उत्तराखंड के किसान ने उगाया दुनिया का सबसे ऊंचा धनिये का पौधा, गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज
By प्रिया कुमारी | Published: June 4, 2020 03:54 PM2020-06-04T15:54:39+5:302020-06-04T15:54:39+5:30
गोपाल दत्त का कहना है कि गिनीज बुक में नाम दर्ज होना देश के किसान के लिए गर्भ की बात होगी। खासकर जैविक कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि है। गोपाल दत्त बताते हैं कि खेती के लिए उनकी पत्नी ने वीना उप्रेती ने उन्हे प्रेरित किया है।
अल्मोड़ाः उत्तराखंड के अल्मोड़ा में रहने वाले जैविक किसान गोपाल उप्रेती ने दुनिया का सबसे ऊंचा 7 फुट का धनिये का पौधा उगाकर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड नें जगह बना ली है।
उन्होंने दावा किया है कि इससे पहले इतना ऊंचा धनिए का पौधा किसी ने नहीं उगाया है, इससे पहले के रिकॉर्ड में जर्मनी के नाम है जिसने 6 फुट उंचा धनिया उगाया था। गोपाल दत्त का एक जीएस आर्गेनिक एप्पल फार्म है। वह 10 हैक्टेयर क्षेत्र में धनिया और लहसून उगाते हैं। जबकि 1.5 हेक्टेयर में सेब का बगीचा और सब्जी लगाते हैं।
अप्रैल को मुख्य उद्यान अधिकारी त्रिलोकी नाथ पांडे और विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिक डॉ. गणेश चौधरी ने उनके फार्म का निरीक्षण किया था। वहां पर उन्होंने देखा कि खेत में धनिए के पौधे औसत से काफी बड़े हैं। 27 मई को मुख्य उद्यान अधिकारी पांडे, जैविक उत्पाद परिषद मजखाली के इंचार्ज डॉ. देवेंद्र सिंह नेगी, उद्यान सचल दल केंद्र बिल्लेख प्रभारी राम सिंह नेगी ने फिर उनके खेत में धनिया के पौधों की लंबाई नापी।
नापने पर पता चला कि धनिये का पौधा 7 फुट एक इंच का था। इसके अलावा उनके खेत में पांच से सात फीट उंचाई के और भी कई पौधे मौजूद थे। गोपाल दत्त ने इस उपलब्धि के लिए गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए अप्लाई किया है। गोपाल दत्त का कहना है कि गिनीज बुक में नाम दर्ज होना देश के किसान के लिए गर्भ की बात होगी। खासकर जैविक कृषि के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि है। गोपाल दत्त बताते हैं कि खेती के लिए उनकी पत्नी ने वीना उप्रेती ने उन्हें प्रेरित किया है।
उप्रेती ने बताया कि उनके खेत में सेब, आडू, खुमानी, प्लम के साथ ही तरह—तरह की सब्जियां भी उगायी जाती हैं। उन्होंने इस साल अप्रैल माह में गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड के पिछले रिकार्ड को चुनौती दी थी। अल्मोडा के मुख्य उद्यान अधिकारी पांडे ने बताया कि गोपाल उप्रेती ने अपनी मेहनत से यह सफलता पायी है जो अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का काम करेगी।