इस वजह से राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं बनाया मध्यप्रदेश का सीएम, बाजी पलटने का था डर
By जनार्दन पाण्डेय | Published: December 15, 2018 10:59 AM2018-12-15T10:59:59+5:302018-12-15T10:59:59+5:30
एमपी में सीएम चुनने की तो राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य के ऊपर कमनाथ को तरजीह दी। कई एमपी चुनाव विशेषज्ञों का यह मानना है कि ऐसा आगामी चुनाव 2019 को देखते हुए और इससे भी ज्यादा एमपी में कांग्रेस की सरकार बनाए रखने के लिए किया गया है। जानिए, पूरी वजह-
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के लिए दिग्गज कांग्रेस नेता माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सबसे आगे थे। उनकी कड़ी प्रतिस्पर्धा सहयोगी पूर्व एमपी सीएम कमलनाथ से थी। लेकिन कमलनाथ की तुलना में वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ज्यादा करीबी और राहुल गांधी की सोच से मेल खाते नेता माने जाते हैं।
बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया राहुल गांधी के स्कूल के दोस्त बताए जाते हैं। जब संसद में पीएम मोदी पर हमला बोलने के बाद राहुल गांधी ने आंख मारी थी तब यह तथ्य बहुत तेजी से उभरा था कि राहुल ने ज्योतिरादित्य को देखते हुए आंख मारी थी। ज्योतिरादित्य ने उन्हें उनके भाषण के लिए तब बधाई दी थी, तब दोस्त होने के नाते उन्होंने आंखकर अपनी खुशी का इजहार किया था।
लेकिन जब बात आई एमपी में सीएम चुनने की तो राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य के ऊपर कमनाथ को तरजीह दी। कई एमपी चुनाव विशेषज्ञों का यह मानना है कि ऐसा आगामी चुनाव 2019 को देखते हुए और इससे भी ज्यादा एमपी में कांग्रेस की सरकार बनाए रखने के लिए किया गया है।
असल में एमपी में कांग्रेस की जीत बहुत चौंकाने वाली है। एमपी में कांग्रेस को कुल 40.9 फीसदी यानी 15,595,153 वोट मिले हैं। जबकि बीजेपी को इससे ज्यादा 41 फीसदी यानी 15,642,980 वो मिला है। यानी कि कांग्रेस की तुलना में बीजेपी को 47,827 वोट ज्यादा मिले हैं। लेकिन सीटों की मामले में बीजेपी से कांग्रेस ने 5 सीटें ज्यादा जीती हैं। फिर कांग्रेस का स्पष्ट बहुमत भी नहीं है। उन्हें दो सीटें या तो दूसरी पार्टियों से या दो निर्दलीय विधयकों की जरूरत पड़ेगी।
ऐसे में यह माना जा रहा था कि इस तरह की तलवार की नोक पर रखी हुई सरकार को चलाने के लिए युवा और जोशो-खरोश वाले युवा ज्योतिरादित्य के बजाए अनुभवी और शातिर राजनेता कमलनाथ को सत्ता सौंपना ठीक रहेगा। अन्यथा बीजेपी कभी भी सत्ता को पलट देगी।
बल्कि कांग्रेस को इस बात पहले से अहसास था कि बीजेपी ने परिणाम आने के बाद एक बार सरकार बनाने के लिए सुगबुगाहट तेज भी की थी। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखकर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी दोनों ने ही बिना शर्त कांग्रेस को समर्थन दे दिया। इन दोनों पार्टियों के पास तीन विधायक हैं। ऐसे में फिलहाल मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार स्थाई है।
लेकिन इसे बनाए रखने के लिए लगातार तार-घाट बिठाए रखना होगा। अन्यथा कब मध्यप्रदेश में तख्त पलट जाए, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। शायद इसी भय ने राहुल गांधी को अपने दोस्त को एमपी की गद्दी पर बिठाने से रोक दिया।