WHO ने रोका हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का क्लिनिकल ट्रायल, ट्रंप ने इसी दवा को कोरोना इलाज के लिए मंगवाया था भारत से
By पल्लवी कुमारी | Published: May 26, 2020 07:58 AM2020-05-26T07:58:18+5:302020-05-26T07:58:18+5:30
अब तक इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि ये हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना वायरस के मरीजों के मामले में कितनी कारगर है। कई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस दवा के कोरोना मरीजों के लिए इस्तेमाल करने पर नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वासरस से पीड़ित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine HCQ) के क्लिनिकल ट्रायल पर फिलहाल रोक लगा दी है। WHO ने यह रोक फिलहाल अस्थायी तौर पर लगाई है। WHO ने इसपर रोक सुरक्षामनकों के तहत लगाई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेडरोस अधानोम गेब्रियेसस ने 25 मई (सोमवार) को कहा कि इस दवा (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वी) के सुरक्षित इस्तेमाल के बार में डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड अध्ययन करेगा। साथ ही इस दवा से जुड़े दुनिया भर में हो रहे प्रयोगों का व्यापक विश्लेषण भी किया जाएगा।
टेडरोस अधानोम गेब्रियेसस ने कहा कि आम तौर पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन का इस्तेमाल मलेरिया के मरीजों और पस जैसे ऑटोइम्यून बीमारी के मामलों में किया जाता रहा है लेकिन कोरोना वायरस के मरीजों में में इस दवा के सुरक्षित इस्तेमाल को लेरप चिंता जताई जा रही है।
स्टडी में दावा- जहां कोरोना मरीजों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दवा दी जा रही है, वहां मौत का खतरा ज्यादा
टेडरोस अधानोम गेब्रियेसस ने 'मेडिकल जर्नल 'लैंसेट' छपी एक स्टडी के बारे में बात करते हुए कहा कि इस रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमितों के इलाज में जिस देश में यहा जहां भी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की दवाई दी जा रही है, वहां मौत का खतरा ज्यादा हो रहा है।
"The review will consider data collected so far in the Solidarity Trial and, in particular robust randomised available data, to adequately evaluate the potential benefits and harms from this drug"-@DrTedros#COVID19
— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 25, 2020
इस स्टडी के सामने आने के बाद शनिवार (23 मई) को WHO की निगरानी में हो रहे कोविड-19 क्लिनिकल ट्रायल के एक्सिक्यूटिव ग्रूप की एक बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में 10 सदस्य देशों के प्रतिनिधी शामिल थे। इसी बैठक में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से जुड़े क्लिनिकल ट्रायल को अस्थायी तौर पर रोकने का फैसला लिया गया।
इसी के साथ WHO ने भी फैसला किया है कि वह हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और उसके प्रयोग का व्यापक विश्लेषण करेगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने इसी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को भारत से मंगवााय था
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस दवा को भारत से मांगा था। मार्च 2020 में भारत ने इस दवा के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप और बाकी देशों द्वारा दवा की डिमांड किए जाने के बाद भारत ये प्रतिबंध हटाए और अमरीका में इसकी आपूर्ति की थी। भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की 12 अप्रैल को पहली खेप अमेरिका भेजी गई थी।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का अमेरिका को निर्यात करने की मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शानदार शख्स बताते हुए कहा था कि ऐसे मुश्किल वक्त में भारत की मदद को भुलाया नहीं जाएगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह भी कहा था कि वह खुद कोरोना वायरस से बचाव के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का का सेवन कर रहे हैं।