OMG! अजगर 54 दिनों तक अंडों को सेता रहा, बंद रहा हाईवे निर्माण का काम
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: May 16, 2022 02:58 PM2022-05-16T14:58:32+5:302022-05-16T15:02:53+5:30
केरल के कासरगोड़ा में अजगर को अंडे सेने के लिए वन विभाग, यूरालुंगल लेबर कॉन्ट्रैक्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और सांपों को बचाने वाले वन्यजीव कार्यकर्ता अमीन ने आपसी सलाह से 54 दिनों के लिए हाई-वे निर्माण का काम रोक दिया।
कासरगोड: हम अक्सर ये कहावत सुनते हैं, "अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका कह गये, सबके दाता राम"। ये कहावत इसलिए कही गई क्योंकि अजगर एक भीरू जीव होता है। वो सुस्त होता है और अपने शिथिलता के कारण वो इंसानों को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
ये अजगर इतने सुस्त होते हैं कि जहां टिक गये तो वहीं अड्डा बना लेते हैं. खासकर जब वो अंडे दे दे क्योंकि वो अपने अंडे को सेते हैं। कुछ इसी तरह का वाकया हुए केरल के कासरगोड में, जहां एक अजगर द्वारा अंडों को सेने के लिए करीब 54 दिनों कर हाइवे निर्माण का काम रूका रहा।
सुनने में छोड़ा अजीब लग रहा है लेकिन यह सच है। हाईवे का निर्माण कर रही यूरालुंगल लेबर कॉन्ट्रैक्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड ने कासरगोड में फोर-लेन हाईवे का निर्माण 54 दिनों तक केवल इसलिए रोक दिया, क्योंकि एक अजगर को अपने 24 अंडे सेने थे।
समाचार वेबसाइट 'द न्य इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक अजगर को अंडे सेने के लिए वन विभाग, यूरालुंगल लेबर कॉन्ट्रैक्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और सांपों को बचाने वाले वन्यजीव कार्यकर्ता अमीन की आपसी सलाह से 54 दिनों के लिए हाई-वे निर्माण का काम रोक दिया गया।
उसके बाद जह अजगर के अंडों से बच्चे बाहर आ गये तो अमीन अदकथबैल ने रविवार को बताया कि अजगर के सभी 24 अंडे सुरक्षित अपने कोल से बाहर निकल गये। जिनमें से 15 बच्चों को शनिवार की रात जंगल में छोड़ा और नौ को रविवार की राम में छोड़ दिया जाएगा।"
जानकारी के मुताबिक बीते 20 मार्च को कासरगोड में एएच-66 के चौड़ीकरण का कार्य चल रहा था। इस कार्य में एक पुलिया का भी निर्माण किया जाना था। वहां पर काम करने वाले मजदूरों ने एक अजगर को मिट्टी के बड़े से ढूहे के अंदर घुमते हुए देखा। उसके बाद मजदूरों ने इसकी जानकारी वन विभाग को दी।
वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और देखा कि अजगर वहां मौजूद है। वन विभाग ने संभवना जताई कि हो सकता है कि किसी साही द्वारा बनाये गये मिट्टी के ढूहे पर अजगर ने अपना कब्जा जमा लिया है।
इसके बाद वन विभाग ने एक वन्यजीव कार्यकर्ता अमीन को मौके पर बुलाया, जिसने बताया कि अजगर ने मिट्टी के ढूहे पर कुल 24 अंडों को दिया है और बड़े ही आराम से उसे सेने का काम कर रही है। जिसके बाद वन विभाग ने यूरालुंगल लेबर कॉन्ट्रैक्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड से अपील की कि वो पुलिया निर्माण का काम कुछ दिनों के लिए रोक दें और अजगर को उसके अंडों को सेने दें।
इस मामले में कासरगोड के संभागीय वन अधिकारी पी बीजू ने कहा, "हाईवे निर्माण का काम रोका जाना ताफी मुश्किल था लेकिन कंपनी ने अजगर के अंडों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और हमारे अपील पर काम रोकने का फैसला किया।"
अमीन ने मिट्टी के ढूहे में जाकर देखा तो वहां पर अजगर के कई अंडे पड़े हुए थे, जिसे उसने चारों ओर लपेटा हुआ था। उसके बाद अमीन ने कासरगोडा के रहने वाले और नेपाल के मिथिला वाइल्डलाइफ ट्रस्ट में के पशु चिकित्सक मवीश कुमार से संपर्क किया और उन्हें सारी स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
मवीश कुमार ने अमीन को सलाह दी की वो अजगर के अंडे को दूसरी जगह पर न हटाएं क्योंकि मां अजगर की गर्मी के बिना बच्चे अंडे नहीं निकल सकते हैं। अजगर के अंडों को सेने के लिए 27 डिग्री सेल्सियस से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान की जरूरत होती है। अगर उन्हें उस स्थान से हटाया गया तो तापमान में वृद्धि हो सकती है और उससे बच्चों की अंडे के खोल में ही मौत हो सकती है या फिर वो विकृतियों के साथ पैदा हो सकते हैं।
मवीश ने बताया कि कि अजगर के अंडे सेने में लगभग 60 से 65 दिन लगते हैं। इसलिए उन्हें इंतजार करना चाहिए जब कि बच्चे अंडे के खोल से बाहर नहीं आ जाते हैं और जब एक बार अंडे टूटने लगेंगे तो वहां अजगर की मौजूदगी की कोई जरूरत नहीं होगी। उसके बाद अंडों को कही भी ले जाया जा सकता है।
इसके बाद वन विभाग के हने पर हाइवे बनाने वाली कंपनी ने 54 दिनों के लिए अपना काम रोक दिया और उसके बाद अजगर के 24 अंडों से स्वस्थ्य बच्चे बाहर निकले।