भारत के बाद हांगकांग में कामकाज बंद करेगा एमनेस्टी इंटरनेशनल, चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को बताया जिम्मेदार
By विशाल कुमार | Published: October 25, 2021 03:26 PM2021-10-25T15:26:56+5:302021-10-25T15:33:59+5:30
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि हांगकांग में चीन द्वारा लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कारण उसका स्वतंत्रतापूर्वक काम करना असंभव हो गया है जिसके कारण वह वहां अपने सभी दफ्तरों को बंद करने जा रहा है.
हांगकांग: अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का हवाला देते हुए हांगकांग में अपने दफ्तरों को बंद करने की घोषणा कर दी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि हांगकांग में चीन द्वारा लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कारण उसका स्वतंत्रतापूर्वक काम करना असंभव हो गया है जिसके कारण वह वहां अपने सभी दफ्तरों को बंद करने जा रहा है.
Office of AIHK ceases its operation on 31 October 2021. Amnesty will continue to monitor the human rights condition in Hong Kong and around the world. Learn More: https://t.co/tjtjtlEhYNpic.twitter.com/WyRhcZF3q4
— Amnesty International Hong Kong (@amnestyHK) October 25, 2021
एमनेस्टी इंटरनेशनल बोर्ड की अध्यक्ष अंझुला मया सिंह बैंस ने कहा कि इस साल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कम से कम 35 समूहों को कामकाज बंद करने के लिए मजबूर करने वाली कार्रवाई की रफ्तार को देखते हुए इस साल के अंत तक दोनों दफ्तर बंद कर दिए जाएंगे.
उन्होंने कहा कि भारी दिल के साथ लिया गया फैसला हांगकांग के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कारण लिया गया है, जिसने हांगकांग में मानवाधिकार संगठनों के लिए स्वतंत्र रूप से और गंभीर प्रतिशोध के डर के बिना काम करना असंभव बना दिया है.
बैंस ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के कारण जो दमन और अनिश्चितता का माहौल पैदा हुआ है उसमें यह नहीं पता चल सकता है कि किस गतिविधि के कारण आपराधिक प्रतिबंध लग सकते हैं.
बता दें कि, 1997 में ब्रिटिश शासन द्वारा हांगकांग को चीन को सौंपे जाने के समय उसे जिस बड़े पैमाने पर स्वायत्ता और मजबूत कानूनी व्यवस्था दी गई थी उसके कारण पिछले कुछ सालों तक हांगकांग को एशिया के गैर-सरकारी संगठनों को गढ़ माना जाता था.
इस साल कई व्यापारिक संघ, गैर-सरकारी संगठन और व्यावसायिक समूहों ने वहां अपना कामकाज बंद कर दिया जबकि कई अन्य ताइवान चले गए.
बता दें कि, पिछले साल सितंबर के अंत में एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत सरकार पर प्रतिशोध की भावना से काम करने का आरोप लगाते हुए अपना कामकाज बंद कर दिया था.