India China Tension: चीनी राजदूत ने कहा-सीमा विवाद कम करने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है चीन
By स्वाति सिंह | Published: June 25, 2020 07:30 PM2020-06-25T19:30:25+5:302020-06-25T22:12:40+5:30
चीनी राजदूत ने कहा कि आशंका और टकराव गलत रास्ता है। दोनों देशों के बीच टकराव दोनों ओर के लोगों की आकांक्षाओं के विपरीत है। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन तैयार है।
पूर्वी लद्दाख में तनाव के चरम पर पहुंचने के बाद मेल-मिलाप का लहजा अपनाते हुए चीन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह सैन्य टकराव से निपटने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार है। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के चलते बनी सैन्य तनाव की स्थिति को लेकर देश में चीन के राजदूत सुन वेईडॉन्ग ने उम्मीद जताई है कि दोनों पक्ष सैन्य तनाव की स्थिति को और जटिल बनाने से बचेंगे। वेईडॉन्ग ने कहा कि आपसी सम्मान और समर्थन निश्चित तौर पर दोनों देशों के हित में है। दोनों को इसी अनुरूप काम करना चाहिए।
पीटीआई के मुताबिक, चीनी राजदूत ने कहा कि आशंका और टकराव गलत रास्ता है। दोनों देशों के बीच टकराव दोनों ओर के लोगों की आकांक्षाओं के विपरीत है। उन्होंने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन तैयार है। वेईडॉन्ग ने कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध के विकास के लिए चीन भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है।
उन्होंने पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा स्थिति के समाधान के लिए मिलकर काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि वर्तमान सीमा विवाद का समुचित समाधान करने के लिए हम भारतीय पक्ष के साथ कार्य करने के लिए तैयार हैं।
हालांकि, इस सवाल पर कि चीन और भारत के बीच मौजूदा सीमा विवाद का समाधान कैसे हो सकता है, चीनी राजदूत ने कहा कि इसका जिम्मा केवल चीन पर नहीं है। उन्होंने कहा, 'इसका दायित्व चीन पर नहीं है। भारत द्वारा उठाए गए कदम विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों की भावनाओं के अनुरूप नहीं हैं।'
15 जून को गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद हो जाने के बाद तनाव काफी बढ़ गया। चीनी राजदूत ने कहा कि "परस्पर सम्मान और समर्थन" एक निश्चित तरीका है और दोनों देशों के दीर्घकालिक हितों को पूरा करता है। लेकिन उन्होंने जोर दिया कि क्षेत्र में तनाव कम करने की ज्यादातर जिम्मेदारी चीन की नहीं भारत की है। उन्होंने कहा, "चीन और भारत दोनों बड़े विकासशील देश हैं और एक अरब से अधिक आबादी के साथ उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं, और दोनों के पास अपने विकास और पुनरोद्धार को साकार करने का ऐतिहासिक मिशन है।"
उन्होंने कहा, "चीन पर दायित्व नहीं है। भारतीय पक्ष ने उकसावे के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और चीनी सैनिकों पर हमला किया। भारतीय बलों ने दोनों देशों के बीच सीमा के मुद्दों पर हुए समझौतों का गंभीरता से उल्लंघन किया।" साक्षात्कार के दौरान सुन ने चीनी सरकार के रुख को दोहराया कि भारतीय सैनिक गलवान घाटी संघर्ष के लिए जिम्मेदार हैं और इंगित किया कि पूर्वी लद्दाख में स्थिति में सुधार करने का दायित्व भारत पर है। चीन के इस दावे को भारत पहले ही अस्वीकार कर चुका है। भारत ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के लिए बीजिंग को जिम्मेदार ठहराते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि चीन मई के शुरू से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिक और युद्ध सामग्री जुटा रहा है तथा चीनी बलों का आचरण पारस्परिक सहमति वाले नियमों के प्रति पूर्ण अनादर का रहा है।