बेटा बोर्ड एग्जाम मे 60% अंक लाया, मां ने लिखी ऐसी फेसबुक पोस्ट कि बिना पढ़े नहीं रह पा रहे यूजर्स
By रोहित कुमार पोरवाल | Published: May 9, 2019 06:47 PM2019-05-09T18:47:59+5:302019-05-09T18:47:59+5:30
आज आमतौर पर जहां माता-पिता अपने बच्चों को बोर्ड एग्जाम्स में ही आइंसटीन और न्यूटन के तौर पर देखना चाहते हैं, वहीं इस मां के उसके बच्चे के लिए लिखे शब्द तरक्की की अंधी दौड़ में सुकून देने वाला एक ऐसा पड़ाव महसूस कराते हैं जहां असल प्रतिभा को बाहर लाने का अवकाश भी है और ढेर सारी प्रेरणा भी।
एक तरफ जहां बोर्ड एग्जाम में 99 से 100 फीसदी अंक तक लाकर बच्चे माडिया की सुर्खियां बन रहे हैं वहीं, एक 60 फीसदी अंक लाने वाले एक छात्र की मां की भावुक पोस्ट फेसबुक पर लोगों के दिलों को छू रही हैं। यह पोस्ट जिस यूजर के सामने एक बार आ जा रही है वो इसे बिना पढ़े नहीं रह पा रहा है।
आज आमतौर पर जहां माता-पिता अपने बच्चों को बोर्ड एग्जाम्स में ही आइंसटीन और न्यूटन के तौर पर देखना चाहते हैं, वहीं इस मां के उसके बच्चे के लिए लिखे शब्द तरक्की की अंधी दौड़ में सुकून देने वाला एक ऐसा पड़ाव महसूस कराते हैं जहां असल प्रतिभा को बाहर लाने का अवकाश भी है और ढेर सारी प्रेरणा भी। कम अंक लाने वाले इस बच्चे की मां की फेसबुक पोस्ट दुनियाभर के लोगों के लिए एक नजीर हो सकती है।
दिल्ली की वंदना सूफिया कटोच का बच्चा दसवीं की बोर्ड परीक्षा में 60 फीसदी अंकों के साथ पास हुआ है। वैसे तो 60 फीसदी अंकों में फर्स्ट डिवीजन बनती है लेकिन सीबीएसई नतीजों को लेकर जो आम सोच हो चली है उसके हिसाब से 85-90 फीसदी से कम अंक लाने वाले छात्र फिसड्डी ही माने जाते हैं और उन्हें सर-आंखों पर बैठाने वाला दुलार नहीं मिल पाता है। एक प्रकार से घर और रिश्तेदारों के बीच उन्हें हेय दृष्टि से देखा जाना आम है लेकिन दिल्ली की इस मां ने जिस प्रकार अपने बेटे को सराहा है वह उसे किसी हीरो से कम नहीं दिखाता है।
वंदना ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, ''10वीं की बोर्ड परीक्षा में 60 फीसदी अंक लाने वाले मेरे बेटे पर मुझे सुपर प्राउड है। हां, यह 90 फीसदी नहीं हैं लेकिन इससे मेरे अहसास को फर्क नहीं पड़ता है। सीधी सी बात है कि मैंने उसे कुछ विषयों के साथ उसे संघर्ष करते हुए, लगभग हार मानने के बिंदु पर देखा है और फिर आखिरी डेढ़ महीने में कामयाबी के लिए उसे पूरा सामर्थ्य लगाते हुए देखा है! तुमने कर दिखाया, आमिर। और तुम्हारे जैसे बच्चों के लिए कहती हूं- बच्चों को प्रतिभा से उलट काम करने के लिए कहा जाता है। बड़े, विस्तृत महासागर में अपने खुद के पाठ्यक्रम को तय करो माइ लव और अपनी सहज अच्छाई, जिज्ञासा और ज्ञान को जिंदा रखो और हां अपने दुष्ट विनोदी भाव को भी!''