किया कि हैदराबाद के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने की घोषणा की थी, लेकिन तत्कालीन नेहरू सरकार ने इसे जबरदस्ती छीन लिया था। उन्होंने यह भी दावा किया कि अससुदीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी राज्य का हिस्सा थे, जब नवाब ने घोषणा की कि हैदराबाद डेक्कन भारत का नहीं बल्कि पाकिस्तान का हिस्सा होगा।

मिर्जा ने पत्रकार शकील चौधरी के साथ बातचीत में दावा किया कि साल 2008 में मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने भारतीय पत्रकार अमरेश मिश्रा द्वारा लिखे गए लेखों का उल्लेख करते हुए कहा, “पाकिस्तान ने 26/11 में कोई भूमिका नहीं निभाई थी। यहां तक ​​कि भारत के विशेषज्ञ भी कहते हैं कि यह अंदर का काम था।” नुसरत मिर्जा ने दावा किया कि भारत वैश्विक पटल पर पाकिस्तान का नाम खराब करने के लिए उसे मुंबई हमले के लिए गुनहगार साबित करना चाहता है।

Web Title: Pakistani journalist Nusrat Mirza said, "I spied during my visit to India, but General Pervez Kayani did not use it"

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