गरीब बूंद-बूंद को मोहताज, अमीर धो रहे गाड़ी और स्विमिंग पूल में बेहताशा पानी को कर रहे बर्बाद, रिसर्च में खुलासा
By आजाद खान | Published: April 12, 2023 02:56 PM2023-04-12T14:56:22+5:302023-04-12T15:25:17+5:30
रिसर्च में शामिल हुए रीडिंग विश्वविद्यालय के हाइड्रोलॉजिस्ट प्रोफेसर हन्ना क्लॉक का कहना है कि "दुनिया भर में 80 से अधिक बड़े शहर पिछले 20 वर्षों में सूखे और पानी के निरंतर उपयोग के कारण पानी की कमी से पीड़ित हैं, लेकिन हमारे अनुमानों से पता चलता है कि यह संकट और भी बदतर हो सकता है क्योंकि अमीर और गरीब के बीच की खाई दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ती जा रही है।"
नई दिल्ली: एक नए रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि अमीर लोग द्वारा अपने स्विमिंग पूल में पानी के इस्तेमाल से गरीब लोग प्रभावित हो रहे है। रिसर्च के अनुसार, अमीर लोग अपने निजी इस्तेमाल के लिए इतना पानी खर्च कर दे रहे है कि इससे इलाके में पानी की दिक्कत हो जा रही है जिससे गरीब तबके तक जरूरत का पानी भी सही से पहुंच नहीं पा रहा है।
रिसर्च में यह दावा किया गया है कि इस तरह के हालात के पीछे कई कारण है जिससे गरीब लोगों तक पानी सही से नहीं पहुंच पा रहा है। इस रिसर्च को दुनिया के कई शहरों में किया गया है और फिर दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन को ज्यादा फोकस किया गया है कि क्योंकि यह शहर पानी कम वाले मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित है।
रिसर्च में क्या खुलासा हुआ है
नेचर सस्टेनेबिलिटी नामक पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च में यह पाया गया है कि जो लोग शहर में रह रहे है, वे अपने निजी इस्तेमाल के लिए जरूरत से ज्यादा पानी को खर्च कर रहे है। इन अमीर लोगों द्वारा पानी का इस्तेमाल इतना ज्यादा है कि इससे गरीब लोग के रोज-मर्रा में इस्तेमाल होने वाले पानी पर भी असर पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर अमीर लोग बड़ी-बड़ी गाड़ियों की धुलाई कर, बगीचों में पानी देकर और स्विमिंग पूल में बार-बार पानी को बदलकर इलाके में पानी की कमी कर दे रहे है। इससे गरीब लोग काफी प्रभावित हो रहे है क्योंकि ये लोग उनका पानी भी यूज कर ले रहे है।
इस रिसर्च को दुनिया के 80 देशों में किया गया है जिसमें लंदन, मियामी, बार्सिलोना, बीजिंग, टोक्यो, मेलबर्न, इस्तांबुल, काहिरा, मास्को, बैंगलोर, चेन्नई, जकार्ता, सिडनी, मापुटो, हरारे, साओ पाउलो, मैक्सिको सिटी और रोम सहित दुनिया के अन्य शहर शामिल है। इन देशों में सबसे ज्यादा फोकस दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन शहर में किया गया है पानी को लेकर लोग काफी प्रभावित है।
शोधकर्ताओं का क्या है कहना
रिसर्च में यह कहा गया है कि सामाजिक असमानताएं, जलवायु परिवर्तन और शहरी आबादी में वृद्धि होने के कारण दुनिया के कई बड़े शहरों में पानी की मांग में इजाफा हुआ है। इस रिसर्च में शामिल होने वाले रीडिंग विश्वविद्यालय के हाइड्रोलॉजिस्ट प्रोफेसर हन्ना क्लॉक का कहना है कि "जलवायु परिवर्तन और जनसंख्या वृद्धि का मतलब है कि बड़े शहरों में पानी अधिक मूल्यवान संसाधन बन रहा है। लेकिन हमने दिखाया है कि सामाजिक असमानता सबसे बड़ी समस्या है। गरीब लोगों को उनकी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।"
उनके अनुसार, "दुनिया भर में 80 से अधिक बड़े शहर पिछले 20 वर्षों में सूखे और पानी के निरंतर उपयोग के कारण पानी की कमी से पीड़ित हैं, लेकिन हमारे अनुमानों से पता चलता है कि यह संकट और भी बदतर हो सकता है क्योंकि अमीर और गरीब के बीच की खाई दुनिया के कई हिस्सों में बढ़ती जा रही है।"
ऐसे होगा कमी दूर
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा है कि दुनिया के जिन शहरों में पानी की किल्लत है वहां पानी की सही से सप्लाई नहीं होता है। उनके अनुसार, इन शहरों में अमीरों के यहां अधिक पानी की सप्लाई होती है वहीं गरीबों के यहां बहुत ही कम पानी को स्पलाई किया जाता है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि कई बार तकनीकी कमी के कारण भी पानी का आवंटन प्रभावित होता है। ऐसे में इस कमी को दूर करने के पीछे शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर अमीर पानी की बर्बादी को रोक दें और हर इलाके में सामान रूस से पानी की सप्लाई हो तो इस कमी को दूर किया जा सकता है।