पाकिस्तान ने तालिबान से मांगा कोयला तो उसने बढ़ा दिया दाम
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: July 1, 2022 06:02 PM2022-07-01T18:02:05+5:302022-07-01T18:07:52+5:30
दुनिया के समाने तालिबान को अपना छोटा भाई कहने वाले पाकिस्तान ने कभी कल्पना में भी नहीं सोचा होगा कि उसके बुरे दौर में पल्ला झाड़ते हुए तालिबान कोयले के दाम में 100 फीसदी से भी ज्यादा का इजाफा कर देगा।
इस्लामाबाद:तालिबान के लिए दुनिया से लोहा लेने वाले पाकिस्तान को उस समय कड़ा झटका लगा जब तालिबान ने मुश्किल में फंसे पाकिस्तान को कोयले के आयात में कोई रियायत न देते हुए दाम में 100 फीसदी से ज्यादा का इजाफा कर दिया है।
दुनिया के सामने तालिबान को अपना छोटा भाई कहने वाले पाकिस्तान ने कभी कल्पना में भी नहीं सोचा होगा कि उसके बुरे दौर में तालिबान इस तरह का सलूक करेगा।
खबरों के मुताबिक तालिबान की तहरीक-ए-तालिबान ने कोयला आयात को लेकर पाकिस्तान से दो टूक कह दिया है कि अगर उसे कोयला चाहिए तो तो वह बिना किसी छूट के उसे कोयला दे सकता है।
तालिबान के इस कठोर रवैये से कंगाल हो चुके पाकिस्तान में भारी निराशा है। इन दिनों भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहे पाकिस्तान के साथ तालिबान ने जैसा व्यवहार किया है, उसकी पूरे पाकिस्तान में कड़ी नाराजगी है।
जानकारी के मुताबिक देश में पैदा हो रही भयानक बिजली संकट को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जैसे ही अफगानिस्तान से कोयला आयात की मंजूरी दी, ठीक वैसे ही तालिबान ने कोयले की कीमत में 100 फीसदी से ज्यादा का इजाफा कर दिया।
तालिबानी मीडिया के मुताबिक तहरीक-ए-तालिबान के वित्त मंत्रालय ने विश्व बाजारों में कोयले की कीमतों में वृद्धि के कारण कोयले की कीमत 90 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 200 डॉलर प्रति टन कर दी है। जबकि शहबाज शरीफ सरकार ने इस आधार पर तालिबान से कोयला आयात की इजाजत दी थी कि इससे पाकिस्तान को करीब 2 अरब डॉलर की बचत हो सकती है।
वहीं पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कार्यालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान से हाई क्वालिटी वाले कोयले के आयात से न केवल सस्ती बिजली का उत्पादन होगा बल्कि देश को महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा के संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
पीएम शहबाज शरीफ ने देश में कम लागत वाली बिजली पैदा करने में मदद करने के लिए डॉलर के बजाय पाकिस्तानी रुपये में अफगानिस्तान से सुपर-क्रिटिकल गुणवत्ता वाले कोयले के आयात को मंजूरी दी है, ताकि डॉलर बचाया जा सके।
कोयला दाम बढ़ाने के पीछे तालिबान का तर्क है कि वो देश के राजस्व को बढ़ाने के लिए ऐसा कर रहा है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सहायता के अभाव में उसकी आर्थिक स्थिति भी बदहाल है। इस कारण कोयले की कीमतों को बढ़ाने के अलावा और कई चारा नहीं है।
तालिबान के इस दलील के उलट यह कहा जा रहा है कि चूंकि पाकिस्तान सरकार के पास तालिबान से कोयला खरीदने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा है इस कारण तालिबान इस मौके को भुनाने में लगा है।
मालूम हो कि पूरी दुनिया में बढ़े कोयले के दामों के कारण तालिबान को भी दाम बढ़ाने का अवसर मिल गया है। कोयले का उत्पादन करने वाला एक बड़ा देश इंडोनेशिया ने इसी साल अप्रत्याशित तौर पर विदेशों को किये जा रहे कोयला निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भी कोयला के दाम में भारी उछाल देखने को मिल रहा है।
इस सब कारणों से वैश्विक कोयला व्यापार में भयंकर बाधा उत्पन्न हो गया और इस कारण दाम में कफी इजाफा हुआ है। अफगान पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रवक्ता मुफ्ती इस्मातुल्ला बुरहान ने कहा कि, "तहरीक-ए-तालिबान सरकार ने पाकिस्तान या किसी भी पाकिस्तानी इकाई के साथ कम दाम पर कोयला आयात करने का कोई समझौता नहीं किया है, लिहाजा हम दाम बढ़ाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।"
तालिबान सरकार के मंत्री इस्मातुल्ला ने कहा कि, "हमें पाकिस्तान से किसी लाभ की उम्मीद नहीं है क्योंकि हम डॉलर और यूरो के स्वाद और पाकिस्तानी मुद्रा की खराब स्थिति को बेहतर तरीके से समझते हैं।"
उन्होंने कहा कि, "अब तक पाकिस्तान को हमारी और अफगान लोगों की प्रतिक्रिया का अनुमान हो गया होगा। इसलिए हमने कोयले पर लेवी 200 डॉलर प्रति टन से बढ़ा दी है।"