130 साल की उम्र में 'गंगाराम' की मौत, बनाया जाएगा मंदिर
By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: January 11, 2019 03:16 PM2019-01-11T15:16:57+5:302019-01-11T15:56:58+5:30
मंगलवार (8 जनवरी) की सुबह जब अचानक गंगाराम पानी से ऊपर आ गया, तो लोगों को कुछ संदेह हुआ। पास जाकर देखा, तो गंगाराम अंतिम सांस ले चुका था। शव को बाहर निकाला गया और पूरे गांव में खबर आग की तरह फैल गई। सभी लोग गंगाराम के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े...
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में 130 साल के 'गंगाराम' की मौत हो गई। गांव वाले गंगाराम को किसी देवता से कम नहीं मानते थे। अब गंगाराम के सम्मान में बवामोहतरा गांव में मंदिर बनाने का ऐलान कर दिया गया है। आपको बता दें कि दरअसल 'गंगाराम' कोई इंसान नहीं, बल्कि एक मगरमच्छ था।
मंगलवार (8 जनवरी) की सुबह जब अचानक गंगाराम पानी से ऊपर आ गया, तो लोगों को कुछ संदेह हुआ। पास जाकर देखा, तो गंगाराम अंतिम सांस ले चुका था। शव को बाहर निकाला गया और पूरे गांव में खबर आग की तरह फैल गई। सभी लोग गंगाराम के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े। जानकारी वन विभाग तक पहुंची, तो विभाग ने पोस्टमार्टम करने के लिए मांग की। हालांकि स्थानीय लोगों ने गांव में ही पोस्टमार्टम करने का अनुरोध किया, जिसे मान लिया गया।
इसके बाद गंगाराम के शव को सजाकर ट्रैक्टर पर रखा गया और पूरे गांव में में पार्थिव शरीर को घुमाया गया। ढोल-मंजीरे के साथ शवयात्रा निकली और गांव वाले अपने आंसू थाम नहीं सके। तालाब के पास ही गंगाराम को दफनाया गया।
इस वजह से गंगाराम को मानते थे देवता: स्थानीय लोगों के मुताबिक इस गांव में महंत ईश्वरीशरण देव गंगाराम को अपने साथ लाए थे। गंगाराम को उस दौरान यहां के तालाब में छोड़ दिया गया था। साथ में कुछ और मगरमच्छ भी थे, लेकिन गंगाराम इनमें सबसे आखिर तक जीवित रहा।
शाकाहारी था गंगाराम: जब कभी ग्रामीण गंगाराम को नाम से पुकारते, तो वह तालाब से बाहर आ जाता। ग्रामीणों के मुताबिक गंगाराम ने कभी भी किसी को परेशान नहीं किया। लोग उसकी पूजा करते थे। गंगाराम मांसाहारी प्रजाति होने के बावजूद शाकाहारी भोजन करता था। लोग उसे दाल-चावल देते, जिसे वो बड़े चाव से खाता था। गांव वालों में इस मगरमच्छ के प्रति आस्था इतनी है कि उन्होंने अब गंगाराम का मंदिर बनवाने का फैसला ले लिया है।