नॉर्वे के राजनयिक ने शेयर किया 'सबसे ऊंचाई' पर मौजूद शिव मंदिर का वीडियो, बेहद खूबसूरत नजारा, लिखा- 'अतुल्य भारत'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 4, 2022 08:17 AM2022-10-04T08:17:47+5:302022-10-04T08:25:56+5:30
नॉर्वे के राजनयिक एरिक सोलहेम ने उत्तराखंड में स्थित तुंगनाथ मंदिर का वीडियो साझा किया गया है। इसे संभवत: ड्रोन की मदद से लिया गया है। यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
देहरादून: नॉर्वे के राजनयिक एरिक सोलहेम अक्सर अपने ट्वीट को लेकर चर्चा में रहते हैं। उन्होंने हाल में एक वीडियो शेयर किया है जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वीडियो शेयर करते हुए एरिक सोलहेम ने कुछ ऐसा लिखा जिससे लगता है कि वह भारत की सुंदरता और विविधता को देखकर मंत्रमुग्ध हैं।
दरअसल, उन्होंने अपने ट्विटर पर हिमालय की गोद में बसे राज्य उत्तराखंड में स्थित तुंगनाथ मंदिर का वीडियो साझा किया है। यह संभवत: ड्रोन से लिया गया वीडियो है। इसमें मंदिर के चारो ओर बर्फ ही बर्फ नजर आता है और इस वजह से ये बेहद खूबसूरत लगता है। एरिक सोलहेम के द्वारा शेयर किये गये इस वीडियो को 740,000 से अधिक बार देखा जा चुका है और इसे 52,000 से अधिक लोगों ने लाइक भी किया है।
वीडियो शेयर करते हुए एरिक सोलहेम ने कैप्शन में लिखा, 'अतुल्य भारत! दुनिया का सबसे ऊंचा महादेव मंदिर...इसे 5000 साल पुराना माना जाता है! उत्तराखंड'। इस वीडियो के बैकग्राउंड में फिल्म 'केदारनाथ' का गीत 'नमो नमो' भी सुनाई दे रहा है।
Incredible India 🇮🇳!
— Erik Solheim (@ErikSolheim) October 2, 2022
World's Highest Located Mahadev Mandir.., believed to be 5000 years old !
Uttarakhand
pic.twitter.com/GwWfxoHrra
वीडियो के शेयर करते ही ये ट्विटर पर छा गया। कई तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगी। एक यूजर ने लिखा, 'यह आश्चर्यजनक है। मंदिर की वास्तुकला उत्कृष्ट है, यह हिमस्खलन और यहां तक की भूकंप से भी बचा हुआ है।'
वहीं, दूसरे यूजर ने लिखा, 'तुंगनाथ महादेव मंदिर, पंच केदारों में से एक है। मंदिर तक का रास्ता बहुत ही शानदार है। इसके थोड़ा ऊपर चंद्रशिला है, जहां से हिमालय की चोटियों का 270 डिग्री चौड़ा दृश्य दिखाई देता है। अतुल्य भारत।'
एक अन्य यूजर ने लिखा, 'यह सबसे ऊंचा नहीं है, और मंदिर की संरचना निश्चित रूप से 5000 साल पुरानी नहीं है। यह अपने आप में जरूप एक खूबसूरत मंदिर है, पर इन गलत विशेषणों की जरूरत नहीं है।' वहीं, एक और शख्स ने कमेंट किया, 'उतना पुराना नहीं हो सकता। वर्तमान मंदिर 8वीं शताब्दी के आसपास आदि शंकराचार्य के समय में बनाया गया था। कोई भी पूर्व पुरातात्विक साक्ष्य उस इलाके के कारण मुश्किल होगा जहां बाढ़ और हिमस्खलन के खतरे हैं।'