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चीन ने अपने ऐप के खिलाफ अमेरिकी आदेश की आलोचना की

By भाषा | Updated: January 6, 2021 18:46 IST

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बीजिंग, छह जनवरी (एपी) अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ‘‘अलीपे’’, ‘‘वी चैट पे’’ और छह अन्य ऐप की भुगतान सेवाओं से लेनदेन पर रोक संबंधी आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद चीन ने बुधवार को अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धियों को नुकसान पहुंचा रहा है।

अमेरिका के मंगलवार के इस आदेश ने प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और जासूसी के आरोपों को लेकर चीन के साथ उसके मतभेद को और बढ़ा दिया है। दोनों देशों के बीच संबंध करीब एक दशक में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है।

यह अमेरिकी आदेश न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज की एक घोषणा के बाद वित्तीय बाजार में उपजी भ्रम की स्थिति के बाद आया है। न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज ने पिछले हफ्ते घोषणा की थी कि वह चीन की तीन मोबाइल फोन कंपनियों को हटाएगा, लेकिन सोमवार को उसने अपना इरादा बदल दिया।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा, “यह अमेरिकी दादागिरी, मनमाने रवैये और आधिपत्यपूर्ण व्यवहार का एक और उदाहरण है।”

हुआ ने कहा, “यह अमेरिका द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को अत्यधिक अस्पष्ट बनाने और विदेशी कंपनियों पर अनुचित दबाव बनाने के लिये राष्ट्रीय शक्ति के दुरुपयोग का एक और उदाहरण है।”

उन्होंने कहा कि चीन अपनी कंपनियों की सुरक्षा के लिये “आवश्यक कदम” उठाएगा।

ट्रंप के आदेश में ऐप द्वारा अमेरिका के लोगों के व्यक्तिगत और वित्तीय आंकड़े जुटाए जाने और उन्हें चीन की कम्युनिस्ट सरकार को सौंपे जाने को लेकर चिंता प्रकट की गई हैं।

हालांकि, हुआ ने इस दलील को हास्यास्पद करार देते हुए अमेरिकी सरकार द्वारा जुटाई गई खुफिया जानकारियों का उल्लेख किया।

हुआ ने कहा, “यह किसी गैंगस्टर की तरह है, जो खुद तो बेशर्मी से चोरी करता है लेकिन फिर ऐसे शोर करता है जैसे उसने डकैती से बचा लिया। यह कितना पाखंडपूर्ण और हास्यास्पद है।”

चीन के मोबाइल ऐप को भारत में भी ऐसे ही विरोध का सामना करना पड़ा था, जब दोनों देशों के बीच सीमा पर जारी गतिरोध के दौरान सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए उसके (चीन के) दर्जनों ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

ट्रंप ने अगस्त में चीन के स्वामित्व वाले लोकप्रिय वीडियो ऐप टिकटॉक और वी चैट मैसेजिंग ऐप पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश जारी किये थे।

ये आदेश नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद प्रभावी होंगे, ऐसे में यह सवाल बरकरार है कि क्या सरकार इन आदेशों को आगे बढ़ाएगी?

बाइडन के कार्यालय के एक प्रतिनिधि ने इस सवाल पर टिप्पणी के अनुरोध पर मंगलवार को तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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