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नीरव मोदी की आत्महत्या की प्रवृति, मुंबई जेल में कोविड-19 के व्यापक असर का दिया गया हवाला

By भाषा | Updated: July 21, 2021 22:44 IST

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(अदिति खन्ना)

लंदन, 21 जुलाई नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में बुधवार को उसके वकीलों ने लंदन में उच्च न्यायालय से कहा कि मुंबई की आर्थर रोड जेल में कोविड-19 के ‘‘व्यापक’’ असर के कारण उसके आत्महत्या करने की आशंका बढ़ जाएगी। भारत प्रत्यर्पित किये जाने के बाद नीरव को इसी जेल में रखे जाने की संभावना है।

न्यायमूर्ति मार्टिन चेंबरलेन ने प्रत्यर्पण के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। आगे की सुनवाई में फैसला होगा कि पूर्व में जिला न्यायाधीश सैम गूज द्वारा प्रत्यर्पण के आदेश और अप्रैल में ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल द्वारा इसे मंजूरी दिए के खिलाफ लंदन में उच्च न्यायालय में इस पर पूर्ण सुनवाई करने की आवश्यकता है या नहीं।

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी के मामले में नीरव (50) वांछित है। दक्षिण-पश्चिम लंदन में वेंटवर्थ जेल में कैद नीरव डिजिटल तरीके से सुनवाई में शामिल हुआ।

भारतीय प्राधिकारों की तरफ से क्राउन पॉसक्यूशन सर्विस (सीपीएस) की वकील हेलेन मैलकम ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि नीरव की मानसिक स्थिति पर कोई विवाद नहीं है और भारत सरकार से आश्वासन मिला है कि जरूरत हुई तो मुंबई में उसकी समुचित चिकित्सकीय देखभाल होगी। उन्होंने कहा, ‘‘राजनयिक स्तर पर इस तरह के आश्वासन का कभी उल्लंघन नहीं होता है।’’ ब्रिटेन की गृह मंत्री की तरफ से पेश वकील ने भी यही दलील दी।

इससे पहले सुनवाई शुरू होने पर नीरव के वकीलों ने फरवरी में जिला न्यायाधीश सैम गूज द्वारा प्रत्यर्पण के आदेश और अप्रैल में ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल द्वारा इसे मंजूरी दिए के खिलाफ अपील की अनुमति के पक्ष में दलील दी।

न्यायमूर्ति मार्टिन चेंबरलेन के समक्ष प्रस्तुत नयी याचिका पर सुनवाई के दौरान नीरव के वकीलों ने इस आधार पर पूर्ण अदालत की सुनवाई का अनुरोध किया कि उसकी मानसिक स्थिति को देखते हुए प्रत्यर्पण करना ठीक नहीं होगा क्योंकि वह आत्मघाती कदम उठा सकता है।

नीरव के वकील एडवर्ड फिजगेराल्ड ने दलील दी कि न्यायाधीश गूज ने फरवरी में उसके प्रत्यर्पण के पक्ष में आदेश देकर चूक की। न्यायाधीश इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि नीरव का गंभीर अवसाद उसकी कैद को देखते हुए असामान्य नहीं था और आत्महत्या करने की कोई प्रवृत्ति नहीं दिखी।

फिजगेराल्ड ने कहा, ‘‘जिला न्यायाधीश ने यह फैसला देकर गलती की कि याचिकाकर्ता (नीरव) की मानसिक स्थिति में कुछ भी असमान्य नहीं था और उसकी मौजूदा दशा के हिसाब से निष्कर्ष पर पहुंचना गलत था।’’ फिजगेराल्ड ने कहा कि न्यायाधीश खुद इस निष्कर्ष पर पहुंच गए कि आर्थर रोड मुंबई जेल की स्थिति वेंड्सवर्थ जेल से बेहतर होगी।

नीरव के वकीलों ने विधि विज्ञान मनोचिकित्सक डॉ. एंड्रयू फॉरेस्टर की रिपोर्ट का जिक्र किया जिसे पूर्व में लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था। फॉरेस्टर ने 27 अगस्त 2020 की रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल तो नहीं लेकिन नीरव में आगे आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा है। वकीलों ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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