इस्तीफे में गोटबाया राजपक्षे ने किया खुद का बचाव, बोले- देश की सेवा करता रहूंगा
By शिवेंद्र राय | Published: July 16, 2022 03:49 PM2022-07-16T15:49:19+5:302022-07-16T15:51:34+5:30
गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद श्रीलंका की संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने नया राष्ट्रपति चुने जाने तक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया है। 20 जुलाई को श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद नया राष्ट्रपति चुनेगी।
नई दिल्ली: लंबे समय से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद आखिरकार श्रीलंकाई राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपना इस्तीफा दे ही दिया। गोटबाया राजपक्षे देश में लगातार तेज हो रहे विरोध प्रदर्शनों के कारण देश छोड़ कर भाग गए थे। राजपक्षे ने अपना इस्तीफा सिंगापुर से भेजा था। अपने इस्तीफे में राजपक्षे ने खुद का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी पूरी ताकत से देश की रक्षा की और आगे भी करते रहेंगे।
गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे को संसद में पढ़ा गया। देश की खराब अर्थव्यवस्था पर अपना बचाव करते हुए राजपक्षे ने अपने त्याग पत्र में लिखा, 'मैंने पूरी क्षमता के साथ मातृभूमि की रक्षा की और भविष्य में भी ऐसा ही करता रहूंगा।' उन्होंने कहा कि उनके राष्ट्रपति बनने के बाद तीन महीने के अंदर पूरी दुनिया कोविड-19 की चपेट में आ गई।राजपक्षे ने कहा, ''मैंने उस समय पहले से ही खराब आर्थिक माहौल से विवश होने के बावजूद लोगों को महामारी से बचाने के लिए कार्रवाई की।''
गोटबाया राजपक्षे ने अपने इस्तीफे में लिखा है, '2020 और 2021 के दौरान मुझे लॉकडाउन का आदेश देने के लिए मजबूर होना पड़ा और विदेशी मुद्रा की स्थिति बिगड़ गई। मेरे विचार में, मैंने स्थिति से निपटने के लिए एक सर्वदलीय या राष्ट्रीय सरकार बनाने का सुझाव देकर सबसे अच्छा कदम उठाया।' विरोध प्रदर्शनों के कारण गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका छोड़कर पहले मावदीव गए फिर वहां से सिंगापुर चले गए। राजपक्षे ने अपना इस्तीफा सिंगापुर से ही भेजा। राजपक्षे के इस्तीफे के बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया गया और सांसदों के सामने उनके इस्तीफे को पढ़ा गया।
रानिल विक्रमसिंघे बने कार्यवाहक राष्ट्रपति
गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद रानिल विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया है। 20 जुलाई को श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद नया राष्ट्रपति चुनेगी। 1978 के बाद पहली बार श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों के गुप्त वोट से होगा। अब तक राष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता करती थी।