अंजना सुसरला, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी, डैम ही किम, यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना और एथन जुकरमैन, यूमास एमहर्स्ट
मिशिगन, 28 दिसंबर (द कन्वरसेशन) 2020 के अंत में, ऐसा नहीं लग रहा था कि हम सोशल मीडिया पर गलत सूचना देने के मामले में एक बदतर वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के शोर शराबे से लेकर कोविड-19 के आघात तक वर्ष 2021 ऐसा ही साबित हुआ। छह जनवरी के विद्रोह से शुरू होकर कोविड-19 के टीकों तक पूरा वर्ष झूठ और विकृतियों से भरा रहा।
अब सवाल यह है कि 2022 में क्या हो सकता है, इसका अंदाजा लगाने के लिए, हमने तीन शोधकर्ताओं से सोशल मीडिया पर गलत सूचना के विकास के बारे में पूछा।
नियम न होने के कारण, गलत सूचना का प्रसार बदतर होगा
अंजना सुसरला, सूचना प्रणाली की प्रोफेसर, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी
यह सच है कि मीडिया में गलत सूचना हमेशा मौजूद रही है - 1835 के ग्रेट मून होक्स के बारे में सोचें, जिसमें दावा किया गया था कि चंद्रमा पर जीवन की खोज की गई थी - सोशल मीडिया के आगमन ने गलत सूचना के दायरे, प्रसार और पहुंच में उल्लेखनीय विस्तार किया। सोशल मीडिया मंच ऐसी सार्वजनिक सूचना सुविधाओं में बदल गए हैं जो अधिकांश लोगों का दुनिया को देखने का अंदाज तय कर रहे हैं, जिसकी वजह से गलत सूचना आज समाज के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है।
गलत सूचना की समस्या से निपटने में दो प्राथमिक चुनौतियाँ हैं। पहला नियामक तंत्र की कमी जो इसे नियंत्रित करे। पारदर्शिता को अनिवार्य करना और उपयोगकर्ताओं को अपने डेटा तक अधिक पहुंच और नियंत्रण देना गलत सूचना की चुनौतियों का समाधान करने में एक लंबा रास्ता तय कर सकता है। लेकिन इसके साथ ही स्वतंत्र निगरानी की भी आवश्यकता है।
दूसरी चुनौती यह है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा उपयोग किए जाने वाले एल्गोरिदम में नस्लीय और लैंगिक पूर्वाग्रह गलत सूचना की समस्या को बढ़ा देते हैं। सोशल मीडिया कंपनियों ने हालांकि सूचना के आधिकारिक स्रोतों को उजागर करने के लिए तंत्र की शुरुआत की है, लेकिन पोस्ट को गलत सूचना के रूप में लेबल करने जैसे समाधान जानकारी तक पहुंचने में नस्लीय और लैंगिक पूर्वाग्रहों को हल नहीं करते हैं। उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के प्रासंगिक स्रोतों की जानकारी देना केवल अधिक स्वास्थ्य साक्षरता वाले उपयोगकर्ताओं की मदद कर सकता है, न कि कम स्वास्थ्य साक्षरता वाले लोगों को, जो कि बहुत कम होते हैं।
एक अन्य समस्या यह है कि उपयोगकर्ताओं को गलत सूचना कहां मिल रही है, इस पर व्यवस्थित रूप से गौर करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, टिकटॉक काफी हद तक सरकारी जांच से बच गया है। यही नहीं, अल्पसंख्यकों को लक्षित करने वाली गलत सूचना, विशेष रूप से स्पेनिश-भाषा की सामग्री, बहुसंख्यक समुदायों को लक्षित करने वाली गलत सूचना से कहीं अधिक खराब हो सकती है।
मेरा मानना है कि स्वतंत्र निगरानी की कमी, तथ्यों की जांच में पारदर्शिता की कमी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले नस्लीय और लैंगिक पूर्वाग्रहों से पता चलता है कि 2022 में नियामक कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है।
