पाकिस्तान ने गुरु नानक की 550वीं जयंती पर स्मारक सिक्का जारी किया
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 30, 2019 12:17 PM2019-10-30T12:17:48+5:302019-10-30T14:07:59+5:30
सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म स्थान पाकिस्तान के ननकाना साहिब में है।
पाकिस्तान ने गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती के अवसर पर बुधवार को एक स्मारक सिक्का जारी किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक फेसबुक पोस्ट में सिक्के की तस्वीर साझा की। खान ने कहा, ‘‘पाकिस्तान गुरु नानक देवजी की 550 वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्मारक सिक्का जारी करता है।’’
खान नौ नवंबर को करतारपुर गलियारे का उद्घाटन करेंगे, जिससे पहले यह सिक्का जारी किया गया है। वर्ष 2019 सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550 वीं जयंती का वर्ष है, जिनका जन्म पाकिस्तान स्थित श्री ननकाना साहिब में हुआ था। भारत और पाकिस्तान ने पिछले नवंबर में ऐतिहासिक गुरुद्वारा दरबार साहिब, को भारत के साथ जोड़ने के लिए करतारपुर गलियारा बनाने पर सहमति जताई थी। इसके तहत पाकिस्तान के कस्बे करतारपुर को पंजाब के गुरुदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक के साथ जोड़ा जाएगा।
गुरुद्वारा दरबार साहिब गुरु नानक देवजी का अंतिम विश्राम स्थल है। करतारपुर साहिब रावी नदी के पार पाकिस्तान के नरोवाल जिले में स्थित है और डेरा बाबा नानक से इसकी दूरी लगभग चार किलोमीटर है। इस गलियारे के जरिए प्रतिदिन 5,000 भारतीय तीर्थयात्री गुरुद्वारा दरबार साहिब जा सकेंगे, जहां गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे। गौरतलब है कि सिख धर्म के संस्थापक गुरू नानक देव का जन्म स्थान पाकिस्तान के ननकाना साहिब में है।
بابا گرو نانک کا 550 واں جنم دن، یادگاری سکہ جاری https://t.co/kf5TnyEkhH
— Shiraz Hassan (@ShirazHassan) October 30, 2019
इससे पहले नेपाल ने तीन स्मृति सिक्के जारी किये थे। कहा जाता है कि गुरुनानक देव ने करीब पांच सौ साल पहले काठमांडू के बाहरी क्षेत्र के बालाजू इलाके का दौरा किया था। नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) के गवर्नर चिंरजीवी नेपाल और नेपाल में भारत के राजदूत मंजीव सिंह पुरी द्वारा शुक्रवार को संयुक्त रूप से एक सौ, एक हजार और 2500 नेपाली रुपये मूल्य के सिक्के जारी किये।
भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा कि नेपाल के केंद्रीय बैंक द्वारा गुरु नानक के नाम पर सिक्कों को जारी करना नेपाल में गहरे सिख संपर्कों को प्रदर्शित करता है। काठमांडू के पास बालाजू का नानक मठ है जहां माना जाता है कि पांच सौ साल पहले गुरु नानक देव गए थे। वहां सदियों पुरानी हस्तलिखित सिख पाण्डुलिपियों को संरक्षित किया गया है।