Birthday Special: जब एवरेस्ट विजेता एडमंड हिलेरी ने ब्रिटेन की महारानी का न्योता ठुकरा गरीबों के साथ मनाया जश्न
By भारती द्विवेदी | Published: July 20, 2018 08:34 AM2018-07-20T08:34:28+5:302018-07-20T08:34:28+5:30
29 मई 1953 को न्यूजीलैंड के पर्वतरोही एडमंड और नेपाल तेनजिंग शेरपा ने अपनी पहली ही कोशिश में ही एवरेस्ट पर चढ़ाई पूरी कर ली थी।
नई दिल्ली, 19 जुलाई: दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह करने वाले पहले शख्स 'सर' एडमंड हिलेरी। जिन्होंने 29 मई 1953 को न्यूजीलैंड के पर्वतरोही एडमंड और नेपाल तेनजिंग शेरपा ने अपनी पहली ही कोशिश में ही एवरेस्ट पर चढ़ाई पूरी कर ली थी। जबकि उनदोनों से पहले कईयों ने इस कारनामा को सच करने को कोशिश की थी लेकिन असफल रहे थे। उनके नाम के आगे लगा 'सर' उन्हें उपाधि के तौर पर दुनिया से मिला था। एवरेस्ट फतह करने जैसा कारनामा कर दिखाने के बाद उन्होंने ये सम्मान मिलना लाजिमी था। 20 जुलाई को 'सर 'एडमंड हिलेरी का जन्म होता है, तो आइए हम उनके बारे में आपको कुछ रोचक जानकारी बता देते हैं।
- एडमंड हिलेरी का जन्म 20 जुलाई 1919 को न्यूजीलैंड में हुआ था। हिलेरी बचपन से ही वो बेहद ही शर्मिले स्वभाव के थे।
- दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एडमंड हिलेरी ने बतौर पायलट भी काम किया था। लेकिन बाद में उनकी पहचान पर्वतारोही के रूप में बनी।
- दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान हिलेरी के साथ नेपाल के तेनजिंग शेरपा थे।
- एवरेस्ट के अलावा उन्होंने हिमालय की दास चोटी और कई चोटियों पर चढ़ाई की थी।
- साल 1953 में वो लुस मेरी रोस के साथ शादी के बंधन में बंधे थे। उनदोनों का एक बेटा था। 1975 में उनकी बीवी और बेटे की काठमांडू में एक हवाई हादसे में मौत हो गई थी।
- 1989 में उन्होंने अपने एक दिवंगत पर्वतारोही पीटर मुलग्र्यू की विधवा जेन से दूसरी शादी की थी। उनके दो बेटे है पीटर और साराह।
- वर्ष 2003 में अपनी सफलता की 50 वीं वर्षगांठ पर उन्होंने ब्रिटेन की महारानी के निमंत्रण को ठुकरा कर अपनी सफलता का जश्न गरीब नेपाली शेरपाओं के साथ मनाया।
- एडमंड के बेटे पीटर हिलेरी दो बार एवरेस्ट फतह कर चुके चुके हैं। साल 1990 में वे पहली बार एडमंड के साथ एवरेस्ट पर पहुंचे थे। ये कारनामा कर दिखाने वाले वो पिता-पुत्र की पहली जोड़ी बने।
- 'सर' हिलेरी की फोटो न्यूज़ीलैंड के 5 डॉलर के नोट पर भी अंकित है। साथ ही वहां के कई स्कूल और संगठनों का नाम उनके नाम के ऊपर रखा गया है।
- हिलेरी ने अपना पूरा जीवन कुंभू ग्लेशियर के पास रहने वाले नेपाली शेरपाओं की सेवा में समर्पित कर दिया था। उनके इस योगदान को देखते हुए साल 2003 में उन्हें नेपाल की मानद् नागरिकता प्रदान की गई थी।
- 11 जनवरी 2008 में 88 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था। उनके निधन के बाद न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री हेलन क्लार्क ने रेडियो पर दुख जताते हुए देश के लिए बहुत बड़ा घाटा बताया था।
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