Chandrayaan-2: मोदी से गले लगकर के. सिवन फूट फूटकर रोए, पीएम की भी भर आईं आंखें 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 7, 2019 09:32 IST2019-09-07T09:30:58+5:302019-09-07T09:32:29+5:30

PM Modi emotional/Cry in ISRO: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधित घटनाक्रम के मद्देनजर आज सुबह आठ बजे वैज्ञानिकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने लैंडर का संपर्क टूट जाने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों से कहा,‘‘देश को आप पर गर्व है।

PM Modi emotional/Cry in ISRO: PM Narendra Modi hugged and ISRO Chief K Sivan cried, PM's also tears | Chandrayaan-2: मोदी से गले लगकर के. सिवन फूट फूटकर रोए, पीएम की भी भर आईं आंखें 

Chandrayaan-2: मोदी से गले लगकर के. सिवन फूट फूटकर रोए, पीएम की भी भर आईं आंखें 

Highlightsइसरो के अधिकारी ने कहा है कि चंद्रयान-2 आर्बिटर चंद्रमा की कक्षा में सुरक्षित है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि लैंडर से संपर्क टूटने के बावजूद 95 फीसदी मिशन ठीक है।

चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ के चांद की सतह को छूने से चंद मिनटों पहले जमीनी स्टेशन से उसका संपर्क टूटने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाने के लिए इसरो दफ्तर पहुंचे। यहां उन्होंने वैज्ञानिकों का हौसला अफजाई किया।

संबोधन खत्म होने के बाद माहौल तब गमगीन हो गया, जब इसरो के अध्यक्ष के. सिवन फूट-फूटकर रो पड़े। वहां मौजूद पीएम मोदी ने तुरंत के. सिवन को गले लगाया और उनकी पीठ थपथपाने लगे। 

इस दौरान पीएम मोदी बेहद भावुक हो उठे और उनकी भी आंखे भर आई। पीएम मोदी ने कुछ देर तक के. सिवन को गले लगाए रखा और जाते-जाते हाथ मिलाकर उन्होंने विदा ली।   


बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबंधित घटनाक्रम के मद्देनजर आज सुबह आठ बजे वैज्ञानिकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने लैंडर का संपर्क टूट जाने के बाद इसरो के वैज्ञानिकों से कहा,‘‘देश को आप पर गर्व है। सर्वश्रेष्ठ के लिए उम्मीद करें। हौसला रखें। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है।’’

गौरतलब है कि भारत के चंद्रयान-2 मिशन को शनिवार तड़के उस समय झटका लगा, जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले इसरो का संपर्क टूट गया। इसरो ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि विक्रम लैंडर उतर रहा था और लक्ष्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका काम सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। आंकड़ों का विश्लेषण किया जा रहा है।

भारत के दूसरे मानवरहित चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के घटनाक्रम इस प्रकार हैं:

12 जून : इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने घोषणा की कि चंद्रमा पर जाने के लिए भारत के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को प्रक्षेपित किया जाएगा।
 29 जून : सभी परीक्षणों के बाद रोवर को लैंडर विक्रम से जोड़ा गया।
29 जून : लैंडर विक्रम को ऑर्बिटर से जोड़ा गया।
04 जुलाई : चंद्रयान-2 को प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1) से जोड़ने का काम पूरा किया गया।
07 जुलाई : जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 को लॉन्च पैड पर लाया गया।
14 जुलाई : 15 जुलाई को जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई।
5 जुलाई : इसरो ने महज एक घंटे पहले प्रक्षेपण यान में तकनीकी खामी के कारण चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया।
18 जुलाई : चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से 22 जुलाई को दोपहर दो बजकर 43 मिनट का समय तय किया गया।
21 जुलाई : जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1/चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के लिए उल्टी गिनती शुरू हुई।
22 जुलाई : जीएसएलवी एमके तृतीय-एम1 ने चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया।
24 जुलाई : चंद्रयान-2 के लिए पृथ्वी की कक्षा पहली बार सफलतापूर्वक बढ़ाई गई।
26 जुलाई : दूसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।
29 जुलाई : तीसरी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।
02 अगस्त : चौथी बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।
04 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-2 उपग्रह से ली गई पृथ्वी की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया।
06 अगस्त : पांचवीं बार पृथ्वी की कक्षा बढ़ाई गई।
14 अगस्त : चंद्रयान-2 ने सफलतापूर्वक ‘लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी’ में प्रवेश किया।
20 अगस्त : चंद्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा।
22 अगस्त : इसरो ने चंद्रमा की सतह से करीब 2,650 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रयान-2 के एलआई4 कैमरे से ली गई चंद्रमा की तस्वीरों का पहला सैट जारी किया।
21 अगस्त : चंद्रमा की कक्षा को दूसरी बार बढ़ाया गया।
26 अगस्त : इसरो ने चंद्रयान-2 के टेरेन मैपिंग कैमरा-2 से ली गई चंद्रमा की सतह की तस्वीरों के दूसरे सैट को जारी किया।
28 अगस्त : तीसरी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई।
30 अगस्त : चौथी बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई। एक सितंबर : पांचवीं और अंतिम बार चंद्रमा की कक्षा बढ़ाई गई।
02 सितंबर : लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक ऑर्बिटर से अलग हुआ।
03 सितंबर : विक्रम को चंद्रमा के करीब लाने के लिए पहली डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई।
04 सितंबर : दूसरी डी-ऑर्बिटिंग प्रक्रिया पूरी हुई।
07 सितंबर : लैंडर ‘विक्रम’ को चंद्रमा की सतह की ओर लाने की प्रक्रिया 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य और योजना के अनुरूप देखी गई, लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया। 

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