बांग्लादेशी लेखिका ने उपन्यास में मां को तलाश रहे बच्चे की कहानी बयां की 

By भाषा | Published: May 9, 2019 05:22 PM2019-05-09T17:22:45+5:302019-05-09T17:22:45+5:30

सेलिना हुसैन ने अपने नये उपन्यास में अपनी मां को तलाश रहे एक बच्चे की कहानी बयां की है, जिसे 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के मद्देनजर एक जर्मन दंपति ने गोद ले लिया था। सेलिना 1995 में इस बच्चे से अचानक ही मिली थी।

Hossain pens story of Liberation War child's search for biological mother | बांग्लादेशी लेखिका ने उपन्यास में मां को तलाश रहे बच्चे की कहानी बयां की 

लेखिका ने बताया कि इस उपन्यास में मानवाधिकार उल्लंघन एक और मुद्दा है। इस पुस्तक का प्रकाशन पलीम्पसेस्ट ने किया है।

Highlightsसेलिना के कई उपन्यास 1971 के बांग्लादेश मुक्तिसंग्राम की पृष्ठभूमि में लिखे गए हैं। उन्हें 2015 में दक्षेस साहित्य पुरस्कार मिला था। मैंने ‘चारकोल पोर्टरेट’ लिखना शुरू कर दिया।’’ इस उपन्यास की पृष्ठभूमि मूल रूप से 1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम है।

बांग्लादेशी उपन्यासकार सेलिना हुसैन ने अपने नये उपन्यास में अपनी मां को तलाश रहे एक बच्चे की कहानी बयां की है, जिसे 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के मद्देनजर एक जर्मन दंपति ने गोद ले लिया था। सेलिना 1995 में इस बच्चे से अचानक ही मिली थी।

लेखिका ने कहा, ‘‘मेरी बेटी लारा और विश्वविद्यालय में उसके सहपाठी उससे मिले थे, वह ढाका में था और अपनी मां को तलाश रहा था। वे लोग उसकी मां की तलाश में कुछ स्थानों पर गए थे। लेकिन उन्हें उनका कुछ अता - पता नहीं चल पाया। लारा उसे घर लेकर आ गई। लारा ने उसका मुझसे परिचय कराते हुए कहा, बांग्लादेश में एक और मां से मिलो।’’

हुसैन ने इस उपन्यास के लिए मिले विचार के बारे में बताया, ‘‘शायद मेरा स्नेह उसके दिल को छू गया, वह (लड़का) रोने लगा। उसके जाने पर लारा ने मुझसे उसके बारे में लिखने को कहा। इन सभी चीजों ने मुझे सोचने के लिए मजबूर कर दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, उस वक्त मैं सिलहट में एक चाय बागान के जनजीवन के बारे में एक उपन्यास पर काम कर रही थी। मैं अपने शोध के लिए उस इलाके में जाया करती थी। मैं उनकी दुखद कहानी सुना करती थी। मैं असमंजस में थी कि क्या यहां एक महिला कामगार उस बच्चे की मां हो सकती है जिससे मैं मिली थी।

मैंने ‘चारकोल पोर्टरेट’ लिखना शुरू कर दिया।’’ इस उपन्यास की पृष्ठभूमि मूल रूप से 1971 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम है। लेखिका ने बताया कि इस उपन्यास में मानवाधिकार उल्लंघन एक और मुद्दा है। इस पुस्तक का प्रकाशन पलीम्पसेस्ट ने किया है। उपन्यास के बांग्ला प्रारूप से अंग्रेजी अनुवाद टीना चटर्जी ने जैकी कबीर के साथ किया है। गौरतलब है कि सेलिना के कई उपन्यास 1971 के बांग्लादेश मुक्तिसंग्राम की पृष्ठभूमि में लिखे गए हैं। उन्हें 2015 में दक्षेस साहित्य पुरस्कार मिला था। 

Web Title: Hossain pens story of Liberation War child's search for biological mother

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