ब्रिटेन और कोरिया के साथ भारतीय टीम ने किया कमाल, पुराने फेस मास्क को इस्तेमाल कर हवा से CO2 हटाने की तकनीक को किया विकसित

By भाषा | Updated: March 22, 2023 16:29 IST2023-03-22T16:18:43+5:302023-03-22T16:29:49+5:30

इस तकनीक को विकसित करने के लिए झारखंड के बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, ब्रिटेन के न्यूकैसल विश्वविद्यालय और कोरिया के इन्हा विश्वविद्यालय एवं हानयांग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता ने हिस्सा लिया है।

Team led by Indian discovered technique to remove carbon dioxide with help of old face mask | ब्रिटेन और कोरिया के साथ भारतीय टीम ने किया कमाल, पुराने फेस मास्क को इस्तेमाल कर हवा से CO2 हटाने की तकनीक को किया विकसित

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsब्रिटेन और कोरिया के साथ मिलकर भारतीय टीम ने एक नई तकनीक को विकसित किया है। ऐसे में इस टीम का नेतृत्व बेंगलूर की एलायंस यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर सुनंदा राय कर रही हैं। इस तकनीक के माध्ययम से पुराने फेस मास्क को इस्तेमाल कर हवा से कार्बन डाई-ऑक्साइड को हटाया जा सकता है।

नई दिल्ली: एक भारतीय के नेतृत्व वाले अनुसंधान दल ने एक नई तकनीक विकसित की है जिसमें वायु से कार्बन डाई-ऑक्साइड (सीओ2) को हटाने के लिए पुराने फेसमास्क को उपयोग में लाया जाता है। अनुसंधानकर्ताओं ने उपयोग में लाये जा चुके फेसमास्क को छिद्र युक्त रेशेदार सोखने वाले पदार्थ में परिवर्तित कर दिया। ये ऐसे पदार्थ होते हैं जो किसी सतह पर गैस, तरल या घुलनशील ठोस पदार्थ के अणुओं को खींच लेते हैं। 

क्या है यह नई तकनीक

इन सोखने वाले पदार्थ में बहुत सारे लाभ होते हैं। इनमें सोखने की उच्च दर तथा दानेदार एवं पाउडरयुक्त पदार्थों की तुलना में इसका रखरखाव करना आसान होना शामिल है। इस टीम का नेतृत्व बेंगलूर की एलायंस यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर सुनंदा राय कर रही हैं। इस टीम में एक ऐसी तकनीक विकसित की है जिसमें विकसित रेशों या धागों में बड़ी संख्या में छिद्र तैयार किए जा सकते हैं जो सीओ2 सोखने में सक्षम हैं। 

इस रेशे या धागे की सतह को एमीन (अमोनिया के यौगिक) से बेहतर बनाया जाता है। इनमें नाइट्रोजन होता है जिसके कारण सीओ2 को सोखने की क्षमता और बढ़ जाती है। जर्नल कार्बन में प्रकाशित एक अध्ययन में इस नए पदार्थ की कई समकालिक अध्ययन में पाये गए पदार्थ की तुलना में सोखने की क्षमता को बहुत अधिक दिखाया गया है। 

इसमें भारत के साथ ब्रिटेन और कोरिया के अनुसंधानकर्ता ने लिया है हिस्सा

इस अध्ययन दल में झारखंड के बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी, ब्रिटेन के न्यूकैसल विश्वविद्यालय, कोरिया के इन्हा विश्वविद्यालय एवं हानयांग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता शामिल हैं। इस टीम ने एक उत्प्रेरक आधारित ग्रेफिने फोम विकसित किया है जो सीओ2 को ईंधन में परिवर्तित कर सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने यह भी सुझाव दिया है कि छिद्रयुक्त सोखने वाले रेशे कपड़ा एवं चमड़े जैसे उद्योगों से निकलने वाले संदूषित जल का शोधन में प्रयुक्त किए जाने की संभावित क्षमता रखते हैं।
 

Web Title: Team led by Indian discovered technique to remove carbon dioxide with help of old face mask

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