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Coronavirus: शुरू हुआ कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा मानव ट्रायल, 80 प्रतिशत सफलता की उम्मीद

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 24, 2020 08:52 IST

Coronavirus: ब्रिटेन और जर्मनी में 700 वालंटियर्स इस परीक्षण का हिस्सा बने हैं और सबकुछ ठीक रहा तो अगले कुछ सप्ताह में 'चमत्कार' हो सकता है। वैसे, दुनिया भर में कोरोना टीके को लेकर अभी करीब 150 परियोजनाएं चल रही हैं।

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ठळक मुद्देकोरोना वैक्सीन का अब तक का सबसे बड़ा मानव परीक्षण शुरू, दुनिया भर की निगाहें ब्रिटेन की ओरजर्मनी में भी शुरू हुआ कोरोना के टीके का 200 से अधिक स्वयंसेवकों पर मानव परीक्षण

कोरना वायरस की महामारी से त्राहिमाम कर रहे विश्व के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है कि कोविड-19 के प्रकोप से बचने के लिए विकसित की जाने वाली वैक्सीन (टीका) का अब तक का सबसे बड़ा मानव परीक्षण (ह्यूमन ट्रायल ) शुरू हो गया है.

जर्मनी में भी कोरोना के टीके का 200 से अधिक स्वयंसेवकों पर मानव परीक्षण प्रारंभ किया गया है. ब्रिटेन के प्रख्यात ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में विकसित की गई वैक्सीन के बेहद अप्रत्याशित तेजी के साथ शुरू हुए इस परीक्षण पर पूरी दुनिया की आशाभरी निगाहें लगी हुई हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस वैक्सीन 'सीएचएडीओएक्स1 एनकोव-19' से आने वाले कुछ सप्ताह में चमत्कार हो सकता है.

ऑक्सफोर्ड की शोध निदेशक प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने अनुमान लगाया कि टीके के सफल होने की लगभग 80 प्रतिशत संभावना है. ब्रिटेन टीके की तलाश में काफी धन-साधन खर्च करने को तैयार है. ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मौट हैनकॉक का कहना है कि यह टीका कोरोना वायरस से लड़ने का एकमात्र कारगर तरीका है. टीके के ट्रायल के लिए लंदन के इंपीरियल कॉलेज को 2.25 करोड़ पाउंड की राशि उपलब्ध कराई जा रही है.

दुनिया में इस समय असरकारक ,हानिरहित कोरोना टीके को लेकर 150 परियोजनाएं चल रही हैं लेकिन जर्मनी और ब्रिटेन दुनिया के उन पांच देशों में शामिल हैं जिन्हें क्लिनिकल ट्रायल की इजाजत मिली है.

कैसे हो रहा टीके का प्रयोग: ब्रिटेन का ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय 510 और जर्मनी का फेडरल इंस्टीट्यूट 200 स्वस्थ लोगों पर कोरोना के टीके का परीक्षण करेगा. जिन लोगों पर इसका ट्रायल किया जाएगा उन्हें 18 साल से 55 साल की श्रेणी में रखा गया है.

ट्रायल के दौरान टीके की अलग-अलग किस्म को अलग-अलग लोगों को देकर यह देखा जाएगा कि ये वायरस को खत्म करने में कितना कारगर हैं. इसके दुष्परिणामों का भी अलग से परीक्षण किया जाएगा. एक विशेषज्ञ के अनुसार ब्रिटेन में प्रथम दौर के परीक्षण के बाद एक और अध्ययन किया जाएगा. इसमें वैक्सीन का 5,000 वालंटियर्स पर टेस्ट किया जाएगा.

विशेषज्ञों को है कुछ आशंका भी: एक रिपोर्ट के अनुसार इसे लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिविर्सटी और ब्रिटेन के वायरोलॉजिस्ट को चिंता भी है. वैज्ञानिकों को इस बात का डर है कि यदि इसमें कुछ भी गलत हुआ तो हजारों-लाखों लोग इससे प्रभावित हो सकते हैं, लैब की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.

ब्रिटेन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर पैट्रिक वालांसे भी अपनी चिंता जाहिर कर चुके हैं। उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश सरकार और ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन ने 2009 में स्वाइन फ्लू का टीका विकिसत किया था. इसका हजारों लोगों पर परीक्षण किया गया. इसमें शामिल लोगों ने सरकार और कंपनी पर मुकदमा ठोक दिया कि उन्हें नतीजों की कोई जानकारी नहीं दी गई और उनकी सेहत पर प्रायोगिक टीके का बुरा प्रभाव पड़ा.

जर्मनी के टीके का परीक्षण: अमेरिका में जर्मनी की बायोटेक कंपनी बायो एन टेक ने कोविड-19 का टीका बनाने का दावा किया है. अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर के साथ मिलकर बायो एन टेक ने इसेे बनाया है जिसका नाम बीएनटी 162 रखा है. जर्मनी के बाद इसका ट्रायल अमेरिका में भी किए जाने की संभावना है.

कैसे काम करेगा टीका: विशेषज्ञों के अनुसार यह वैक्सीन इसी वायरस का एक कमजोर रूप है जो चिम्पांजियों में सर्दी-जुकाम पैदा करता है. इंसानी कोशिकाओं में यह वो प्रोटीन बनाते हैं जो कोरोना वायरस के बाहरी सतह पर 'स्पाइक' ( कीलें ) बनाते हैं. अगर ट्रायल सफल रहा तो वालंटियर्स का इम्यून सिस्टम इन स्पाइक प्रोटीन्स को पहचानने लगेगा. फिर ये प्रोटीन कोरोना वायरस से लड़ेंगे. और उसे पनपने नहीं देंगे.

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