ग्राम प्रधान बाबूलाल ने मृत्यु प्रमाण पत्र पर लिखा, आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं, पत्र वायरल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 26, 2020 03:31 PM2020-02-26T15:31:55+5:302020-02-26T15:31:55+5:30
ग्राम प्रधान बाबूलाल का मृत्यु प्रमाण पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो गया है.
क्या आपने कभी मृतकों के लिए उज्ज्वल भविष्य की कामना के बारे में सुना है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में ऐसी ही एक विचित्र घटना हुई है, जिसे सुनकर आपको हंसी आ सकती है। उन्नाव के एक ग्राम प्रधान ने एक वृद्ध व्यक्ति के मृत्यु प्रमाण पत्र पर उज्ज्वल भविष्य की कामना का संदेश लिख दिया। बुजुर्ग व्यक्ति की मृत्यु पिछले महीने हुई थी।
हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, यह घटना उन्नाव के औरोहा ब्लॉक के सिवरिया गांव की हैं। यहां 22 जनवरी को एक वृद्ध व्यक्ति लक्ष्मी शंकर की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी।
उनका बेटा ग्राम प्रधान बाबूलाल के पास गया और उनसे मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का अनुरोध किया। मृत्यु प्रमाण पत्र के बिना परिवार के सदस्यों को वित्तीय लेनदेन में दिक्कत होती है। लक्ष्मी शंकर के बेटे को भी वित्तीय लेनदेने के लिए इसकी जरूरत थी।
बाबूलाल ने न केवल मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया, बल्कि दस्तावेज पर 'मृतक के उज्ज्वल भविष्य की कामना' भी की।
गाँव के मुखिया ने मृत्यु प्रमाण पत्र में लिखा है, प्रमाणित किया जाता है कि लक्ष्मीशंकर पुत्र बजरंग, निवासी ग्राम-सिरवइया, पोस्ट-कंचनपुर, थाना-असोहा, जिला-उन्नाव, के मूल निवासी थे। इनकी मृत्यु 22-1-2020 को हो गई थी, मैं इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।"
यह पत्र सोमवार (24 फरवरी) को सोशल मीडिया में वायरल हो गया है जिसके बाद ग्राम प्रधान ने गलती के लिए माफी मांगी। ग्राम प्रधान बाबूलाल ने दोबारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया।
जानें क्यों जरूरी हैं मृत्यु प्रमाण पत्र
किसी व्यक्ति के मौत के बाद उसके परिजनों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र बेहद जरूरी है। हर व्यक्ति के पास कुछ ना कुछ जमीन या थोड़े से भी पैसे जरूर बैंक में होते हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र के बिना आपका संबंध मृतक से बेटे का भी हुआ है तो उनके नाम की जमीन-पैसे आप नहीं पा सकते। मृत्यु प्रमाण पत्र का स्पष्ट नियम है कि जिस इलाके में मौत हुई है उसी इलाके के एसडीएम इसे जारी कर सकते हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र से पहले वंशावली जरूर बनाई जाती है। वंशावली के आधार पर ही मृतक के असल आश्रित या वारिस खुद को कानूनी तौर पर साबित करते हैं।