डैम ही किम, संचार के सहायक प्रोफेसर, एरिज़ोना विश्वविद्यालय
फर्जी समाचार शायद ही कोई नई घटना है, फिर भी हाल के वर्षों में इससे होने वाला नुकसान एक अलग ही स्तर तक पहुंच गया है। कोविड-19 के बारे में गलत सूचना ने पूरी दुनिया में अनगिनत लोगों की जान ले ली है। चुनावों के बारे में झूठी और भ्रामक जानकारी लोकतंत्र की नींव को हिला सकती है, उदाहरण के लिए, नागरिकों का राजनीतिक व्यवस्था में विश्वास खो देना। चुनाव के दौरान गलत सूचना पर एस मो जोन्स-जंग और केट केंस्की के साथ किए गए मेरे शोध, जिनमें कुछ प्रकाशित हुए हैं और कुछ प्रगति पर हैं, में तीन प्रमुख निष्कर्ष निकले हैं।
पहला यह है कि सोशल मीडिया का उपयोग, जिसे मूल रूप से लोगों को जोड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया था, सामाजिक दुराव की वजह सकता है। सोशल मीडिया गलत सूचनाओं से भरा पड़ा है। यह समाचारों के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले नागरिकों को एक ऐसे रास्ते पर ले जाता है, जहां वह राजनेताओं और मीडिया जैसे स्थापित संस्थानों के प्रति ही नहीं, बल्कि साथी मतदाताओं के प्रति भी निंदक बन जाते हैं।
दूसरा, राजनेता, मीडिया और मतदाता ‘‘फर्जी समाचार’’ के नुकसान के लिए बलि का बकरा बन गए हैं। उनमें से कुछ वास्तव में गलत सूचना उत्पन्न करते हैं। अधिकांश गलत सूचना विदेशी संस्थाओं और राजनीतिक फ्रिंज समूहों द्वारा निर्मित की जाती है जो वित्तीय या वैचारिक उद्देश्यों के लिए ऐसा करते हैं। फिर भी सोशल मीडिया पर गलत सूचना का उपभोग करने वाले नागरिक राजनेताओं, मीडिया और अन्य मतदाताओं को दोष देते हैं।
तीसरी खोज यह है कि जो लोग ठीक से सूचित होने की परवाह करते हैं, वे गलत सूचना से सुरक्षित नहीं हैं। जो लोग एक सुसंगत और सार्थक तरीके से जानकारी को संसाधित, संरचना और समझना पसंद करते हैं, वे राजनीतिक रूप से कम परिष्कृत लोगों की तुलना में कथित ‘‘फर्जी समाचार’’ के संपर्क में आने के बाद राजनीतिक रूप से अधिक सनकी हो जाते हैं। इतनी सारी झूठी और भ्रामक सूचनाओं को संसाधित करने से ये आलोचनात्मक विचारक निराश हो जाते हैं। यह परेशान करने वाला है क्योंकि लोकतंत्र की नींव विचारशील नागरिकों की भागीदारी पर टिकी है।
दूसरे नाम से प्रचार
एथन जुकरमैन, सार्वजनिक नीति, संचार और सूचना के एसोसिएट प्रोफेसर, यूमास एमहर्स्ट
मुझे उम्मीद है कि गलत सूचना का विचार 2022 में दुष्प्रचार के विचार में बदल जाएगा, जैसा कि समाजशास्त्री और मीडिया विद्वान फ्रांसेस्का त्रिपोदी ने अपनी आगामी पुस्तक ‘‘द प्रोपेगैनिस्ट्स प्लेबुक’’ में सुझाया है। अधिकांश गलत सूचना निर्दोष गलतफहमी का परिणाम नहीं है। यह राजनीतिक या वैचारिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए विशिष्ट अभियानों का हिस्सा है।
एक बार जब आप समझ जाते हैं कि फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म युद्ध के मैदान हैं जिन पर समकालीन राजनीतिक अभियान लड़े जाते हैं, तो आप इस विचार को छोड़ सकते हैं कि लोगों की गलतफहमी को दूर करने के लिए आपको केवल तथ्यों की आवश्यकता है।
जैसे-जैसे 2022 के चुनावों की गर्मी बढ़ेगी, मुझे उम्मीद है कि फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म गलत सूचनाओं के चरम पर पहुंच जाएंगे क्योंकि कुछ झूठ पार्टी संबद्धता के साथ राजनीतिक भाषण बन गए हैं।
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