Jammu: सोशल मीडिया की एक पोस्ट इस बार वाट लगा चुकी है तरबूज की बिक्री की कश्मीर में

By सुरेश एस डुग्गर | Published: April 1, 2024 03:40 PM2024-04-01T15:40:26+5:302024-04-01T15:42:36+5:30

हालांकि खाद्य सुरक्षा विभाग ने कश्मीर में तरबूज की बिक्री को कब से हरी झंडी दे रखी है पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कश्मीर में तरबूज की बिक्री की वाट लगा चुकी हे।

This time a post on social media has started promoting the sale of watermelon in Kashmir | Jammu: सोशल मीडिया की एक पोस्ट इस बार वाट लगा चुकी है तरबूज की बिक्री की कश्मीर में

फाइल फोटो

Highlightsसोशल मीडिया पर एक पोस्ट कश्मीर में तरबूज की बिक्री की वाट लगा चुकी हेकई विक्रेताओं ने कहा कि हालांकि मंजूरी के बाद बिक्री में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन पिछले साल की तुलना में यह काफी कम हैकश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स कम डीलर्स यूनियन के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर कहते थे कि विभाग की मंजूरी के बावजूद, बिक्री अभी भी लगभग 40 प्रतिशत कम है

हालांकि खाद्य सुरक्षा विभाग ने कश्मीर में तरबूज की बिक्री को कब से हरी झंडी दे रखी है पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कश्मीर में तरबूज की बिक्री की वाट लगा चुकी हे। यही कारण है कि मंजूरी मिलने के बावजूद इस साल कश्मीर में तरबूज की बिक्री कम बनी हुई है। कई विक्रेताओं ने कहा कि हालांकि मंजूरी के बाद बिक्री में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन पिछले साल की तुलना में यह काफी कम है।

तरबूज विक्रेताओं का कहना था कि यह गिरावट कुछ डाक्टरों द्वारा तरबूज को कृत्रिम रूप से पकाने के दावों और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण है। विक्रेता मोहम्मद रमजान का कहना था कि कृत्रिम रूप से पकाने की खबरें सामने आने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने भी तरबूज खाने से परहेज किया है।

खाद्य सुरक्षा विभाग से मंजूरी के बावजूद, उपभोक्ताओं के बीच अनिच्छा जारी है, खासकर रमजान के दौरान जब तरबूज की खपत पारंपरिक रूप से अधिक होती है। अन्य फल विक्रेताओं ने भी इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कहा कि कृत्रिम रूप से पकाने के दावों का तरबूज की बिक्री पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है।

कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स कम डीलर्स यूनियन के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर कहते थे कि विभाग की मंजूरी के बावजूद, बिक्री अभी भी लगभग 40 प्रतिशत कम है। बिक्री में गिरावट तब देखी गई जब क्लिनिकल आन्कोलाजिस्ट डा वजाहत ने कैंसर सहित संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के कारण कृत्रिम रूप से पकाए गए तरबूज खाने के प्रति आगाह किया। आठ मार्च को उनका सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हो गया और साथी डाक्टरों का समर्थन प्राप्त हुआ।

इसके बाद, खाद्य सुरक्षा विभाग ने परीक्षण के लिए विभिन्न जिलों से सैकड़ों नमूने एकत्र किए और निष्कर्ष निकाला कि कुछ भी प्रतिकूल नहीं पाया गया और तरबूज उपभोग के लिए सुरक्षित हैं। हालांकि, डाक्टरों द्वारा किए गए शुरुआती दावों का असर उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है, जिसके कारण कश्मीर में तरबूज की बिक्री कम हो गई है।

यह सच है कि कश्मीर में सिर्फ मीट ही नहीं बल्कि तरबूज और खजूर की खपत भी पिछले साल एक रिकार्ड बना चुकी है। सच में कश्मीरियों ने पिछली बार रमजान के पवित्र महीने में खजूर खाने में नया रिकार्ड कायम किया था। हालांकि वर्ष 2022 की तरह तरबूज की खपत प्रथम स्थान पर ही रही थी पर इस बार इसमें खजूर भी जुड़ गई थी। रिकार्ड के अनुसार, पिछले साल रमजान के दिनों में कश्मीरियों ने 150 ट्रक खजूर खा ली थी। और इस साल इनकी खपत 200 ट्रक से अधिक होने की है।

दरअसल हर साल रमजान के पवित्र महीने में तरबूज की बिक्री आम तौर पर बढ़ जाती है। पर पिछली बार कश्मीरियों को खजूर भी बहुत पसंद आई थी। पत्रकारों से बात करते हुए ड्राई फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष बहादुर खान ने बताया कि पिछले रमजान मंे करीब 150 ट्रक खजूर कश्मीर पहुंचे थे और इस बार इनका आना शुरू हो चुका है। कश्मीर में जो खजूर खाए जाते हैं उनमें ज्यादातर अजवा हैं और ज्यादातर श्रीनगर लाए जाते हैं। फिर श्रीनगर से, विभिन्न जिलों के विभिन्न वितरकों को खजूर बेचे जाते हैं।

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